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'आपदा' ने 13 साल बाद बेटे को परिवार से मिलाया, SDRF जवान कुलदीप बने 'देवदूत'

उत्तराकाशी आपदा के दौरान एसडीआरएफ के जवानों ने एक ऐसे युवक को रेस्क्यू किया जो पिछले 13 साल पहले बिहार से यहां मजदूरी करने आया था. तब से लेकर अबतक युवक अपने परिवार से दूर है. एसडीआरएफ जवान कुलदीप ने युवक को परिवार से मिलाने का काम किया है.

रंग लाई SDRF जवान कुलदीप की कोशिशें
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Published : Aug 25, 2019, 8:28 PM IST

Updated : Aug 26, 2019, 5:08 PM IST

उत्तरकाशी: आराकोट आपदा में कई लोग अपनों से बिछड़ गए तो वहीं बिहार के भदेजी गांव के 12 वर्षीय शिवाजन को इस आपदा ने अपनों से मिलाया है. आपदा के दौरान एसडीआरएफ के जवान कुलदीप सिंह एक ऐसे युवक से मिले जो कि 13 साल अपने परिवार से दूर था. इस युवक को अपने परिवार के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी. जिसके बाद एसडीआरएफ के जवान कुलदीप ने इस युवक के परिवार का पता लगाया और परिवार से मिलाने की कोशिश की. जिसमें की एसडीआरएफ जवान कामयाब रहा. अब जल्द ही ये युवक शिवाजन अपने परिवार से मिलने वाला है. कुछ दिनों में शिवाजन की मां फूला देवी अपने बेटे से मिलने के लिए देहरादून आ रही हैं.

उत्तरकाशी आपदा के बाद बचाव और राहत कार्य में एसडीआरएफ ने अहम भूमिका निभाई है. एसडीआरएफ के जवानों ने पूरे जी जान से लग कर आपदा प्रभावितों की मदद की. मदद करते करते एसडीआरएफ के जवानों ने एक ऐसे युवक को रेस्क्यू किया जो पिछले 13 साल पहले बिहार से यहां मजदूरी करने आया था. तब से लेकर अबतक ये युवक अपने परिवार से दूर है, जिसे उसके परिवार से मिलाने की कोशिशे रंग लाई हैं.

पढ़ें-अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ी भीड़


21 अगस्त को एसडीआरएफ जवान कुलदीप सिंह की मुलाकात एक युवक से हुई जो कि आपदा के दौरान जवानों को देख रहा था. सभी ग्रामीण अपनी समस्याएं जवानों को बता रहे थे और जवान भी अपनी तरफ से उसे दूर करने की कोशिश कर रहे थे. जिसे देखते हुए 22 साल के शिवाजन ने भी समस्या एसडीआरएफ के जवान को बताई. शिवाजन ने बताया कि आज से 13 साल पहले वह अपने इलाके के कुछ मजदूरों के साथ यहां आया था. तब वह सेब की पैकिंग का काम करता था.

पढ़ें-चीन से घट रही कीड़ा जड़ी की मांग, गहराया रोजी रोटी का संकट

शिवाजन ने बताया कि एक दिन मजदूरों का मालिक से झगड़ा हो गया और सारे लोग उसे अकेला छोड़कर गांव से चले गये. तब से अब तक वह अपने परिजनों को ढूंढ रहा है. शिवाजन ने ने बताया कि उसे उसके गांव औऱ माता-पिता के बारे में साफ-साफ कुछ भी याद नहीं. शिवाजन ने बताया कि उसे इतना याद है कि उसके गांव के आस-पास बड़े-बड़े जहाज उड़ा करते थे.

पढ़ें-उत्तरकाशी आपदाः प्रशासन का ये सच आया सामने, ग्रामीण बोले- सुन ली होती गुहार तो बच जाती जिंदगियां

शिवा की परेशानी सुनते हुए एसडीआरएफ के जवान कुलदीप सिंह ने बिहार के नजदीकी गांव को इंटरनेट मैप पर खोजना शुरू किया. जिससे पता कि शिवाजन का गांव गया के आसपास है जो कि एयरपोर्ट के नजदीक बसा है. जिसके बाद कुलदीप ने गया के नजदीकी थाने मगध मेडिकल (बिहार) को सारी बात बताई. लेकिन पुलिस थाने ने मामले से पल्ला छाड़ते हुए कुलदीप की कोई मदद नहीं की. जिसके बाद कुलदीप ने गया (बिहार) एसपी सिटी को कॉल कर घटना की जानकारी दी. जिसके बाद शिवाजन के परिवार की जानकारी मिली.

पढ़ें-उत्तरकाशी आपदाः प्रशासन का ये सच आया सामने, ग्रामीण बोले- सुन ली होती गुहार तो बच जाती जिंदगियां

एसपी सिटी ने बताया कि शिवाजन बिहार के मांजी भड़ेजी गांव का रहने वाला है जो कि गया जिले में पड़ता है. इस दौरान एसडीआरएफ के जवान ने शिवाजन की उसके परिवार वालों से बात भी करवाई, जिसके बाद से ही शिवाजन की खुशी का ठिकाना नहीं है.

13 साल के वनवास के बाद शिवाजन अपने परिवार से मिलने की खुशी में एसडीआरएफ और उत्तराखंड पुलिस को लाखों दुआएं दे रहा है. शिवा की मां फूला देवी अपने बेटे से मिलने के लिए देहरादून आ रही हैं. एसडीआरएफ के जवान के इस प्रयास को देखते हुए तृप्ति भट्ट ने जवान कुलदीप सिंह को ढाई हजार रुपए इनाम की घोषणा की है.

उत्तरकाशी: आराकोट आपदा में कई लोग अपनों से बिछड़ गए तो वहीं बिहार के भदेजी गांव के 12 वर्षीय शिवाजन को इस आपदा ने अपनों से मिलाया है. आपदा के दौरान एसडीआरएफ के जवान कुलदीप सिंह एक ऐसे युवक से मिले जो कि 13 साल अपने परिवार से दूर था. इस युवक को अपने परिवार के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी. जिसके बाद एसडीआरएफ के जवान कुलदीप ने इस युवक के परिवार का पता लगाया और परिवार से मिलाने की कोशिश की. जिसमें की एसडीआरएफ जवान कामयाब रहा. अब जल्द ही ये युवक शिवाजन अपने परिवार से मिलने वाला है. कुछ दिनों में शिवाजन की मां फूला देवी अपने बेटे से मिलने के लिए देहरादून आ रही हैं.

उत्तरकाशी आपदा के बाद बचाव और राहत कार्य में एसडीआरएफ ने अहम भूमिका निभाई है. एसडीआरएफ के जवानों ने पूरे जी जान से लग कर आपदा प्रभावितों की मदद की. मदद करते करते एसडीआरएफ के जवानों ने एक ऐसे युवक को रेस्क्यू किया जो पिछले 13 साल पहले बिहार से यहां मजदूरी करने आया था. तब से लेकर अबतक ये युवक अपने परिवार से दूर है, जिसे उसके परिवार से मिलाने की कोशिशे रंग लाई हैं.

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21 अगस्त को एसडीआरएफ जवान कुलदीप सिंह की मुलाकात एक युवक से हुई जो कि आपदा के दौरान जवानों को देख रहा था. सभी ग्रामीण अपनी समस्याएं जवानों को बता रहे थे और जवान भी अपनी तरफ से उसे दूर करने की कोशिश कर रहे थे. जिसे देखते हुए 22 साल के शिवाजन ने भी समस्या एसडीआरएफ के जवान को बताई. शिवाजन ने बताया कि आज से 13 साल पहले वह अपने इलाके के कुछ मजदूरों के साथ यहां आया था. तब वह सेब की पैकिंग का काम करता था.

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शिवाजन ने बताया कि एक दिन मजदूरों का मालिक से झगड़ा हो गया और सारे लोग उसे अकेला छोड़कर गांव से चले गये. तब से अब तक वह अपने परिजनों को ढूंढ रहा है. शिवाजन ने ने बताया कि उसे उसके गांव औऱ माता-पिता के बारे में साफ-साफ कुछ भी याद नहीं. शिवाजन ने बताया कि उसे इतना याद है कि उसके गांव के आस-पास बड़े-बड़े जहाज उड़ा करते थे.

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शिवा की परेशानी सुनते हुए एसडीआरएफ के जवान कुलदीप सिंह ने बिहार के नजदीकी गांव को इंटरनेट मैप पर खोजना शुरू किया. जिससे पता कि शिवाजन का गांव गया के आसपास है जो कि एयरपोर्ट के नजदीक बसा है. जिसके बाद कुलदीप ने गया के नजदीकी थाने मगध मेडिकल (बिहार) को सारी बात बताई. लेकिन पुलिस थाने ने मामले से पल्ला छाड़ते हुए कुलदीप की कोई मदद नहीं की. जिसके बाद कुलदीप ने गया (बिहार) एसपी सिटी को कॉल कर घटना की जानकारी दी. जिसके बाद शिवाजन के परिवार की जानकारी मिली.

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एसपी सिटी ने बताया कि शिवाजन बिहार के मांजी भड़ेजी गांव का रहने वाला है जो कि गया जिले में पड़ता है. इस दौरान एसडीआरएफ के जवान ने शिवाजन की उसके परिवार वालों से बात भी करवाई, जिसके बाद से ही शिवाजन की खुशी का ठिकाना नहीं है.

13 साल के वनवास के बाद शिवाजन अपने परिवार से मिलने की खुशी में एसडीआरएफ और उत्तराखंड पुलिस को लाखों दुआएं दे रहा है. शिवा की मां फूला देवी अपने बेटे से मिलने के लिए देहरादून आ रही हैं. एसडीआरएफ के जवान के इस प्रयास को देखते हुए तृप्ति भट्ट ने जवान कुलदीप सिंह को ढाई हजार रुपए इनाम की घोषणा की है.

Intro:जहाँ आराकोट आपदा में कई लोग अपनों से बिछड़ गए। तो वहीं बिहार के भदेजी गांव के 12 वर्षीय शिवाजन को इस आपदा ने अपनों को मिलाया। साथ ही एक एसडीआरएफ जवान इसके लिए देवदूत बना।। उत्तरकाशी। बीते रविवार को उत्तरकाशी जिले की आराकोट बंगाण क्षेत्र की आपदा ने जहाँ अपनों को अपनो से बहुत दूर कर दिया। तो वहीं दूसरी और बिहार के गया जिले के भदेजी गांव के शिवाजन के लिए यह आपदा और इसमें रेस्क्यू करने आया एसडीआरएफ का जवान कुलदीप सिंह देवदूत बनकर सामने आया। कुलदीप के सार्थक प्रयास से शिवाजन जल्द ही अपने 13 वर्ष पूर्व बिछड़े परिजनों से मिलेगा। एसडीआरएफ जवान कुलदीप सिंह की तीन दिनों की मेहनत ने एक माँ को अपने बच्चे से से मिला दिया। तो इस कहानी में कई किरदार और भी हैं। जिनका अहम योगदान रहा। कुलदीप सिंह ने etv bharat को फोन पर दी जानकारी। Body:वीओ-1, एसडीआरएफ जवान कुलदीप सिंह ने फोन पर दी जानकारी में बताया कि जब 21 अगस्त को वह किराणु गांव में खोज बचाव का कार्य कर रहे थे। तो आदेश आया कि ग्रामीणों की समस्य सुनो। तब कुलदीप सिंह की नजर वहाँ एक मजदूर पर पड़ी। जो कि बिहार का था। उसने पूछने पर बताया की 13 वर्ष पूर्व वह अपने गांव के मजदूरों के साथ आराकोट हिमांचल प्रदेश के बॉर्डर पर भाग कर आया। तो एक दिन मजदूरों की लड़ाई ठेकेदार से हुई और मजदूर उसे छोड़ भाग गए। जब ठेकेदार वापस आया तो शिवाजन को अकेला पाया। कुछ दिन उसके साथ काम करने के बाद शिवाजन त्यूणी आ गया। यहाँ से एक व्यक्ति में इसे किराणु काम के लिए भेज दिया। कुलदीप ने बताया कि उसके बाद शिवाजन के मालिक भुवनेश्वर चौहान औऱ एक स्कूल के मास्टर ने भी शिवाजन का घर ढूढ़ने की कोशिश की। लेकिन सफलता नहीं मिली। Conclusion:वीओ-2, कुलदीप ने बताया कि पूछने पर शिवाजन ने अपना गांव बतर जी बताया। और बताया कि उसके गांव के ऊपर से बड़े बड़े जहाज उड़ते हैं। जिस पर कुलदीप ने बिहार के सभी एयरपोर्ट नेट पर सर्च मारे। तो गया एयरपोर्ट का पता लगा । उसके बाद बिहार के गया जिले के सभी गांव सर्च किये। तो भदेजी एक गांव मिला। उसके बाद कुलदीप ने नेट पर मगध पुलिस स्टेशन सर्च किया। वहां से पता लगा कि मुफ़लिस थाने का मामला है। पुलिस से उचित मदद ने मिलने पर कुलदीप ने एसपी सिटी गया से संपर्क किया। तो भदेजी के समीप एक गांव के युवक विकास का नम्बर मिला और उसके बाद कुलदीप ने विकास के नम्बर पर शिवाजन की फ़ोटो भेजी। तो उसके परिजन उसे पहचान गए। अब शिवाजन की माँ फुला देवी और भाई रोहित मांझी शिवाजन को लेने आ रहे हैं। कुलदीप ने बताया कि इस पूरे सार्थक प्रयास में उसे 3 दिन लगे।
Last Updated : Aug 26, 2019, 5:08 PM IST
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