खटीमाः आगामी 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य को बने 19 साल हो जाएंगे. कई सालों के संघर्ष और आंदोलन के बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर पहाड़ी प्रदेश का गठन हुआ था. जिन हक-हकूकों के लिए प्रदेश की मांग की गई थी. वो आज भी राज्यवासियों को नहीं मिल पाया है. वहीं, राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि इन 19 सालों में कई सरकारें बदलीं, लेकिन तस्वीर नहीं बदली. कोई भी सरकार सपनों का उत्तराखंड नहीं बना पाए हैं.
पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी राज्य के काम आए. इन उद्देश्यों को लेकर उत्तराखंड राज्य के आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड आज भी नहीं बन पाया है. ऐसे में राज्य निर्माण के 19 साल बाद भी राज्य आंदोलनकारी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.
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राज्य निर्माण की लड़ाई में खटीमा में हुए गोलीकांड में सात आंदोलनकारी शहीद हुए थे. जबकि, सैकड़ों आंदोलनकारी घायल हुए थे, लेकिन इतनी लंबी लड़ाई और शहादत के बावजूद इन 19 सालों में राज्य निर्माण की अवधारणा आज भी अधूरी लगती है. राज्य आंदोलन में भाग लेने वाले आंदोलकारी आज भी हताश नजर आ रहे हैं.
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राज्य आंदोलनकारियों का साफ तौर पर कहना है कि अलग राज्य का गठन इसलिए किया गया था कि प्रदेश का विकास होगा, पहाड़ की बात होगी लेकिन इन 19 सालों में ऐसा कुछ नहीं हुआ. खटीमा में राज्य आंदोलन को अपना खून देकर सींचने वाले राज्य आंदोलनकारियों की याद में एक शहीद स्मारक बनाया गया था, लेकिन रखरखाव के अभाव में बदहाल नजर आ रही है.
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उनका कहना है कि पहाड़ के जल, जंगल और जमीन सरकार की ओर से बर्बाद किए जा रहे हैं. पहाड़ में पलायन नहीं रुक रहा है, पहाड़ के हजारों गांव आज खाली होते जा रहे हैं. पलायन रोकने की बात करने वाले नेता पहाड़ से पलायन कर शहरों में बस रहे हैं. पहाड़ की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है.