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गढ़वाली भाषा में होगा रामलीला का मंचन, स्थानीय लोग भी पहल में कर रहे सहभागिता

आदर्श रामलीला समिति की ओर से 'गढ़वाली बोली मा रामलीला' की पहल शुरू की गई है. साथ ही स्थानीय लोग भी इस पहल में सहभागिता कर रहे हैं.

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गढ़वाली भाषा में होगा रामलीला का मंचन.
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Published : Feb 15, 2021, 12:49 PM IST

उत्तरकाशी: आदर्श रामलीला समिति की ओर से 'गढ़वाली बोली मा रामलीला' की पहल शुरू की गई है. समिति के पदाधिकारियों और कलाकारों की ओर से दो चरणों में कार्य पूर्ण कर किया गया है. वहीं, अब तीसरे चरण के तहत कार्य प्रारंभ किया गया है. तीसरे चरण में गढ़वाली बोली में संकलित रामलीला के गद्य-पद्य सहित चौपाई और संवादों को सावणी और गंगाड़ी लोक भाषा में लयबद्ध किया जा रहा है. इसके बाद रामलीला समिति की ओर से जिले में रामलीला का मंचन पहली बार गढ़वाली बोली में किया जाएगा.

श्री आदर्श रामलीला समिति उत्तरकाशी की 'गढ़वाली बोली मा रामलीला' की पहल से स्थानीय लोग भी जुड़कर अपनी सहभागिता दर्ज करा रहे हैं. इसी कड़ी में मनेरी निवासी आईटीबीपी से सेवानिवृत्त सहायक सेनानी स्व. मान सिंह चौहान की पुण्य स्मृति में उनके परिजनों की ओर से इस पहल की तीसरी कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इस कार्यशाला में रामलीला की सभी विधाओं को लय और सुरबद्ध किया जा रहा है. समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि अब तक हर स्थान पर रामलीला का मंचन हिन्दी भाषा में ही होता रहा है. लेकिन अब प्रयास ये है कि रामलीला का मंचन गढ़वाली लोकबोली में भी किया जाए.

ये भी पढ़ें: जोशीमठ आपदा: वैज्ञानिकों ने सौंपी सरकार को रिपोर्ट, जानिए आपदा के पीछे की मुख्य वजह

पदाधिकारियों का कहना है कि गढ़वाली की सावणी और गंगाड़ी लोकबोली पहाड़ों में सबसे अधिक बोली जाती है. इसलिए रामलीला के सभी गद्य, पद्य सहित चौपाई संवाद सावणी और गंगाड़ी लोकबोली में ही संकलित किया गया है. इस साल जिलें में होने वाली रामलीला का मंचन गढ़वाली में ही किया जाएगा. उसके बाद रामलीला के सभी संकलन को पुस्तक का स्वरूप भी दिया जाएगा, जिससे की देश और विदेश के लोगों को भी गढ़वाली बोली की विभिन्न विधाओं की जानकारी मिल सकें. साथ ही पहाड़ों में आने वाले सैलानियों को गढ़वाली बोली के रसों से रूबरू करवाया जा सकें.

उत्तरकाशी: आदर्श रामलीला समिति की ओर से 'गढ़वाली बोली मा रामलीला' की पहल शुरू की गई है. समिति के पदाधिकारियों और कलाकारों की ओर से दो चरणों में कार्य पूर्ण कर किया गया है. वहीं, अब तीसरे चरण के तहत कार्य प्रारंभ किया गया है. तीसरे चरण में गढ़वाली बोली में संकलित रामलीला के गद्य-पद्य सहित चौपाई और संवादों को सावणी और गंगाड़ी लोक भाषा में लयबद्ध किया जा रहा है. इसके बाद रामलीला समिति की ओर से जिले में रामलीला का मंचन पहली बार गढ़वाली बोली में किया जाएगा.

श्री आदर्श रामलीला समिति उत्तरकाशी की 'गढ़वाली बोली मा रामलीला' की पहल से स्थानीय लोग भी जुड़कर अपनी सहभागिता दर्ज करा रहे हैं. इसी कड़ी में मनेरी निवासी आईटीबीपी से सेवानिवृत्त सहायक सेनानी स्व. मान सिंह चौहान की पुण्य स्मृति में उनके परिजनों की ओर से इस पहल की तीसरी कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इस कार्यशाला में रामलीला की सभी विधाओं को लय और सुरबद्ध किया जा रहा है. समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि अब तक हर स्थान पर रामलीला का मंचन हिन्दी भाषा में ही होता रहा है. लेकिन अब प्रयास ये है कि रामलीला का मंचन गढ़वाली लोकबोली में भी किया जाए.

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पदाधिकारियों का कहना है कि गढ़वाली की सावणी और गंगाड़ी लोकबोली पहाड़ों में सबसे अधिक बोली जाती है. इसलिए रामलीला के सभी गद्य, पद्य सहित चौपाई संवाद सावणी और गंगाड़ी लोकबोली में ही संकलित किया गया है. इस साल जिलें में होने वाली रामलीला का मंचन गढ़वाली में ही किया जाएगा. उसके बाद रामलीला के सभी संकलन को पुस्तक का स्वरूप भी दिया जाएगा, जिससे की देश और विदेश के लोगों को भी गढ़वाली बोली की विभिन्न विधाओं की जानकारी मिल सकें. साथ ही पहाड़ों में आने वाले सैलानियों को गढ़वाली बोली के रसों से रूबरू करवाया जा सकें.

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