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उत्तरकाशीः अपने ही गांव में बेगाने हुए प्रवासी, छानी में क्वारंटाइन होने को मजबूर लोग

उत्तरकाशी जिले के 5 प्रवासी कोरोना से बचकर जैसे-तैसे गांव तो पहुंच गए, लेकिन नसीब तो देखिए क्वारंटाइन के लिए जंगलों में बने छानियों का सहारा लेना पड़ रहा है. शासन-प्रशासन की ओर से दावे किए जा रहे हैं कि पंचायत क्वारंटाइन में सभी प्रकार की व्यवस्थाएं की गई है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

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छानी क्वारंटाइन
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Published : May 23, 2020, 2:53 PM IST

Updated : May 23, 2020, 7:37 PM IST

उत्तरकाशीः कोरोना काल में अन्य राज्यों से प्रवासी अपने गांवों को लौट रहे हैं. लेकिन शासन और प्रशासन की लापरवाही और आधी-अधूरी तैयारियों के कारण ये लोग अपने गांव में भी बेगाने होकर रह गए हैं. इसकी बानगी डुंडा ब्लॉक में देखने को मिल रही है. जहां इन प्रवासियों को गांव के जंगल में बनी छानियों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है. जहां पर न ही शौचालय की व्यवस्था है, न ही पीने का पानी. वहीं, छानी क्वारंटाइन में रह रहे लोगों को रात में जंगली जानवरों का खतरा भी सता रहा है.

अपने ही गांव में बेगाने हुए प्रवासी.

जानकारी के मुताबिक, डुंडा ब्लॉक के उपरीकोट गांव में तीन दिन पहले ही पांच प्रवासी युवा गांव लौटे थे. स्कूल में स्थान पूरा होने के बाद अब इन्हें जंगलों में बने छानियों (जंगलों और खेतों में बनाए गए घर या गौशाला) में क्वारंटाइन रहना पड़ रहा हैं. क्वारंटाइन में रह रहे युवकों का कहना है कि उनके सोने के लिए भी स्थान नहीं है. पत्थरों के ऊपर किसी प्रकार रहना पड़ रहा है. साथ ही शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं है. जबकि, जंगल में होने के कारण जंगली जानवरों का खतरा भी बना हुआ है.

ये भी पढ़ेंः आयुर्वेदिक अस्पताल की OPD शिफ्ट, कोरोना वॉर्ड में 12 लोग क्वारंटाइन

शासन-प्रशासन की ओर से दावे किए जा रहे हैं कि पंचायत क्वारंटाइन में सभी प्रकार की व्यवस्थाएं की गई है, लेकिन उत्तरकाशी जिले की छानी क्वारंटाइन सभी दावों की हकीकत बयां कर रही हैं. ऐसे में प्रवासियों को आधी अधूरी व्यवस्थाओं के बीच क्वारंटाइन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं, मातली जिला पंचायत सदस्य मनीष राणा का कहना है कि शासन-प्रशासन की इस अनदेखी से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. प्रशासन की इस लापरवाही के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.

उत्तरकाशीः कोरोना काल में अन्य राज्यों से प्रवासी अपने गांवों को लौट रहे हैं. लेकिन शासन और प्रशासन की लापरवाही और आधी-अधूरी तैयारियों के कारण ये लोग अपने गांव में भी बेगाने होकर रह गए हैं. इसकी बानगी डुंडा ब्लॉक में देखने को मिल रही है. जहां इन प्रवासियों को गांव के जंगल में बनी छानियों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है. जहां पर न ही शौचालय की व्यवस्था है, न ही पीने का पानी. वहीं, छानी क्वारंटाइन में रह रहे लोगों को रात में जंगली जानवरों का खतरा भी सता रहा है.

अपने ही गांव में बेगाने हुए प्रवासी.

जानकारी के मुताबिक, डुंडा ब्लॉक के उपरीकोट गांव में तीन दिन पहले ही पांच प्रवासी युवा गांव लौटे थे. स्कूल में स्थान पूरा होने के बाद अब इन्हें जंगलों में बने छानियों (जंगलों और खेतों में बनाए गए घर या गौशाला) में क्वारंटाइन रहना पड़ रहा हैं. क्वारंटाइन में रह रहे युवकों का कहना है कि उनके सोने के लिए भी स्थान नहीं है. पत्थरों के ऊपर किसी प्रकार रहना पड़ रहा है. साथ ही शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं है. जबकि, जंगल में होने के कारण जंगली जानवरों का खतरा भी बना हुआ है.

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शासन-प्रशासन की ओर से दावे किए जा रहे हैं कि पंचायत क्वारंटाइन में सभी प्रकार की व्यवस्थाएं की गई है, लेकिन उत्तरकाशी जिले की छानी क्वारंटाइन सभी दावों की हकीकत बयां कर रही हैं. ऐसे में प्रवासियों को आधी अधूरी व्यवस्थाओं के बीच क्वारंटाइन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं, मातली जिला पंचायत सदस्य मनीष राणा का कहना है कि शासन-प्रशासन की इस अनदेखी से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. प्रशासन की इस लापरवाही के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.

Last Updated : May 23, 2020, 7:37 PM IST
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