उत्तरकाशीः आजादी के सात दशक और राज्य गठन के 19 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. आज भी सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं से ग्रामीण महरूम हैं. इसकी बानगी उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक में स्थित दूरस्थ गांव पिलंग में देखने को मिल रही है. यहां पर ग्रामीण आजादी के बाद से ही सड़क की बाट जोह रहे हैं. वहीं, इन दिनों पैदल क्षतिग्रस्त मार्ग पर भी भूस्खलन का खतरा बना हुआ है.
सड़क सुविधा ना होने से ग्रामीण 12 किमी की पैदल दूरी तय कर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीण पहाड़ी घंने जंगल और भूस्खलन के मार्गों से आवागमन करने को मजबूर हैं. वहीं, सड़क की मांग को लेकर ग्रामीण शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुकें हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.
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बता दें कि पिलंग गांव जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस गांव में 100 से ज्यादा परिवार रहते हैं. जबकि पास के गांव जौड़ाव में करीब 45 परिवार रहते हैं, लेकिन अभीतक पिलंग गांव में सड़क नहीं पहुंच पाई है. सड़क ना होने से ग्रामीण अपने गांव से 12 किलोमीटर की दूर पैदल मार्ग से होते हुए भटवाड़ी पहुंचते हैं. यहां से ग्रामीण वाहनों में सवार होकर उत्तरकाशी समेत अन्य गंतव्यों की ओर निकलते हैं.
सड़क की सुविधा ना होने से ग्रामीणों का काफी दिक्कतों का सामना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी मरीज, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को होती है. ऐसे में कोई बीमार पड़ जाए तो मरीज को कंडी और डोलियों में बैठाकर सड़क मार्ग तक पहुंचाते हैं. कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ जाता है. सड़क तक मरीज पहुंच भी जाये तो अस्पताल पहुंचाने तक उसकी बचने की उम्मीद कम ही रह जाती है. कई बार गर्भवती महिलाएं रास्ते में प्रसव कर चुकी हैं. जिसमें जच्चा-बच्चा की भी मौत हो चुकी है.
गांव से पहले मार्ग बेहद क्षतिग्रस्त और संकरा है. बरसात के दौरान तो हालत बदतर हो जाती है. इतना ही नहीं गांव से पहले के पैच में भारी भूस्खलन होती है. जिससे गांव का संपर्क मुख्य धारा से कट जाता है और ग्रामीण कई महीनों तक गांव में कैद रह जाते हैं. साथ ही ग्रामीणों को घने जंगलों से गुजरना पड़ता है. ऐसे में ऊपर से जंगली जानवरों का डर सताता रहता है.
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वहीं, बीते दिनों हुई बारिश के कारण पिलंग गांव का पैदल मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया है. जिससे पैदल मार्ग पर लगातार भूस्खलन का खतरा बना हुआ है. इतना ही नहीं ग्रामीण बड़े-बड़े बोल्डरों के बीच जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं. ग्रामीण खुद ही पैदल क्षतिग्रस्त मार्ग को बनाने में जुटे हैं, लेकिन ऊपर से हो रहे भूस्खलन के कारण मार्ग बनाने वाले ग्रामीणों के लिए भी खतरा बना हुआ है.
ग्रामीणों का कहना है कि आज तक सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. वे सड़क की मांग को लेकर प्रशासन से कई गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है. सरकार की बेरुखी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. हालांकि पिलंग गांव के लिए सड़क मार्ग की स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन किन्हीं कारणों से मामला अधर में लटका हुआ है.