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चौथी बार टूटने की कगार पर गंगोरी वैली ब्रिज, भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के लिहाज से है काफी अहम

गंगोत्री हाईवे का गंगोरी वैली ब्रिज चौथी बार टूटने के कगार पर है. पुल के साइड पिलर और एंबेडमेंट वाहनों के भार के कारण टेढ़े हो गए हैं. बावजूद इसके पुल को ठीक करने कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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Published : Aug 10, 2019, 10:53 AM IST

Updated : Aug 10, 2019, 11:20 AM IST

चौथी बार टूटने के कगार पर गंगोरी वैली ब्रिज

उत्तरकाशी: भारत-तिब्बत अंतरराष्ट्रीय सीमा और गंगोत्री धाम को जोड़ने वाला गंगोरी वैली ब्रिज चौथी बार टूटने की कगार पर है. पुल के साइड पिलर और एंबेडमेंट वाहनों के भार के कारण टेढ़े हो गए हैं. साथ ही पुल के बीचोंबीच दबाव को महसूस किया जा सकता है. वहीं, पुल पर तैनात कर्मचारियों का कहना है कि बीआरओ के अधिकारियों को कई बार सूचना दी गई, लेकिन अब तक निरीक्षण नहीं किया गया है.

बता दें कि गंगोत्री हाईवे पर गंगोरी में बने वैली ब्रिज की भार क्षमता 40 टन है. बावजूद ये ब्रिज चौथी बार टूटने की कगार पर है. इस पुल के साइड पिलर और एबड़मेन्ट टेढ़े हो गए हैं. साथ ही पुल के बीच के हिस्से में दबाव महसूस किया जा रहा है.

चौथी बार टूटने के कगार पर गंगोरी वैली ब्रिज.

पढ़ें: मित्र पुलिस को चकमा देकर थाने से फरार हुआ स्मैक तस्कर

इससे पहले साल 2012 में अस्सी गंगा में आए तेज बहाव की वजह से ये पुल बह गया था. जिसके बाद बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन ने गंगोरी में 190 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया, जोकि दिसम्बर 2017 में वाहनों के दबाव के कारण टूट गया. जिस पर बीआरओ ने वहीं पर वैली पुल का निर्माण किया, लेकिन ये पुल तीन महीने बाद ही 1 अप्रैल 2018 को दोबारा टूट गया. जिसके बाद एक करोड़ रुपये की लागत से दोबारा इस ब्रिज का निर्माण किया गया.

वहीं, पुल पर तैनात जिला प्रशासन के कर्मचारी बीर सिंह ने कहा कि पुल पर लगातार भारी वाहनों के चलने के कारण पुल की स्थिति जर्जर हो गई है. यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. बीआरओ के अधिकारियों को कई बार सूचना दी गई है, लेकिन अभी तक पुल का निरीक्षण भी नहीं किया गया है.

उत्तरकाशी: भारत-तिब्बत अंतरराष्ट्रीय सीमा और गंगोत्री धाम को जोड़ने वाला गंगोरी वैली ब्रिज चौथी बार टूटने की कगार पर है. पुल के साइड पिलर और एंबेडमेंट वाहनों के भार के कारण टेढ़े हो गए हैं. साथ ही पुल के बीचोंबीच दबाव को महसूस किया जा सकता है. वहीं, पुल पर तैनात कर्मचारियों का कहना है कि बीआरओ के अधिकारियों को कई बार सूचना दी गई, लेकिन अब तक निरीक्षण नहीं किया गया है.

बता दें कि गंगोत्री हाईवे पर गंगोरी में बने वैली ब्रिज की भार क्षमता 40 टन है. बावजूद ये ब्रिज चौथी बार टूटने की कगार पर है. इस पुल के साइड पिलर और एबड़मेन्ट टेढ़े हो गए हैं. साथ ही पुल के बीच के हिस्से में दबाव महसूस किया जा रहा है.

चौथी बार टूटने के कगार पर गंगोरी वैली ब्रिज.

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इससे पहले साल 2012 में अस्सी गंगा में आए तेज बहाव की वजह से ये पुल बह गया था. जिसके बाद बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन ने गंगोरी में 190 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया, जोकि दिसम्बर 2017 में वाहनों के दबाव के कारण टूट गया. जिस पर बीआरओ ने वहीं पर वैली पुल का निर्माण किया, लेकिन ये पुल तीन महीने बाद ही 1 अप्रैल 2018 को दोबारा टूट गया. जिसके बाद एक करोड़ रुपये की लागत से दोबारा इस ब्रिज का निर्माण किया गया.

वहीं, पुल पर तैनात जिला प्रशासन के कर्मचारी बीर सिंह ने कहा कि पुल पर लगातार भारी वाहनों के चलने के कारण पुल की स्थिति जर्जर हो गई है. यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. बीआरओ के अधिकारियों को कई बार सूचना दी गई है, लेकिन अभी तक पुल का निरीक्षण भी नहीं किया गया है.

Intro:सामरिक और चारधाम यात्रा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण गंगोत्री हाइवे का गंगोरी वैली ब्रिज चौथी बार टूटने के कगार पर है। लेकिन उसके बाद भी बीआरओ की नींद नहीं टूट रही है। यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। उत्तरकाशी। भारत-तिब्बत अंतरराष्ट्रीय सीमा और गंगोत्री धाम को जोड़ने वाला गंगोरी का वैली ब्रिज चौथी बार टूटने की कगार पर आ गया है। पुल पर तैनात जिला प्रशासन के कर्मचारियों के अनुसार पुल के साइड पिलर और एबडमेन्ट भी वाहनों के तेज भार के कारण टेढ़े हो गए हैं। साथ ही पुल के बीचोंबीच दबाव साफ देखा जा सकता है। वहीं अगर बीआरओ इस पुल का जल्द ही ट्रीटमेंट या नया पुल नहीं बनाती है। तो यह पुल चौथी बार टूटेगा और एक बड़े हादसे को न्यौता दे रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि बीआरओ के अधिकारियों को दो से तीन बार सूचना दे दी है। लेकिन कोई निरीक्षण नहीं कर रहा है। गंगोरी पुल की दुदर्शा पर etv bharat की exclusive report।


Body:वीओ-1, बता दें कि गंगोत्री हाइवे पर गंगोरी में बना पुल वर्ष 2012 में अस्सी गंगा के विनाशकारी बहाव को नहीं झेल पाया और आपदा में बह गया। उसके बाद बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने गंगोरी में 190 मीटर लंबे स्पान का पुल का निर्माण किया। जो कि दिसम्बर माह वर्ष 2017 में वाहनों का दबाव झेलते-झेलते टूट गया। उसके बाद फिर बीआरओ ने वहीं पर वैली पुल का निर्माण किया। जो कि तीन माह भी नहीं चला और एक 1 अप्रैल 2018 को एक लोडेड ट्रक के भार से बीच से ही टूट गया। फिर तीसरी बार वैली 1 करोड़ की लागत से समय सीमा से पूर्व ही गंगोरी में वैली ब्रिज तैयार किया गया। जिसकी भार झमता 40 टन है। लेकिन अब फिर चौथी बार यह पुल टूटने की कगार पर है। इस पुल के साइड पिलर और एबड़मेन्ट टेढ़े और मूड गए हैं। साथ ही पुल के बीच के हिस्से में दबाव देखा जा रहा है।


Conclusion:वीओ-2, पुल पर तैनात जिला प्रशासन के कर्मचारी वीर बहादुर ने बताया कि पुल पर लगातार भारी वाहनों के चलने के कारण पुल की स्थिति जर्जर हो गई है। इस पर कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।इसके लिए बीआरओ के अधिकारियों को सूचना दे दी गई है। लेकिन कोई भी नहीं आया। बता दें कि यह पुल उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लॉक के सैकड़ों गांव सहित गंगोत्री धाम जाने और अंतरराष्ट्रीय सीमा को जोड़ने वाला पुल है। तीन बार टूटने के बाद भी आज तक बीआरओ ने पक्के पुल के निर्माण के लिए उचित कदम नहीं उठाया है। शायद अब शांसन और बीआरओ चौथी बार पुल टूटने का इंतजार कर रहा है। पुल की स्थिति जर्जर होने के बावजूद भी पुल पर वाहनों की आवाजाही हो रही है। जिससे कि कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। बाईट- वीर बहादुर,गंगोरी पुल पर तैनात कर्मचारी।
Last Updated : Aug 10, 2019, 11:20 AM IST
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