उत्तरकाशी: भड़वाटी ब्लॉक अंतर्गत बाड़ागड्डी क्षेत्र में आयोजित हरि महाराज दुधगाड़ू फुलाई मेले में देव डोलियों ने नृत्य किया. साथ ही देवताओं के पश्वाओं ने डेढ़ कुंतल दूध से स्नान किया. मेले में ग्रामीणों ने अपने आराध्य देव हरिमहाराज की डोली के साथ खंद्वारी देवी और नाग देवता डोली की विधिविधान से पूजा-अर्चना की.
मेले में ग्रामीण ढोल नगाड़ों के साथ रासों और तांदी नृत्य में जमकर झूमें. मेले में यमुनोत्री क्षेत्र के सप्तऋषि कुंड से लाए ब्रह्मकमलों से देव डोलियों की पूजा-अर्चना की गई. बाड़ागड्डी पट्टी के मुस्टिकसौड़, बोंगाड़ी, कुरोली, कंकराड़ी, थलन, मस्ताड़ी, मानपुर, किशनपुर, बोंगा, भेलुडा, कोटी, लदाड़ी और कन्सेण समेत कई गांवों के ग्रामीणों ने करीब डेढ़ कुंतल दूध जमा किया. जमा दूध से ग्रामीणों ने विधिविधान से देव डोलियों और हरिमहाराज पश्वा का दुग्धाभिषेक किया. ग्रामीणों ने अपने आराध्य देव के दर्शन कर उनसे अपने परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की.
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वहीं दूसरी ओर उत्त्तरकाशी जनपद की सीमा से लगे जौनपुर ब्लॉक के नागटिब्बा इड्वालस्यू पट्टी के 15 गांव में श्री नागदेवता की उत्सव डोली गांव गांव में आशीर्वाद देने के लिए निकली है. नागटिब्बा की सरतली पर बसा इड्वालस्यू पट्टी के 15 गांव के ग्रामीण भगवान श्रीनागदेवता को अपना इष्टदेव मानते हुए पूजा अर्चना करते है. कुदरत के बीच बसे इस क्षेत्र में चारो ओर खूबसूरत हरियाली देखते ही बनती है.
भटवाड़ी गांव से महज डेढ किमी की दूरी पर देवीसौड़ में बुग्याल और ताल का नजारा स्वर्ग की अनुभूति करवाता है. इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं है, नागटिब्बा ट्रैक पर हजारों पर्यटक आकर कुदरत से रूबरू होते है. इड्वालस्यू पट्टी में हर तीसरे साल श्रीनागदेवता की उत्सव डोली की झांकी 15 गाव में पहुंचती है. इस दौरान 15 दिनों तक पूरे क्षेत्र में मांस मदिरा पर पूर्णयता पर प्रतिबंध रहता है. 15 गांव के ग्रामीण इस उत्सव को बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं.