उत्तरकाशी: आपदा प्रभावित आराकोट बंगाण क्षेत्र के ग्रामीणों और काश्तकारों के जख्म अभी भी हरे हैं. ग्रामीणों को शासन- प्रशासन के शुरुआती एक्शन से तो यही उम्मीद थी कि तबाह हुआ क्षेत्र जल्द ही दोबारा आबाद होगा, लेकिन दुर्भाग्य है कि आपदा के छ: महीने बाद भी प्रभावित क्षेत्र के लोग खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं. बार-बार प्रशासन के पास जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
बता दें कि, बीते साल 18 अगस्त को आराकोट क्षेत्र के कोठीगाड़ में आपदा ने जमकर कहर बरपाया था. जिसमें कई लोग काल-कवलित हो गए थे. जबकि, अभी भी कई लोग लापता बताए जा रहे हैं. इस तबाही में कई एकड़ सेब के बागीचे समेत खेती की भूमि तबाह हो गई थी. जबकि, कई लोग बेघर हो गए थे. हालांकि, शासन-प्रशासन ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में शुरुआती दौर में आपदा के जख्मों को भरने के लिए तेजी दिखाई थी, लेकिन धरातल पर अभी भी ठोस काम नहीं हो पाए हैं.
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ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन ने उन्हें उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया है. अब तो राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी कोई मांग नहीं सुनते हैं. बंगाण क्षेत्र संघर्ष समिति के लोगों का कहना है कि बीते तीन महीने पहले आपदा प्रभावित क्षेत्र के प्रभावित ग्रामीणों की शिष्ट मंडल ने सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मुलाकात कर क्षेत्र के काश्तकारों का कर्ज माफ करने और भूमिहीन किसानों को पट्टा देने की मांग की थी, लेकिन तीन महीने के बाद किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है. जिससे स्थानीय ग्रामीणों में नाराजगी है.