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आयुष्मान योजना घोटालाः निरस्त नहीं होगी दर्ज FIR, कोर्ट के आदेश पर होगी अग्रिम कार्रवाई

उधम सिंह नगर के सभी सूचीबद्ध निजी अस्पतालों के खिलाफ अटल आयुष्मान योजना के राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष दिलीप कोटिया ने पुलिस महानिदेशक देहरादून को एक पत्र लिखा था.

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Published : Nov 23, 2019, 8:58 PM IST

Updated : Nov 23, 2019, 9:17 PM IST

ayushman scheme scam

काशीपुरः अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में घोटाले को लेकर दर्ज एफआईआर निरस्त नहीं की जा रही है. मामले में लगातार हो रही छीछालेदर से राज्य के अटल आयुष्मान योजना के अधिकारी बैकफुट पर आ गए हैं. राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष दिलीप कोटिया ने पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखकर कथित आरोपी अस्पतालों पर लगाए गए जुर्माना राशि जमा होने के बाद उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस लेने की मांग की है. वहीं, पुलिस अब न्यायालय के आदेश के बाद ही आगे की कार्रवाई करने की बात कह रही है.

अटल आयुष्मान योजना घोटाले में निरस्त नहीं होगी दर्ज एफआईआर.

बता दें कि आयुष्मान घोटाले में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही के चलते यह घोटाला हुआ. जिन अस्पतालों को आयुष्मान योजना के अधिकारियों ने ही प्रशस्ति पत्र दिए और उनके बिल पास किए. उन्हीं अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराके खुद इस योजना के अधिकारी फंसते नजर आ रहे थे. इसके अलावा मामला और चर्चाओं के केंद्र में आया जब इस मामले में सबसे लंबी एफआईआर दर्ज होने का शोर मचा.

ये भी पढ़ेंः एनएच-74 घोटाले में SIT फरार किसानों पर कस सकती है शिकंजा

अटल आयुष्मान योजना के राज्य स्वास्थ्य अभिकरण कार्यालय के मुताबिक, उधम सिंह नगर में इस योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों में आस्था हॉस्पिटल काशीपुर पर 168200 रुपये, कृष्णा अस्पताल रुद्रपुर पर 167400 रुपये, अली नर्सिंग होम काशीपुर पर 478800 रुपये, देवकीनंदन अस्पताल काशीपुर पर 324550 रुपये और एमपी मेमोरियल अस्पताल काशीपुर पर 1852700 रुपये का जुर्माना लगाया गया था.

जिसके बाद उधम सिंह नगर के सभी सूचीबद्ध निजी अस्पतालों के खिलाफ अटल आयुष्मान योजना के राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष दिलीप कोटिया ने पुलिस महानिदेशक देहरादून को एक पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने कहा है कि कथित आरोपी अस्पतालों पर लगाए गए जुर्माना राशि जमा होने के बाद उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर की आवश्यकता नहीं रह गई है.

वहीं, अपर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि इस मामले में विवेचना अभी भी जारी है. अभियोग पंजीकृत होने के बाद न्यायालय से ही एफआईआर वापस लेने की प्रक्रिया हो सकती है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस मुख्यालय से अभी तक FIR वापस लेने का उन्हें कोई आदेश नहीं मिला है.

ये भी पढ़ेंः देहरादून: 10 जनवरी तक RTO में नहीं बन पाएंगे ड्राइविंग लाइसेंस, ये है वजह?

ऐसे में अब सवाल उठना भी लाजिमी है कि इन सभी अस्पतालों पर जब जुर्माना जमा करने से मामला निपट रहा था तो एफआईआर दर्ज कराने में जल्दबाजी क्यों की गई? साथ ही राज्य में चर्चित इस घोटाले में अधिकारियों की भूमिका पर भी कई सवाल खड़े हो गए हैं. क्योंकि सभी अस्पतालों के बिल इस योजना के अधिकारियों ने ही पास किए थे तो फिर खाली अस्पतालों पर ही कार्रवाई क्यों की गई? और फिर रफादफा क्यों किया जा रहा है, दोषी अस्पताल है या अधिकारी?

काशीपुरः अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में घोटाले को लेकर दर्ज एफआईआर निरस्त नहीं की जा रही है. मामले में लगातार हो रही छीछालेदर से राज्य के अटल आयुष्मान योजना के अधिकारी बैकफुट पर आ गए हैं. राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष दिलीप कोटिया ने पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखकर कथित आरोपी अस्पतालों पर लगाए गए जुर्माना राशि जमा होने के बाद उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस लेने की मांग की है. वहीं, पुलिस अब न्यायालय के आदेश के बाद ही आगे की कार्रवाई करने की बात कह रही है.

अटल आयुष्मान योजना घोटाले में निरस्त नहीं होगी दर्ज एफआईआर.

बता दें कि आयुष्मान घोटाले में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही के चलते यह घोटाला हुआ. जिन अस्पतालों को आयुष्मान योजना के अधिकारियों ने ही प्रशस्ति पत्र दिए और उनके बिल पास किए. उन्हीं अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराके खुद इस योजना के अधिकारी फंसते नजर आ रहे थे. इसके अलावा मामला और चर्चाओं के केंद्र में आया जब इस मामले में सबसे लंबी एफआईआर दर्ज होने का शोर मचा.

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अटल आयुष्मान योजना के राज्य स्वास्थ्य अभिकरण कार्यालय के मुताबिक, उधम सिंह नगर में इस योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों में आस्था हॉस्पिटल काशीपुर पर 168200 रुपये, कृष्णा अस्पताल रुद्रपुर पर 167400 रुपये, अली नर्सिंग होम काशीपुर पर 478800 रुपये, देवकीनंदन अस्पताल काशीपुर पर 324550 रुपये और एमपी मेमोरियल अस्पताल काशीपुर पर 1852700 रुपये का जुर्माना लगाया गया था.

जिसके बाद उधम सिंह नगर के सभी सूचीबद्ध निजी अस्पतालों के खिलाफ अटल आयुष्मान योजना के राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष दिलीप कोटिया ने पुलिस महानिदेशक देहरादून को एक पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने कहा है कि कथित आरोपी अस्पतालों पर लगाए गए जुर्माना राशि जमा होने के बाद उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर की आवश्यकता नहीं रह गई है.

वहीं, अपर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि इस मामले में विवेचना अभी भी जारी है. अभियोग पंजीकृत होने के बाद न्यायालय से ही एफआईआर वापस लेने की प्रक्रिया हो सकती है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस मुख्यालय से अभी तक FIR वापस लेने का उन्हें कोई आदेश नहीं मिला है.

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ऐसे में अब सवाल उठना भी लाजिमी है कि इन सभी अस्पतालों पर जब जुर्माना जमा करने से मामला निपट रहा था तो एफआईआर दर्ज कराने में जल्दबाजी क्यों की गई? साथ ही राज्य में चर्चित इस घोटाले में अधिकारियों की भूमिका पर भी कई सवाल खड़े हो गए हैं. क्योंकि सभी अस्पतालों के बिल इस योजना के अधिकारियों ने ही पास किए थे तो फिर खाली अस्पतालों पर ही कार्रवाई क्यों की गई? और फिर रफादफा क्यों किया जा रहा है, दोषी अस्पताल है या अधिकारी?

Intro:

Summary- उत्तराखंड के देश भर में सबसे चर्चित अटल आयुष्मान योजना में घोटाले को लेकर दर्ज एफआईआर निरस्त नहीं की जा रही हैं। मामले में लगातार हो रही छीछालेदर से राज्य के अटल आयुष्मान योजना के अधिकारी बैकफुट पर आ गये हैं।

एंकर- उत्तराखंड के देश भर में सबसे चर्चित अटल आयुष्मान योजना में घोटाले को लेकर दर्ज एफआईआर निरस्त नहीं की जा रही हैं। मामले में लगातार हो रही छीछालेदर से राज्य के अटल आयुष्मान योजना के अधिकारी बैकफुट पर आ गये हैं। ऊधमसिंह नगर के सभी सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों के विरूद्ध अटल आयुष्मान योजना के राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष दिलीप कोटिया ने पुलिस महानिदेशक देहरादून को इस आशय का पत्र लिखा था कि कथित आरोपी चिकित्सालयों पर लगाये गये जुर्माना राशि जमा होने के बाद उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर की आवश्यकता नहीं रह गई है।

Body:वीओ- बता दें कि आयुष्मान घोटाले में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही रही जिसके चलते यह घोटाला हुआ। जिन चिकित्सालयों को आयुष्मान योजना के अधिकारियों ने ही प्रशस्ति पत्र दिये और उनके बिल पास किये। उन्हीं अस्पतालों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराके खुद इस योजना के अधिकारी फंसते नजर आ रहे थे। इसके अलावा मामला तब केन्द्र में और चर्चा में आया जब इस मामले में सबसे लंबी एफआईआर दर्ज होने का शोर मचा।
वीओ- अटल आयुष्मान योजना के राज्य स्वास्थ्य अभिकरण कार्यालय के मुताबिक ऊधम सिंह नगर में इस योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों में आस्था हास्पिटल काशीपुर, कृष्ण अस्पताल रूद्रपुर, अली नर्सिंग होम काशीपुर, देवकीनंदन अस्पताल काशीपुर, तथा एम पी मेमोरियल अस्पताल काशीपुर पर क्रमशः 168200 रूपये, 167400 रूपये, 478800 रूपये, 324550 रूपये तथा 1852700 रूपये का जुर्माना लगाया गया था। बाद में कहा गया कि इन सभी अस्पतालों ने जुर्माना राशि जमा कर दी है। इसलिए इनके खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस ले ली जाये।
इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक के मुताबिक इस मामले में विवेचना अभी भी जारी है। अभियोग पंजीकृत होने के बाद न्यायालय से ही एफआईआर वापस लेने की प्रक्रिया हो सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस मुख्यालय से अभी तक f.i.r. वापस लेने का उन्हें कोई आदेश नहीं मिला है।


बाइट- डॉ. जगदीश चंद्र,एएसपी



Conclusion:ऐसे में अब सवाल उठता है कि इन सभी अस्पतालों की उस प्रतिष्ठा का जो इतने दिनों की कवायद में खराब हुई। जब जुर्माना जमा करने से मामला निपट रहा था तो एफआईआर दर्ज कराने में जल्दबाजी क्यों की गई ? राज्य में काफी चर्चित इस घोटाले में अधिकारियों की भूमिका पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। गौरतलब है कि सभी अस्पतालों के बिल इस योजना के अधिकारियों ने ही पास किये थे। तो फिर खाली अस्पतालों पर ही कार्रवाई क्यों की गई? और फिर मामला वापस कैसे? दोषी अस्पताल हैं या अधिकारी?
Last Updated : Nov 23, 2019, 9:17 PM IST
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