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समय से पहले निचले इलाकों में दिखने लगे ब्लू शिप

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Published : Feb 19, 2020, 9:23 PM IST

भरल गर्मियों के बाद बरसात में हरी घास और पानी की तलाश में निचले इलाकों में पहुंचते हैं. ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी होने के कारण इस बार ये समय से पहले ही निचले इलाकों में आ गये हैं.

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समय से पहले ही निचले इलाकों में दिखने लगे ब्लू शिप

उत्तरकाशी: गंगोत्री हाईवे के आस-पास सोनगाड़ और डबरानी क्षेत्रों में भरल के झुंड देखे गए हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो भरल ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी के कारण समय से पहले ही भोजन की तलाश में निचले इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं. आमतौर पर भरल निचले इलाको में अगस्त-सितम्बर के महीने में देखे जाते हैं.

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले दुर्लभ जीवों में अगल महत्व रखने वाला ब्लू शिप (भरल) को समय से पहले ही निचले इलाकों में देखा गया है. अमूमन भरल गर्मियों के बाद बरसात में हरी घास और पानी की तलाश में निचले इलाकों में पहुंचते हैं. ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी होने के कारण इस बार ये समय से पहले ही निचले इलाकों में आ गये हैं.

समय से पहले ही निचले इलाकों में दिखने लगे ब्लू शिप

पढ़ें- आ अब लौटें: रंग ला रही मुहिम, 25 साल बाद अपर तलाई गांव तक पहुंचेगी सड़क

भरल उच्च हिमालयी क्षेत्रों के करीब 3000 मीटर और 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं. यह हमेशा करीब 15 से 20 की झुंड में रहते हैं. भरल को बर्फीले इलाकों के राजा स्नो लेपर्ड का पूरक कहा जाता है. भरल स्नो लेपर्ड का पसंदीदा भोजन होता है. स्नो लेपर्ड इसी के कारण ही ऊंचाई वाले इलाकों में जिंदा रहता है.

पढ़ें- 'बंदेया तू मुंह मोड़ के ना जा, बंदेया दहलीज लांघ के ना जा, छोड़ गया तू किस के सहारे'....आ अब लौटें

पिछले साल अगस्त-सितम्बर महीने में निचले क्षेत्रों में भरले दिखाई दिये थे. जिसके बाद इस साल फरवरी में सोनगाड़ के पास भरल देखे गए. बता दें कि कुछ साल पहले वन मंत्रालय ने भरलों की संख्या बढ़ाने के लिए एक विशेष अभियान चलाया था.

उत्तरकाशी: गंगोत्री हाईवे के आस-पास सोनगाड़ और डबरानी क्षेत्रों में भरल के झुंड देखे गए हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो भरल ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी के कारण समय से पहले ही भोजन की तलाश में निचले इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं. आमतौर पर भरल निचले इलाको में अगस्त-सितम्बर के महीने में देखे जाते हैं.

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले दुर्लभ जीवों में अगल महत्व रखने वाला ब्लू शिप (भरल) को समय से पहले ही निचले इलाकों में देखा गया है. अमूमन भरल गर्मियों के बाद बरसात में हरी घास और पानी की तलाश में निचले इलाकों में पहुंचते हैं. ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी होने के कारण इस बार ये समय से पहले ही निचले इलाकों में आ गये हैं.

समय से पहले ही निचले इलाकों में दिखने लगे ब्लू शिप

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भरल उच्च हिमालयी क्षेत्रों के करीब 3000 मीटर और 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं. यह हमेशा करीब 15 से 20 की झुंड में रहते हैं. भरल को बर्फीले इलाकों के राजा स्नो लेपर्ड का पूरक कहा जाता है. भरल स्नो लेपर्ड का पसंदीदा भोजन होता है. स्नो लेपर्ड इसी के कारण ही ऊंचाई वाले इलाकों में जिंदा रहता है.

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पिछले साल अगस्त-सितम्बर महीने में निचले क्षेत्रों में भरले दिखाई दिये थे. जिसके बाद इस साल फरवरी में सोनगाड़ के पास भरल देखे गए. बता दें कि कुछ साल पहले वन मंत्रालय ने भरलों की संख्या बढ़ाने के लिए एक विशेष अभियान चलाया था.

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