ETV Bharat / state

उत्तरकाशी: सूखे पेड़ों के सहारे ग्रामीणों की जिंदगी, आपदा के 8 साल बाद भी पुलिया नसीब नहीं

2012 की आपदा को बीते 8 साल हो गए हैं. लेकिन अस्सी गंगा घाटी में आज तक पुलिया का निर्माण नहीं हो सकता है. जिसकी वजह से ग्रामीण खुद सूखे पेड़ से अस्थायी पुलिया का निर्माण करा रहे हैं.

Villagers have themselves
आपदा के 8 साल बाद भी नहीं बनी पुलिया
author img

By

Published : Aug 4, 2020, 3:30 PM IST

उत्तरकाशी: 2012 की आपदा के बाद आज भी अस्सी गंगा घाटी के हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं. आपदा में क्षतिग्रस्त मार्ग और बहे पुल-पुलियों का आज तक निर्माण नहीं हो पाया है. इसी क्रम में अगोड़ा गांव के ग्रामीणों ने डोडीताल ट्रैक पर बेवरा नामे तोक में अपनी आवाजाही के लिए अस्थायी पुल का निर्माण किया है.

making a drought-like bridge
पुलिया बनाने की तैयारी में ग्रामीण.

विश्व प्रसिद्ध डोडीताल ट्रैक के पास 2012 की आपदा के दौरान जडिगाड़ का पुल बह गया था. यह पुल डोडीताल पर्यटन दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था. आठ वर्षों से इस पुल का निर्माण नहीं हो पाया था. इसलिए ग्रामीण हर वर्ष यहां पर श्रमदान से अस्थायी पुलिया का निर्माण करते हैं. जो हर वर्ष भारी बारिश के दौरान बह जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि आखिर कब तक इसी प्रकार अस्थायी पुलों का निर्माण करना पड़ेगा.

सूखे पेड़ों के सहारे ग्रामीणों की जिंदगी.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर आंदोलन की यादें: मुलायम ने कहा था- 'परिंदा पर नहीं मार सकता'

2012 की आपदा के दौरान विश्व प्रसिद्ध डोडीताल और अस्सी गंगा के चार गांव अगोड़ा, भंकोली, ढासड़ा, दंडालका गांव को जोड़ने वाला संगमचट्टी से अगोड़ा तक 5 किमी पैदल ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसका निर्माण आज तक नहीं हो पाया. बारिश के सीजन में ग्रामीण क्षतिग्रस्त रास्तों पर जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है.

उत्तरकाशी: 2012 की आपदा के बाद आज भी अस्सी गंगा घाटी के हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं. आपदा में क्षतिग्रस्त मार्ग और बहे पुल-पुलियों का आज तक निर्माण नहीं हो पाया है. इसी क्रम में अगोड़ा गांव के ग्रामीणों ने डोडीताल ट्रैक पर बेवरा नामे तोक में अपनी आवाजाही के लिए अस्थायी पुल का निर्माण किया है.

making a drought-like bridge
पुलिया बनाने की तैयारी में ग्रामीण.

विश्व प्रसिद्ध डोडीताल ट्रैक के पास 2012 की आपदा के दौरान जडिगाड़ का पुल बह गया था. यह पुल डोडीताल पर्यटन दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था. आठ वर्षों से इस पुल का निर्माण नहीं हो पाया था. इसलिए ग्रामीण हर वर्ष यहां पर श्रमदान से अस्थायी पुलिया का निर्माण करते हैं. जो हर वर्ष भारी बारिश के दौरान बह जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि आखिर कब तक इसी प्रकार अस्थायी पुलों का निर्माण करना पड़ेगा.

सूखे पेड़ों के सहारे ग्रामीणों की जिंदगी.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर आंदोलन की यादें: मुलायम ने कहा था- 'परिंदा पर नहीं मार सकता'

2012 की आपदा के दौरान विश्व प्रसिद्ध डोडीताल और अस्सी गंगा के चार गांव अगोड़ा, भंकोली, ढासड़ा, दंडालका गांव को जोड़ने वाला संगमचट्टी से अगोड़ा तक 5 किमी पैदल ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसका निर्माण आज तक नहीं हो पाया. बारिश के सीजन में ग्रामीण क्षतिग्रस्त रास्तों पर जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.