उत्तरकाशी: करीब 10 हजार से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर काम करते मजदूरों के नन्हें- मुन्ने बच्चे, जिनके लिए गरीबी और मजबूरियों के कारण स्कूल देखना एक सपना जैसा है. उन बच्चों के लिए बीआरओ के दो जवानों ने एक अनोखी क्लास शुरू की है. यह क्लास बॉर्डर रोड के किनारे पत्थरों और टेंटों के बीच लगती है. यहां बच्चे अ, आ, एबीसीडी सहित महीनों के नाम सीख रहे हैं. यह पहल BRO के जेई राहुल यादव और सूबेदार संदेश पंवार ने शुरू की है. इनकी इस पहल को अब BRO के अधिकारियों ने भी सराहा है.
पिछले 20 दिनों से भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के मजदूर सुबह होते ही काम पर निकल जाते हैं. इस दौरान उनके लिए अपने बच्चों को संभालना सबसे बड़ी चुनौती होता है, लेकिन अब ये लोग निश्चिन्त होकर काम पर जाते हैं, क्योंकि इनके बच्चे अपनी पाठशाला में पढ़ रहे हैं.
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यहां BRO के 72 RCC के जेई राहुल यादव और सूबेदार संदेश पंवार ने अनोखी क्लास शुरू की है. जहां बच्चे अपने भविष्य को संवारने के लिए अक्षर ज्ञान ले रहे हैं. इन कक्षाओं में बच्चे टेंटों के साथ ही पत्थरों के ऊपर बैठ कर पढ़ते हैं.
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36 बीआरटीएफ की 72 RCC के OC मेजर बीनू वीएस ने ईटीवी भारत को बताया कि जेई राहुल यादव और सूबेदार संदेश ने 20 दिन पहले मजदूरों के बच्चों को पढ़ाने का अभियान शुरू किया. इस क्लास में अभी 10 हजार फीट की ऊंचाई पर जांगला में 14 और करीब 13 हजार फीट की ऊंचाई पर नागा में 27 और हिंडोलीगढ़ में 34 बच्चे शिक्षा पा रहे हैं. जहां पर दोनों अधिकारियों के साथ अन्य जवान और थोड़ा पढ़े लिखे मजदूर पढ़ा रहे हैं. इस सरहानीय पहल की BRO के उच्च अधिकारी भी तारीफ कर रहे हैं.