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घुमक्कड़ी में बीत जाता है इनका जीवन, सरकार कब होगी गंभीर

गंगोत्री हाई-वे पर डुंडा के पास टेंट लगाकर घुमक्कड़ लोगों का एक परिवार रह रहा है. ये परिवार लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश के निवासी 65 वर्षीय इस्लाम का है. उनके परिवार का पूरा जीवन घुमक्कड़ी में निकल गया है. इस्लाम का परिवार प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर टीवी, कुर्सी के कवर आदि बेचकर जीवन यापन करता है. इस्लाम ही नहीं, बल्कि कई परिवार इसी तरह सड़कों के किनारे टेंट में गुजर बसर करने को मजबूर हैं.

घुमक्कड़ लोगों का जीवन.
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Published : Apr 9, 2019, 10:54 AM IST

उत्तरकाशीः देश में कई लोगों के पास आज भी सर पर छत और खाने के लिए दो जून की रोटी तक नहीं हैं. ऐसे में बच्चों की शिक्षा की बात बेमानी सी लगती है. जी हां हम बात कर रहे घुमक्कड़ी लोगों की जो आजकल अपना आशियाना सीमांत जनपद उत्तरकाशी में बनाए हुए हैं. जिनके पास कहने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन सामने बेबसी के सिवा कुछ नहीं. जो आजादी के सात दशक बाद भी देश के कई प्रांतों में घूमकर उस शहर में कुछ समय के लिए अपना रोजगार तलाश करते हैं.

देश में लोकसभा चुनाव का माहौल है. गरीबी कम करने और हटाने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें और दावे राजनीतिक दलों के राजनेता कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत दावों की पोल खुल रही है. दरअसल, इन दिनों गंगोत्री हाई-वे पर डुंडा के पास टेंट लगाकर घुमक्कड़ लोगों का एक परिवार रह रहा है. ये परिवार लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश के निवासी 65 वर्षीय इस्लाम का है. उनके परिवार का पूरा जीवन घुमक्कड़ी में निकल गया है. इस्लाम का परिवार प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर टीवी, कुर्सी के कवर आदि बेचकर जीवन यापन करता है. इस्लाम ही नहीं, बल्कि कई परिवार इसी तरह सड़कों के किनारे टेंट में जीवन गुजर बसर करने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ेंः इस मंदिर में दर्शन के दौरान राजा नरेंद्र शाह को हो गया था अपनी मृत्यु का एहसास, मांगी थी ये खास मन्नत


ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए इस्लाम ने बताया कि वो लोग अपने गांव जाकर मतदान भी करते हैं, लेकिन उनकी सुध नहीं ली जाती है. उन्होंने बताया कि वो दिल्ली से टीवी, कुर्सियों के कवर लाकर जगह-जगह घूमकर उसे बेचते हैं. उसी से उनका परिवार चलता है. साथ ही कहा कि उनकी तीन पीढ़ी इसी काम में लगी हुई है. वो बेटी दामाद और पोते समेत कई सालों से टेंट के भीतर जीवन यापन करते आ रहे हैं.

उत्तरकाशी में घुमक्कड़ लोगों का जीवन.

वहीं, 60 वर्षीय नयंति देवी बताती हैं कि उनके जैसे कई परिवार हैं. जो पूरे उत्तराखंड में इस प्रकार घुमक्कड़ी जीवन जी रहे हैं. उनका कहना है कि गरीबों की कोई सुध नहीं ली जाती है. उनका पूरा जीवन और कई पीढ़ियां इसी तरह सड़क किनारे बीत गई हैं. सरकार उनके प्रति गंभीर नहीं है. देश में बनने वाली योजनाएं उनके लिए नहीं बनी हैं. उन्होंने कहा कि उनके पास महज एक मतदाता कार्ड है, जिससे वो कभी गांव पहुंच गए तो वोट डाल आते हैं.

उत्तरकाशीः देश में कई लोगों के पास आज भी सर पर छत और खाने के लिए दो जून की रोटी तक नहीं हैं. ऐसे में बच्चों की शिक्षा की बात बेमानी सी लगती है. जी हां हम बात कर रहे घुमक्कड़ी लोगों की जो आजकल अपना आशियाना सीमांत जनपद उत्तरकाशी में बनाए हुए हैं. जिनके पास कहने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन सामने बेबसी के सिवा कुछ नहीं. जो आजादी के सात दशक बाद भी देश के कई प्रांतों में घूमकर उस शहर में कुछ समय के लिए अपना रोजगार तलाश करते हैं.

देश में लोकसभा चुनाव का माहौल है. गरीबी कम करने और हटाने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें और दावे राजनीतिक दलों के राजनेता कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत दावों की पोल खुल रही है. दरअसल, इन दिनों गंगोत्री हाई-वे पर डुंडा के पास टेंट लगाकर घुमक्कड़ लोगों का एक परिवार रह रहा है. ये परिवार लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश के निवासी 65 वर्षीय इस्लाम का है. उनके परिवार का पूरा जीवन घुमक्कड़ी में निकल गया है. इस्लाम का परिवार प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर टीवी, कुर्सी के कवर आदि बेचकर जीवन यापन करता है. इस्लाम ही नहीं, बल्कि कई परिवार इसी तरह सड़कों के किनारे टेंट में जीवन गुजर बसर करने को मजबूर हैं.

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ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए इस्लाम ने बताया कि वो लोग अपने गांव जाकर मतदान भी करते हैं, लेकिन उनकी सुध नहीं ली जाती है. उन्होंने बताया कि वो दिल्ली से टीवी, कुर्सियों के कवर लाकर जगह-जगह घूमकर उसे बेचते हैं. उसी से उनका परिवार चलता है. साथ ही कहा कि उनकी तीन पीढ़ी इसी काम में लगी हुई है. वो बेटी दामाद और पोते समेत कई सालों से टेंट के भीतर जीवन यापन करते आ रहे हैं.

उत्तरकाशी में घुमक्कड़ लोगों का जीवन.

वहीं, 60 वर्षीय नयंति देवी बताती हैं कि उनके जैसे कई परिवार हैं. जो पूरे उत्तराखंड में इस प्रकार घुमक्कड़ी जीवन जी रहे हैं. उनका कहना है कि गरीबों की कोई सुध नहीं ली जाती है. उनका पूरा जीवन और कई पीढ़ियां इसी तरह सड़क किनारे बीत गई हैं. सरकार उनके प्रति गंभीर नहीं है. देश में बनने वाली योजनाएं उनके लिए नहीं बनी हैं. उन्होंने कहा कि उनके पास महज एक मतदाता कार्ड है, जिससे वो कभी गांव पहुंच गए तो वोट डाल आते हैं.

Intro:हेडलाइन- घुमक्कड़ी में बीत जाता है,जीवन। Slug- Uk_uttarkashi_vipin negi_life in moved_08 april 2019. उत्तरकाशी। न सिर पे छत है साहब,न खाने को खाना। तो बच्चों को कहाँ से पढ़ाना। जीवन बस घुमक्कड़ी में ही बीत जाता है। यह हम नहीं, यह कह रहे हैं लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश निवासी 65 वर्षीय इस्लाम। जिनका पूरा जीवन इसी प्रकार घुमक्कड़ी में निकल गया। कंभी उत्तरकाशी,तो कभी चमोली। इस्लाम का परिवार प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर टीवी के कवर आदि बेच कर जीवन यापन करते हैं। यह लोग अगर मतदान के दौरान अपने गांव पहुंच जाते हैं। तो वोट करते हैं। लेकिन आज तक इनकी सुध किसी ने नहीं ली। कि इनका जीवन 12 माह टैंट में कैसे बीत जाता है। यह एक इस्लाम नहीं, बल्कि कई इस्लाम का परिवार इसी प्रकार सड़कों के किनारे टैंट में जीवन गुजर बसर करने को मजबूर हैं।


Body:वीओ-1, लोकसभा चुनाव का समय है,देश मे गरीबी कम करने हटाने की बड़ी-बड़ी बातें और दावे राजनीतिक दलों के राजनेता कर रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य कि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। etv bharat की टीम ने सड़क किनारे टैंट में रह रहे लोगों से हकीकत जानी। तो हवा हवाई दावों की पोल खुलती नजर आई। ऊपर से बरस रहा आसमान। डुंडा में गंगोत्री हाईवे के नीचे एक छोटा सा मैदान गंगा किनारे है। जहाँ पर ऊपर से कूड़े का ढेर लगा है। वहाँ पर दो से तीन टैन्ट लगे हुए हैं। जिसमें 65 वर्षीय इस्लाम का परिवार है। जो कि दिल्ली से टीवी,कुर्शियों के कवर बेच कर जीवन यापन कर रहे हैं। इस्लाम की तीन पीढ़ी इसी काम मे लगी हुई है। बेटी दामाद सहित पोते भी वर्ष भर इसी प्रकार टैन्ट के भीतर जीवन यापन करते हैं।


Conclusion:विओ-2, 60 वर्षीय नयन्ति देवी बताती हैं कि उनके जैसे कई परिवार हैं। जो कि पूरे उत्तराखंड में इस प्रकार घुमक्कड़ी जीवन जी रहे हैं। कभी समय पर मतदान के दिन अपने गांव लखीमपुर खीरी पहुंच जाएं। तो मतदान करते हैं। लेकिन आज तक उनकी सुध किसी ने नहीं ली। बुजुर्ग महिला बताती हैं कि गरीबों की कोई नहीं सोचता। उनका पूरा जीवन क्या पीढ़ियां इसी प्रकार सड़कों किनारे बीत गयी हैं। देश मे बनने वाली योजनाएं हो हर पांच साल में किसी की सरकार बन रही है। इससे इनका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं। बस एक मतदाता कार्ड बना है। कभी गांव पहुंच गए। तो वोट डाल आते हैं। साहब! बाईट- इस्लाम,घुमक्कड़ी, निवासी लखीमपुर खीरी। बाईट- नयन्ति देवी।
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