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उत्तरकाशी में क्रिसमस पर सामूहिक धर्मांतरण को लेकर बवाल, ईसाई मिशनरी के लोगों पर मुकदमा दर्ज

उत्तराखंड के पहाड़ी जिले उत्तरकाशी में सामूहिक धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए हिंदू संगठनों ने ईसाई मिशनरी के खिलाफ जमकर बवाल किया. इस दौरान हिंदू संगठनों ने पुरोला शहर में विरोध प्रदर्शन भी किया. पुलिस ने इस मामले में एक नामजद समेत ईसाई मिशनरी के कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है.

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ईसाई मिशनरी के लोगों पर मुकदमा दर्ज
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Published : Dec 25, 2022, 9:51 AM IST

Updated : Dec 27, 2022, 10:27 AM IST

उत्तरकाशी में क्रिसमस पर सामूहिक धर्मांतरण को लेकर बवाल

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में क्रिसमस पर सामूहिक धर्मांतरण को लेकर बवाल (Uproar over mass conversion) हुआ. मामला पुरोला इलाके का है. इस मामले में विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) ने पुलिस को तहरीर भी दी है. तहरीर के आधार पर एक नामजद सहित ईसाई मिशनरी के कुछ लोगों के खिलाफ पुलिस ने उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत मुकदमा दर्ज किया है. धर्मांतरण के खिलाफ शनिवार देर रात बीजेपी सहित विभिन्न हिंदू संगठनों के नेताओं ने जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन भी किया और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा.

जानकारी के मुताबिक, पुरोला से लगे देवढुंग क्षेत्र में शुक्रवार को एनजीओ के नव निर्मित भवन के बाहर कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. इस कार्यक्रम में एक ईसाई मिशनरी से जुड़े कुछ लोगों के साथ नेपाली मूल और स्थानीय लोग भी शामिल हुए थे. इस तरह के आयोजन की भनक लगते ही ग्रामीणों और हिंदू संगठनों के लोगों ने मौके पर पहुंचकर हंगामा किया और धर्मांतरण का आरोप लगाया. हिंदू संगठनों ने सामूहिक धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए पुलिस और प्रशासन से मामले की शिकायत की.

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ईसाई मिशनरी के लोगों पर मुकदमा दर्ज
ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी: पुरोला में धर्मांतरण की आहट पर जमकर हुआ हंगामा

हंगामा इतना बढ़ा कि लोगों ने नगर में जुलूस निकालकर कुमोला तिराहे पर चक्का जाम किया और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग. इस मामले में पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह रावत की तहरीर पर नेपाली मूल के जगदीश सहित ईसाइ मिशनरी के कुछ लोगों के खिलाफ उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत मामला पंजीकृत कर दिया है.

वहीं, हिंदू संगठनों ने मुख्यमंत्री को जो ज्ञापन भेजा है, उसमें उन्होंने कहा कि गरीब ग्रामीणों को लालच देकर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण करवाया जा रहा है. धर्मांतरण का जब कुछ लोगों ने विरोध किया तो आरोपियों ने ग्रामीणों के साथ मारपीट कर अभद्र व्यवहार किया, जिसमें कई ग्रामीण चोटिल भी हुए. उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने हेतु प्रशासन को निर्देशित करने की मांग की है.

वहीं, सीओ बड़कोट सुरेंद्र भंडारी ने बताया कि मामले को लेकर हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र रावत की तहरीर पर एक नामजद सहित ईसाइ मिशनरी के कुछ लोगों के खिलाफ उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत मामला दर्ज कर दिया है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड विधानसभा में रखा गया कठोर धर्मांतरण विरोधी विधेयक, महिला आरक्षण बिल भी पेश

उत्तराखंड में धर्मांतरण के मामले: बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में धर्मांतरण कानून में संशोधन कर उसे और कठोर बनाया है. उत्तराखंड में साल 2018 में जो धर्मांतरण कानून बनाया गया था, उसमें दोषी को 1 से 5 साल की कैद और एससी-एसटी के मामले में दो से 7 साल के कैदी की सजा था. लेकिन संशोधित कानून में सजा का प्रावधान 10 साल का किया गया है. इसके अलावा दोषी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लग सकता है. नए कानून में पीड़िता को मुआवजे का भी प्रावधान है. नया कानून कहता है कि जबरन धर्मांतरण कराने वाले को कम से कम पीड़ित को 5 लाख रुपए देने होगें.

उत्तरकाशी में क्रिसमस पर सामूहिक धर्मांतरण को लेकर बवाल

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में क्रिसमस पर सामूहिक धर्मांतरण को लेकर बवाल (Uproar over mass conversion) हुआ. मामला पुरोला इलाके का है. इस मामले में विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) ने पुलिस को तहरीर भी दी है. तहरीर के आधार पर एक नामजद सहित ईसाई मिशनरी के कुछ लोगों के खिलाफ पुलिस ने उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत मुकदमा दर्ज किया है. धर्मांतरण के खिलाफ शनिवार देर रात बीजेपी सहित विभिन्न हिंदू संगठनों के नेताओं ने जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन भी किया और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा.

जानकारी के मुताबिक, पुरोला से लगे देवढुंग क्षेत्र में शुक्रवार को एनजीओ के नव निर्मित भवन के बाहर कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. इस कार्यक्रम में एक ईसाई मिशनरी से जुड़े कुछ लोगों के साथ नेपाली मूल और स्थानीय लोग भी शामिल हुए थे. इस तरह के आयोजन की भनक लगते ही ग्रामीणों और हिंदू संगठनों के लोगों ने मौके पर पहुंचकर हंगामा किया और धर्मांतरण का आरोप लगाया. हिंदू संगठनों ने सामूहिक धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए पुलिस और प्रशासन से मामले की शिकायत की.

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ईसाई मिशनरी के लोगों पर मुकदमा दर्ज
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हंगामा इतना बढ़ा कि लोगों ने नगर में जुलूस निकालकर कुमोला तिराहे पर चक्का जाम किया और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग. इस मामले में पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह रावत की तहरीर पर नेपाली मूल के जगदीश सहित ईसाइ मिशनरी के कुछ लोगों के खिलाफ उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत मामला पंजीकृत कर दिया है.

वहीं, हिंदू संगठनों ने मुख्यमंत्री को जो ज्ञापन भेजा है, उसमें उन्होंने कहा कि गरीब ग्रामीणों को लालच देकर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण करवाया जा रहा है. धर्मांतरण का जब कुछ लोगों ने विरोध किया तो आरोपियों ने ग्रामीणों के साथ मारपीट कर अभद्र व्यवहार किया, जिसमें कई ग्रामीण चोटिल भी हुए. उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने हेतु प्रशासन को निर्देशित करने की मांग की है.

वहीं, सीओ बड़कोट सुरेंद्र भंडारी ने बताया कि मामले को लेकर हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र रावत की तहरीर पर एक नामजद सहित ईसाइ मिशनरी के कुछ लोगों के खिलाफ उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत मामला दर्ज कर दिया है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड विधानसभा में रखा गया कठोर धर्मांतरण विरोधी विधेयक, महिला आरक्षण बिल भी पेश

उत्तराखंड में धर्मांतरण के मामले: बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में धर्मांतरण कानून में संशोधन कर उसे और कठोर बनाया है. उत्तराखंड में साल 2018 में जो धर्मांतरण कानून बनाया गया था, उसमें दोषी को 1 से 5 साल की कैद और एससी-एसटी के मामले में दो से 7 साल के कैदी की सजा था. लेकिन संशोधित कानून में सजा का प्रावधान 10 साल का किया गया है. इसके अलावा दोषी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लग सकता है. नए कानून में पीड़िता को मुआवजे का भी प्रावधान है. नया कानून कहता है कि जबरन धर्मांतरण कराने वाले को कम से कम पीड़ित को 5 लाख रुपए देने होगें.

Last Updated : Dec 27, 2022, 10:27 AM IST
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