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उत्तरकाशी: राजकीय एलोपैथिक अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा, विभाग नहीं दे रहा ध्यान

सीमांत बंगाण क्षेत्र का राजकीय एलोपैथिक अस्पताल, पिछले साल आई बाढ़ में बह गया था, जिसके बाद से ये अस्पताल 8 महीने से किराए के भवन में संचालित हो रहा है. न तो यहां मेडिकल स्टाफ हैं और न ही वॉर्ड बॉय. साथ ही अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं का भी टोटा है.

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राजकीय एलोपैथिक अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
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Published : Jun 5, 2020, 7:15 AM IST

उत्तरकाशी: कोरोना महामारी वर्तमान में लगातार बढ़ती जा रही है. बावजूद इसके उत्तरकाशी जिले के सीमांत आपदा प्रभावित बंगाण क्षेत्र में स्वास्थ सुविधाएं ना के बराबर है. वहीं, बीते साल आई आपदा में राजकीय एलोपैथिक अस्पताल टिकोची बह गया था. ऐसे में पिछले 8 महीनों से अस्पताल किराए के भवन में संचालित हो रहा है. लेकिन इस अस्पताल में न मेडिकल स्टाफ है और न ही अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं.

राजकीय एलोपैथिक अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी

दरअसल, सीमांत बंगाण क्षेत्र का राजकीय एलोपैथिक अस्पताल, साल 2019 में आई बाढ़ में बह गया था. उसके बाद स्वास्थ्य विभाग इसे पिछले 8 महीने से किराए के भवन में संचालित करवा रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि ये अस्पताल हफ्ते में केवल 2 दिन ही खुलता है. यहां के दो एलोपैथिक और आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट, अन्य जगहों पर अटैच हैं. तो वहीं, वॉर्ड बॉय का कोई अता-पता नहीं रहता, जिसके कारण करीब दर्जनों गांव के लोगों को इलाज के लिए लंबी दूरी का सफर तय करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड: राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने क्वारंटाइन केंद्रों का जाना हाल

स्थानीय लोगों कि मानें तो स्वास्थ्य विभाग ने 8 महीने का भवन का किराया नहीं दिया है, जिसके कारण भवन मालिक ने अस्पताल में ताला लगा दिया. ऐसे में कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार के सभी दावों की कलई खुलती साफ नजर आ रही है.

उत्तरकाशी: कोरोना महामारी वर्तमान में लगातार बढ़ती जा रही है. बावजूद इसके उत्तरकाशी जिले के सीमांत आपदा प्रभावित बंगाण क्षेत्र में स्वास्थ सुविधाएं ना के बराबर है. वहीं, बीते साल आई आपदा में राजकीय एलोपैथिक अस्पताल टिकोची बह गया था. ऐसे में पिछले 8 महीनों से अस्पताल किराए के भवन में संचालित हो रहा है. लेकिन इस अस्पताल में न मेडिकल स्टाफ है और न ही अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं.

राजकीय एलोपैथिक अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी

दरअसल, सीमांत बंगाण क्षेत्र का राजकीय एलोपैथिक अस्पताल, साल 2019 में आई बाढ़ में बह गया था. उसके बाद स्वास्थ्य विभाग इसे पिछले 8 महीने से किराए के भवन में संचालित करवा रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि ये अस्पताल हफ्ते में केवल 2 दिन ही खुलता है. यहां के दो एलोपैथिक और आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट, अन्य जगहों पर अटैच हैं. तो वहीं, वॉर्ड बॉय का कोई अता-पता नहीं रहता, जिसके कारण करीब दर्जनों गांव के लोगों को इलाज के लिए लंबी दूरी का सफर तय करना पड़ता है.

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स्थानीय लोगों कि मानें तो स्वास्थ्य विभाग ने 8 महीने का भवन का किराया नहीं दिया है, जिसके कारण भवन मालिक ने अस्पताल में ताला लगा दिया. ऐसे में कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार के सभी दावों की कलई खुलती साफ नजर आ रही है.

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