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इस बार 25-26 नवंबर को मनाई जाएगी मंगसीर की बग्वाल, श्रीराम से जुड़ी है मान्यता

उत्तरकाशी के विभिन्न गांवों में मनाई जाने वाली मंगसीर की बग्वाल देश में मनाई जाने वाली दीपावली के एक महीने बाद मनाई जाती है. इस बार आगामी 25 और 26 नवंबर को बग्वाल मनाई जाएगी.

bagwal in uttarkashi
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Published : Nov 19, 2019, 8:25 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 8:50 PM IST

उत्तरकाशीः गढ़वाल की पौराणिक मंगसीर की बग्वाल की तैयारी पूरी हो चुकी है. इस बार देश के विभिन्न प्रदेशों से प्रवासी उत्तरकाशी मंगसीर की बग्वाल मनाने पहुंचेंगे. जबकि, बग्वाल में नई थीम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी खिलाओ के साथ आने वाली पीढ़ी को देवभूमि की संस्कृति से भी रूबरू करावाया जाएगा. उत्तरकाशी के विभिन्न गांव में मनाई जाने वाली मंगसीर की बग्वाल देश में मनाई जाने वाली दीपावली के एक महीने बाद मनाई जाती है.

ये भी पढ़ेंः मातृ सदन ने कुंभ मेला क्षेत्र को केंद्र शासित करने की रखी मांग, विधायक पर लगाए गंभीर आरोप

ये है मान्यता-
श्रीराम जब वनवास काट कर वापस लौटे थे. उसके एक महीने बाद पहाड़ों में श्री राम के अयोध्या लौटने की सूचना मिली थी. इसलिए पहाड़ में एक महीने बाद मंगसीर की बग्वाल मनाई जाती है. दूसरी मान्यता के अनुसार वीर भड़ माधो सिंह भंडारी अपना युद्ध जीतकर घर लौटे थे. जिसके बाद पहाड़ के लोगों ने अपने सेनापति की जीत में यह बग्वाल मनाई थी.

उत्तरकाशी में मंगसीर की बग्वाल.

ये भी पढे़ंः खुशखबरी: सहायक अध्यापकों के 1431 पदों पर जल्द होगी भर्ती

इस बार 25 और 26 नवंबर को बग्वाल मनाई जाएगी. मंगसीर की बग्वाल के आयोजनकर्ता अनघा माउंटेन एसोसिएशन इस बार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम करेगी. जिसमें बेटियां गढ़ निंबध समेत अन्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करेंगी. जिससे नई पीढ़ी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर अपनी संस्कृति को पहचान सके. वहीं, इस बार गढ़ संग्रहालय को भी वृहद रूप दिया गया है. क्योंकि, इस बार ज्यादा से ज्यादा पौराणिक वस्तुओं का संग्रह किया गया है. साथ ही गढ़ भोज में इस बार स्थानीय पकवानों की औषधीय खूबियों की जानकारी के साथ उसका प्रदर्शन भी किया जाएगा.

उत्तरकाशीः गढ़वाल की पौराणिक मंगसीर की बग्वाल की तैयारी पूरी हो चुकी है. इस बार देश के विभिन्न प्रदेशों से प्रवासी उत्तरकाशी मंगसीर की बग्वाल मनाने पहुंचेंगे. जबकि, बग्वाल में नई थीम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी खिलाओ के साथ आने वाली पीढ़ी को देवभूमि की संस्कृति से भी रूबरू करावाया जाएगा. उत्तरकाशी के विभिन्न गांव में मनाई जाने वाली मंगसीर की बग्वाल देश में मनाई जाने वाली दीपावली के एक महीने बाद मनाई जाती है.

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ये है मान्यता-
श्रीराम जब वनवास काट कर वापस लौटे थे. उसके एक महीने बाद पहाड़ों में श्री राम के अयोध्या लौटने की सूचना मिली थी. इसलिए पहाड़ में एक महीने बाद मंगसीर की बग्वाल मनाई जाती है. दूसरी मान्यता के अनुसार वीर भड़ माधो सिंह भंडारी अपना युद्ध जीतकर घर लौटे थे. जिसके बाद पहाड़ के लोगों ने अपने सेनापति की जीत में यह बग्वाल मनाई थी.

उत्तरकाशी में मंगसीर की बग्वाल.

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इस बार 25 और 26 नवंबर को बग्वाल मनाई जाएगी. मंगसीर की बग्वाल के आयोजनकर्ता अनघा माउंटेन एसोसिएशन इस बार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम करेगी. जिसमें बेटियां गढ़ निंबध समेत अन्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करेंगी. जिससे नई पीढ़ी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर अपनी संस्कृति को पहचान सके. वहीं, इस बार गढ़ संग्रहालय को भी वृहद रूप दिया गया है. क्योंकि, इस बार ज्यादा से ज्यादा पौराणिक वस्तुओं का संग्रह किया गया है. साथ ही गढ़ भोज में इस बार स्थानीय पकवानों की औषधीय खूबियों की जानकारी के साथ उसका प्रदर्शन भी किया जाएगा.

Intro:उत्तरकाशी। गढ़वाल की पौराणिक मंगशीर्ष की बग्वाल की तैयारी लगभग पूरी हो चुके हैं। तो वहीं इस वर्ष देश के विभिन्न प्रदेशों से प्रवासी भी उत्तरकाशी मंगशीर्ष की बग्वाल मनाने पहुंचेंगे। साथ ही मंगशीर्ष की बग्वाल के आयोजनकर्ता अनघा माउंटेन एसोसिएशन इस बार नई थीम बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ और बेटी खिलाओ के साथ आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति से रूबरू करवाएंगे। जिसमें बेटियां गढ़ निंबध सहित अन्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करेंगे। जिससे कि नई पीढ़ी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर अपनी संस्कृति के रूप को पहचान सकें।Body:वीओ-1, उत्तरकाशी के विभिन्न गांव में मनाई जाने वाली मंगशीर्ष की बग्वाल देश मे मनाई जाने वाली दीपावली के एक माह बाद मनाई जाती है। इसके साथ मान्यता है कि जब श्री राम वनवास काट कर वापस लौटे थे। उसके एक बाद पहाड़ो में श्री राम के अयोध्या लौटने की सूचना मिली थी। इसलिए पहाड़ में एक माह बाद मंगशीर्ष कि बग्वाल मनाई जाती है। साथ है दूसरी मान्यता के अनुसार वीर भड़ माधो सिंह भण्डारी अपना युद्ध जीतकर घर लौटे थे। इसलिए पहाड़ के लोगों ने अपने सेनापति की जीत में यह बग्वाल मनाई थी। Conclusion:वीओ-2, इस वर्ष भी अनघा माउंटेन एसोसिएशन की और से 25 और 26 नवम्बर को मनाई जाएगी। साथ ही इस वर्ष गढ़ संग्रहालय को भी वृहद रूप दिया गया है। क्योंकि इस वर्ष अधिक से अधिक पौराणिक वस्तुओं का संग्रह किया गया है। साथ ही गढ़ भोज में इस बार स्थानीय पकवानों की औषधीय खूबियों की जानकारी के साथ उसका प्रदर्शन किया जाएगा। बाईट- अजय पुरी, सयोंजक,अनघा माउंटेन एसोसिएशन।
Last Updated : Nov 19, 2019, 8:50 PM IST
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