उत्तरकाशीः आराकोट बंगाण क्षेत्र में आई जलप्रलय के बाद अभी भी हालात सामान्य नहीं हो पाया है. अभी हालात सामान्य होने में वक्त लगेगा. आराकोट में आई सैलाब ने यहां पर चार जिंदगियां लील ली थी. सैलाब में हुई मौतों को लेकर ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
बता दें कि, बीते 18 अगस्त को मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र के माकुड़ी, टिकोची, आराकोट, चिंवा, गोकुल, डगोली, किराणु, मौंड़ा, गोकुल, दूचाणू समेत कई गावों में बादल फटने की घटना हुई थी. जिससे भारी तबाही मची थी. माकुड़ी में कई मकान जमींदोज गए. जिसमें कुछ लोग जिंदा दफन हो गए थे. माकुड़ी नदी के उफान पर आने से टिकोची कस्बे में सैलाब आ गया. इस आपदा में 14 लोग काल कलवित हो गए थे. अभी भी कई लोग लापता हैं. आराकोट में भी चार लोग इस जलप्रलय में समा गए थे.
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वहीं, आराकोट में आए सैलाब को लेकर ग्रामीणों ने बड़ा खुलासा किया है. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि समय रहते ही नकोट गदेरे में सुरक्षा दीवार लगा दी गई होती तो इस हादसे को कम किया जा सकता था. आपदा प्रभावित आराकोट गांव के सदर सिंह ने बताया कि नकोटखाल गदेरे से बोल्डर हटाने और सुरक्षा कार्यों के लिए हर स्तर से स्वीकृति मिली हुई थी, लेकिन सिस्टम की हीलाहवाली और लापरवाही के चलते गदेरे पर सुरक्षा को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
उन्होंने बताया कि मामले को लेकर ग्रामीण शासन-प्रशासन से बीते पांच सालों से सुरक्षा कार्यों की मांग कर रहे थे. हालांकि, ग्रामीणों की मांग पर विभागीय अधिकारियों ने निरीक्षण किया और रिपोर्ट तैयार की. इतना ही नहीं एसडीएम ने भी जांच कर माना कि गदेरे से आसपास रहने वाले लोगों के लिए खतरा है. जिस पर शासन-प्रशासन की ओर से सुरक्षा कार्यों के लिए धनराशी भी स्वीकृत हुई, लेकिन धरातल पर कार्रवाई को अमलीजामा नहीं पहनाया गया. जिसका खामियाजा चार जिंदगियों को चुकाना पड़ा है.
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आपदा पीड़ित सदर सिंह का कहना है कि पहले ही सुरक्षा कार्य हो गए होते तो आज यह नौबत ना आती. साथ ही कहा कि अभी भी बरसात में खतरा बना हुआ है. जलप्रलय के बाद गदेरे में मलबा पड़ा होने से कभी भी बस्ती में अनहोनी होने की आशंका है. ऐसे में लोग डर के साये में जी रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रशासन-शासन के नुमाइंदे पहले ही कुम्भकर्णी नींद जाग गए होते तो आज चार लोग जिंदा होते. वहीं, उन्होंने मामले पर कार्रवाई करने की मांग की है.