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घाटे से जूझ रहा टनकपुर रोडवेज डिपो, अंतरराज्यीय रूटों पर संचालन की दरकार - टनकपुर रोडवेज डिपो से अंतरराज्यीय रूट बस संचालन

कोरोना महामारी के चलते टनकपुर रोडवेज डिपो को घाटे से जूझना पड़ रहा है. अभी डिपो से 17 गाड़ियां संचालित की जा रही है. डिपो के घाटे में चलने के कारण कर्मचारियों की तनख्वाह देने की भी लाले पड़ गए हैं.

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टनकपुर रोडवेज डिपो
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Published : Sep 26, 2020, 3:57 PM IST

खटीमाः कोरोनाकाल में ट्रांसपोर्ट सेक्टर घाटे में चल रहा है. उत्तराखंड परिवहन निगम भी इससे अछूता नहीं है. कोविड-19 के चलते निगम बुरे दौर से गुजर रहा है. टनकपुर डिपो की बात करें तो अनलॉक-1 में जहां 10 से 12 लोकल बस सेवाएं राज्य सरकार के निर्देश पर संचालित की जा रही थी. जिससे रोजाना मात्र 40 से 50 हजार की आमदनी हो पा रही थी. वहीं, अब अनलॉक-4 में पांच नए रूटों पर 5 नई गाड़ियां संचालित की जा रही है. जिसके बाद डिपो की रोजाना आमदनी एक लाख पच्चीस हजार हो गई है. इसके बावजूद रोडवेज घाटे में है.

घाटे से जूझ रहा टनकपुर रोडवेज डिपो.

टनकपुर रोडवेज के एआरएम कृष्ण सिंह राणा की मानें तो जब तक बसों को पूरे राज्य या राज्य से बाहर चलाने की अनुमति नहीं मिलेगी. तबतक रोडवेज की हालत खस्ता ही रहेगी. उनका कहना है कि मार्च में लॉकडाउन के बाद टनकपुर डिपो की बस सेवाओं को बंद कर दिया गया था. जबकि, लॉकडाउन से पहले तक 80 बसें संचालित हो रही थी. उस दौरान रोजाना 14 से 15 लाख की इनकम हो रही थी. वहीं, बाद में अनलॉक-1 में कुछ लोकल सेवाओं को चलाने के निर्देश के बाद से 10 से 12 बस सेवाओं को संचालित किया जा रहा था. जिससे डिपो को होने वाली इनकम मात्र 40 से 50 हजार होकर रह गई थी.

ये भी पढ़ेंः अंतरराज्यीय बसों के संचालन को मिली सीएम की हरी झंडी, जल्द जारी होगी SOP

वहीं, उन्होने बताया कि अनलॉक-4 में 5 नए रूटों पर 5 नई गाड़ियां संचालित की गई है. ऐसे में अब कुल 17 गाड़ियां संचालित की जा रही है. जिससे आमदनी पचास हजार से बढ़कर एक लाख पच्चीस हजार रोजाना हो गई है. फिर भी टनकपुर डिपो तो काफी घाटा हो रहा है. फिलहाल, टनकपुर डिपो की बसों को राज्य के अन्य रूटों पर राज्य से बाहर दूसरे राज्यों पर चलने की स्थिति में ही सही हो सकती है. जिस कारण टनकपुर डिपो के घाटे में चलने के कारण कर्मचारियों की तनख्वाह देने में भी काफी दिक्कतें आ रही है.

खटीमाः कोरोनाकाल में ट्रांसपोर्ट सेक्टर घाटे में चल रहा है. उत्तराखंड परिवहन निगम भी इससे अछूता नहीं है. कोविड-19 के चलते निगम बुरे दौर से गुजर रहा है. टनकपुर डिपो की बात करें तो अनलॉक-1 में जहां 10 से 12 लोकल बस सेवाएं राज्य सरकार के निर्देश पर संचालित की जा रही थी. जिससे रोजाना मात्र 40 से 50 हजार की आमदनी हो पा रही थी. वहीं, अब अनलॉक-4 में पांच नए रूटों पर 5 नई गाड़ियां संचालित की जा रही है. जिसके बाद डिपो की रोजाना आमदनी एक लाख पच्चीस हजार हो गई है. इसके बावजूद रोडवेज घाटे में है.

घाटे से जूझ रहा टनकपुर रोडवेज डिपो.

टनकपुर रोडवेज के एआरएम कृष्ण सिंह राणा की मानें तो जब तक बसों को पूरे राज्य या राज्य से बाहर चलाने की अनुमति नहीं मिलेगी. तबतक रोडवेज की हालत खस्ता ही रहेगी. उनका कहना है कि मार्च में लॉकडाउन के बाद टनकपुर डिपो की बस सेवाओं को बंद कर दिया गया था. जबकि, लॉकडाउन से पहले तक 80 बसें संचालित हो रही थी. उस दौरान रोजाना 14 से 15 लाख की इनकम हो रही थी. वहीं, बाद में अनलॉक-1 में कुछ लोकल सेवाओं को चलाने के निर्देश के बाद से 10 से 12 बस सेवाओं को संचालित किया जा रहा था. जिससे डिपो को होने वाली इनकम मात्र 40 से 50 हजार होकर रह गई थी.

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वहीं, उन्होने बताया कि अनलॉक-4 में 5 नए रूटों पर 5 नई गाड़ियां संचालित की गई है. ऐसे में अब कुल 17 गाड़ियां संचालित की जा रही है. जिससे आमदनी पचास हजार से बढ़कर एक लाख पच्चीस हजार रोजाना हो गई है. फिर भी टनकपुर डिपो तो काफी घाटा हो रहा है. फिलहाल, टनकपुर डिपो की बसों को राज्य के अन्य रूटों पर राज्य से बाहर दूसरे राज्यों पर चलने की स्थिति में ही सही हो सकती है. जिस कारण टनकपुर डिपो के घाटे में चलने के कारण कर्मचारियों की तनख्वाह देने में भी काफी दिक्कतें आ रही है.

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