उत्तरकाशी: गलवान घाटी में भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़े तनाव के बीच उत्तरकाशी से सटे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर सैटेलाइट फोन के सिग्नल मिले हैं. सूत्रों की माने तो मई माह के अंतिम सप्ताह और जून माह के दूसरे सप्ताह में दो से तीन बार नेलांग और सोनम घाटी से आगे सैटेलाइट फोन के सिग्नल मिले हैं. सिग्नल मिलने की सूचना खुफिया तंत्र ने सेना और आईटीबीपी के अधिकारियों को दी है. इसके साथ ही खुफिया तंत्र ने गृह मंत्रालय को भी इसकी रिपोर्ट भेज दी है. सैटेलाइट फोन के सिग्नल मिलने के बाद सेना और आईटीबीपी अलर्ट हो गई है.
भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा से उत्तराखंड के तीन जिले जुड़े हुए हैं. इसमें उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ शामिल है. उत्तरकाशी से चीन अधिकृत तिब्बत की करीब 122 किमी लंबी सीमा जुड़ती है. वहीं, चमोली से 88 किमी अंतरराष्ट्रीय सीमा जुड़ी हुई है. चमोली में विगत वर्षों में कई बार चीनी सीमा के घुसपैठ की खबरें सामने आई. लेकिन अभी तक उत्तरकाशी से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसी प्रकार की घुसपैठ की सूचना नहीं है. इसका एक मुख्य कारण सीमा से जुड़ी घाटियों की कठिन विषमताओं को भी माना जाता है.
सूत्रों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ी घाटियों में जिस सैटेलाइट फोन का सिग्नल ट्रेस किया गया है. वह भारत में प्रतिबंधित है. इससे पहले भी मार्च-अप्रैल माह में भी सीमा से सटी घाटियों में सेटेलाइट फोन के सिग्नल मिलने की सूचना मिली थी. सूचनाओं के बाद सीमा पर सेना और आईटीबीपी ने गश्त बढ़ा दी है. साथ ही खुफिया तंत्र भी पूरी तरह अलर्ट मोड पर है. चीन की सीमा पर किसी भी गतिविधि पर पूरी नजर बनाए हुए है.
पढ़ें- उत्तराखंड: लॉकडाउन की मार से उबरेगा MSME सेक्टर? जानिए एक्सपर्ट की राय
बता दें, पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत ने चीन से लगती सीमा पर अग्रिम इलाकों में लड़ाकू विमान और हजारों की संख्या में अतिरिक्त सैनिकों को भेजा है. इसे साथ ही चीन के साथ लगती 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सशस्त्र बलों को चीन के किसी भी आक्रामक बर्ताव का मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी आजादी दी गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ लद्दाख में हालात पर उच्च स्तरीय बैठक के बाद सूत्रों ने यह जानकारी दी है.