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'सफेद' आफत ने बढ़ाई हर्षिल घाटी के लोगों की मुश्किलें, बढ़ी दुश्वारियां

मार्च के महीने में एक बार फिर से देवभूमि बर्फ के आगोश में नजर आने लगी है. ये नजारा उत्तरकाशी जिले के हर्षिल घाटी का है. बर्फबारी से घाटी सफेद चादर में लिपटी नजर आ रही है.

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हर्षिल घाटी में बर्फबारी
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Published : Mar 6, 2020, 10:42 PM IST

Updated : Mar 6, 2020, 11:19 PM IST

उत्तरकाशी: शुक्रवार दोपहर बाद उत्तरकाशी जनपद के ऊंचाई वाले इलाकों में एक बार फिर से बर्फबारी शुरू हो गई. वहीं बर्फबारी के बाद एक बार फिर से हर्षिल घाटी सफेद चादर में लिपटी नजर आ रही है. साथ ही निचले इलाकों में लगातार हो रही बारिश से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है.

बर्फबारी के कारण लोग अलाव का सहारा लेने को मजबूर हैं. हर्षिल घाटी में इस बार 9वीं बार बर्फबारी हो रही है. वहीं, भारी बर्फबारी के कारण सालों बाद इतनी ठंड पड़ रही है. मार्च माह में हुई बर्फबारी ने कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. वहीं, होली से तीन दिन पूर्व तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.

ये भी पढ़े: गैरसैंण की वादियों ने ओढ़ी बर्फ की चादर, होली से पहले पहाड़ों का 'सफेद' श्रृंगार

हर्षिल घाटी के सुक्की सहित धराली, मुखबा, झाला, पुराली, हर्षिल बगोरी आदि गांव बर्फ की सफेद चादर के बीच एक बार फिर अपनी खूबसूरत छटा बिखेर रहे हैं. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बर्फबारी के कारण हर्षिल घाटी में सबसे ज्यादा परेशानी मवेशियों की चारा की हो रही है. ग्रामीणों ने पिछले वर्षों की बर्फबारी को देखते हुए इस साल भी मात्र जनवरी-फरवरी माह तक की चारे का इंतजाम किया था, लेकिन मार्च माह में बर्फबारी के कारण अब चारे की दिक्कतें ग्रामीणों के सामने खड़ी हो गई है.

उत्तरकाशी: शुक्रवार दोपहर बाद उत्तरकाशी जनपद के ऊंचाई वाले इलाकों में एक बार फिर से बर्फबारी शुरू हो गई. वहीं बर्फबारी के बाद एक बार फिर से हर्षिल घाटी सफेद चादर में लिपटी नजर आ रही है. साथ ही निचले इलाकों में लगातार हो रही बारिश से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है.

बर्फबारी के कारण लोग अलाव का सहारा लेने को मजबूर हैं. हर्षिल घाटी में इस बार 9वीं बार बर्फबारी हो रही है. वहीं, भारी बर्फबारी के कारण सालों बाद इतनी ठंड पड़ रही है. मार्च माह में हुई बर्फबारी ने कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. वहीं, होली से तीन दिन पूर्व तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.

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हर्षिल घाटी के सुक्की सहित धराली, मुखबा, झाला, पुराली, हर्षिल बगोरी आदि गांव बर्फ की सफेद चादर के बीच एक बार फिर अपनी खूबसूरत छटा बिखेर रहे हैं. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बर्फबारी के कारण हर्षिल घाटी में सबसे ज्यादा परेशानी मवेशियों की चारा की हो रही है. ग्रामीणों ने पिछले वर्षों की बर्फबारी को देखते हुए इस साल भी मात्र जनवरी-फरवरी माह तक की चारे का इंतजाम किया था, लेकिन मार्च माह में बर्फबारी के कारण अब चारे की दिक्कतें ग्रामीणों के सामने खड़ी हो गई है.

Last Updated : Mar 6, 2020, 11:19 PM IST
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