उत्तरकाशी: उत्तराखंड में चुनावी बिगुल फूंक चुका है. वहीं आम आदमी पार्टी जीत का दावा करते हुए लोगों के बीच जा रही है. हालांकि अभी कांग्रेस और भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की है. वहीं आप ने कुछ सीटों को छोड़कर अपने सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. इसी क्रम में प्रदेश की मिथक गंगोत्री सीट पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (Uttarkashi Aam Aadmi Party) गांव-गांव पहुंचकर डोर टू डोर जनसंपर्क अभियान चला रही है. लेकिन गंगोत्री सीट पर भाजपा के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त के चलते अभी तक वह वेट एंड वाच की स्थिति में है.
जानकारों की मानें तो इसका भाजपा को नुकसान झेलना पड़ सकता है. वहीं कांग्रेस अपनी जीत का दम भर रही है. वहीं आप भी अपने कुनबे को गंगोत्री में डोर टू डोर पहुंच कर तेजी से बढ़ा रही है. गंगोत्री विधानसभा की बात करें तो कांग्रेस से पूर्व में दो बार कांग्रेस से विधायक रह चुके विजयपाल सजवाण का विधायक टिकट लगभग तय माना जा रहा है. मात्र उनके नाम की पार्टी हाईकमान की ओर से औपचारिक घोषणा होनी बाकी है. वहीं आम आदमी पार्टी गंगोत्री सीट से अपने सीएम कैंडिडेट (रि) कर्नल अजय कोठियाल को मैदान में उतार चुकी है. लेकिन भाजपा में पूर्व विधायक स्व.गोपाल रावत के निधन के बाद इस बार विधायक पद के लिए दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है.
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जो कि इन दिनों टिकट की जद्दोजहद में सब देहरादून और दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. इस सब के बीच कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गंगोत्री विधानसभा में डोर टू डोर कैंपेन युद्ब स्तर पर चला रही है. कांग्रेस पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण के लिए गांव-गांव पहुंचकर वोट मांग रही है. वहीं कांग्रेस ने भी अपना चुनाव कार्यालय भी जिला मुख्यालय सहित ब्लॉक स्तर पर खोल दिये हैं. साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी अपना दम-खम अजय कोठियाल के लिए वोट मांगने के लिए झोंक दी है. कांग्रेस अपने पुराने कार्यों को लेकर तो आप जनता को उत्तराखंड नवनिर्माण के नाम पर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रही है.
गंगोत्री सीट का मिथक: गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़े इस मिथक को एक मात्र संयोग कहें या कुछ और मगर यह सच है. देश की आजाद के बाद शुरू हुए विधानसभा चुनाव से ही इस मिथक की शुरुआत हुई, जो आज तक नहीं टूटा है. इस बात को करीब 70 साल हो गए हैं. तब से ही यह मिथक बरकरार है. उत्तराखंड राज्य गठन से पहले गंगोत्री विधानसभा सीट न होकर उत्तरकाशी विधानसभा सीट हुआ करती थी. उस दौरान भी यह मिथक बरकरार था. इस मिथक के बरकरार होने का सिलसिला अभी भी जारी है