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उत्तराखंड@19: राज्य आंदोलनकारी बोले- कब बनेगा सपनों का राज्य?

राज्य निर्माण के 19 साल बाद भी राज्य आंदोलनकारी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. खटीमा में राज्य आंदोलन को अपना खून देकर सींचने वाले शहीद आंदोलनकारियों की याद में स्मारक बनाया गया था, लेकिन रखरखाव के अभाव में वह भी बदहाल नजर आ रहा है.

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस
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Published : Nov 6, 2019, 9:44 PM IST

Updated : Nov 6, 2019, 11:32 PM IST

खटीमाः आगामी 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य को बने 19 साल हो जाएंगे. कई सालों के संघर्ष और आंदोलन के बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर पहाड़ी प्रदेश का गठन हुआ था. जिन हक-हकूकों के लिए प्रदेश की मांग की गई थी. वो आज भी राज्यवासियों को नहीं मिल पाया है. वहीं, राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि इन 19 सालों में कई सरकारें बदलीं, लेकिन तस्वीर नहीं बदली. कोई भी सरकार सपनों का उत्तराखंड नहीं बना पाए हैं.

उत्तराखंड राज्य के 19 साल पर राज्य आंदोलनकारियों ने रखी अपनी बात.

पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी राज्य के काम आए. इन उद्देश्यों को लेकर उत्तराखंड राज्य के आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड आज भी नहीं बन पाया है. ऐसे में राज्य निर्माण के 19 साल बाद भी राज्य आंदोलनकारी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड@19: सत्ता के लालच में भटका 'विकास', कुर्सी के मोह में फंसे तारणहार

राज्य निर्माण की लड़ाई में खटीमा में हुए गोलीकांड में सात आंदोलनकारी शहीद हुए थे. जबकि, सैकड़ों आंदोलनकारी घायल हुए थे, लेकिन इतनी लंबी लड़ाई और शहादत के बावजूद इन 19 सालों में राज्य निर्माण की अवधारणा आज भी अधूरी लगती है. राज्य आंदोलन में भाग लेने वाले आंदोलकारी आज भी हताश नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः स्थापना दिवस: 19 साल बाद भी सिसकते राज्य आंदोलनकारी, सपना आज भी अधूरा

राज्य आंदोलनकारियों का साफ तौर पर कहना है कि अलग राज्य का गठन इसलिए किया गया था कि प्रदेश का विकास होगा, पहाड़ की बात होगी लेकिन इन 19 सालों में ऐसा कुछ नहीं हुआ. खटीमा में राज्य आंदोलन को अपना खून देकर सींचने वाले राज्य आंदोलनकारियों की याद में एक शहीद स्मारक बनाया गया था, लेकिन रखरखाव के अभाव में बदहाल नजर आ रही है.

ये भी पढ़ेंः जल्द बहुरेंगे दूनवासियों के दिन, शुरू होगा स्मार्ट सिटी पर काम

उनका कहना है कि पहाड़ के जल, जंगल और जमीन सरकार की ओर से बर्बाद किए जा रहे हैं. पहाड़ में पलायन नहीं रुक रहा है, पहाड़ के हजारों गांव आज खाली होते जा रहे हैं. पलायन रोकने की बात करने वाले नेता पहाड़ से पलायन कर शहरों में बस रहे हैं. पहाड़ की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है.

खटीमाः आगामी 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य को बने 19 साल हो जाएंगे. कई सालों के संघर्ष और आंदोलन के बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर पहाड़ी प्रदेश का गठन हुआ था. जिन हक-हकूकों के लिए प्रदेश की मांग की गई थी. वो आज भी राज्यवासियों को नहीं मिल पाया है. वहीं, राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि इन 19 सालों में कई सरकारें बदलीं, लेकिन तस्वीर नहीं बदली. कोई भी सरकार सपनों का उत्तराखंड नहीं बना पाए हैं.

उत्तराखंड राज्य के 19 साल पर राज्य आंदोलनकारियों ने रखी अपनी बात.

पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी राज्य के काम आए. इन उद्देश्यों को लेकर उत्तराखंड राज्य के आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड आज भी नहीं बन पाया है. ऐसे में राज्य निर्माण के 19 साल बाद भी राज्य आंदोलनकारी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

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राज्य निर्माण की लड़ाई में खटीमा में हुए गोलीकांड में सात आंदोलनकारी शहीद हुए थे. जबकि, सैकड़ों आंदोलनकारी घायल हुए थे, लेकिन इतनी लंबी लड़ाई और शहादत के बावजूद इन 19 सालों में राज्य निर्माण की अवधारणा आज भी अधूरी लगती है. राज्य आंदोलन में भाग लेने वाले आंदोलकारी आज भी हताश नजर आ रहे हैं.

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राज्य आंदोलनकारियों का साफ तौर पर कहना है कि अलग राज्य का गठन इसलिए किया गया था कि प्रदेश का विकास होगा, पहाड़ की बात होगी लेकिन इन 19 सालों में ऐसा कुछ नहीं हुआ. खटीमा में राज्य आंदोलन को अपना खून देकर सींचने वाले राज्य आंदोलनकारियों की याद में एक शहीद स्मारक बनाया गया था, लेकिन रखरखाव के अभाव में बदहाल नजर आ रही है.

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उनका कहना है कि पहाड़ के जल, जंगल और जमीन सरकार की ओर से बर्बाद किए जा रहे हैं. पहाड़ में पलायन नहीं रुक रहा है, पहाड़ के हजारों गांव आज खाली होते जा रहे हैं. पलायन रोकने की बात करने वाले नेता पहाड़ से पलायन कर शहरों में बस रहे हैं. पहाड़ की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है.

Intro:summary- 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य को बने 19 साल हो जाएंगे। इन 19 सालों में राज्य ने विकास तो किया लेकिन सरकार ने आय के प्रमुख स्रोत के रूप में शराब के कारोबार को चुना है। जिससे राज्य आंदोलन में शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों के सपने आज भी अधूरे लगते हैं।

नोट-खबर एफटीपी में - kab banega sapno ka rajay- नाम के फोल्डर में है।

एंकर- पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी राज्य के काम आए। इन उद्देश्यों को लेकर उत्तराखंड राज्य के आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड आज भी उनकी सोच से काफी दूर है। आज भी रोजगार के लिए राज्य का व्यक्ति दूसरे राज्यों की तरफ रुख कर रहा है।


Body:वीओ- 9 नवंबर को हम उत्तराखंड राज्य का 19वां स्थापना दिवस मनाने जा रहे हैं। वही राज्य सरकार ने भी इस बार एक सप्ताह तक राज्य स्थापना दिवस मनाने का निर्णय लिया हैं। राज्य निर्माण के लिए सबसे पहले शहादत देने वाले खटीमा राज्य के राज्य आंदोलनकारी राज्य निर्माण के 19 वर्ष बाद भी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। राज्य निर्माण की लड़ाई में खटीमा में हुए गोलीकांड में सात आंदोलनकारी शहीद हुए थे, वही सैकड़ों राज्य आंदोलनकारी घायल हुए थे। लेकिन इतनी लंबी लड़ाई और शहादत के बावजूद इन 19 सालों में राज्य के निर्माण की अवधारणा की बात करें तो वह आज भी अधूरी लगती है। राज्य आंदोलनकारियों के अनुसार जिस विकास के सपने को लेकर हमने पृथक राज्य की मांग की थी वह वर्तमान परिपेक्ष में अधूरे लगते हैं। राज्य में तमाम सरकारें आई व गई लेकिन आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड आज तक कोई भी सरकार नहीं दे पाई है।
वही खटीमा में राज्य आंदोलन को अपना खून देकर सीचने वाले राज्य आंदोलनकारियों की याद में एक शहीद स्मारक बनाया गया था। जिसके रखरखाव की जिम्मेदारी नगर पालिका खटीमा को दी गई थी। परंतु शहीद स्मारक के चारों तरफ बकरियां चरती नजर दिखाई देती है, और गंदगी भी दिखाई देती है। जिसको लेकर राज्य आंदोलनकारियों में भारी आक्रोश है।

बाइट- हरीश मेहरा राज्य आंदोलनकारी

बाइट- आकर्षण भटनागर राज्य आंदोलनकारी


Conclusion:
Last Updated : Nov 6, 2019, 11:32 PM IST
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