रुद्रपुर: पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम को एक और सफलता हाथ लगी है. टीम ने 12 साल के अथक प्रयास के बाद दलहन में मसूर की नई प्रजाति पंत मसूर 12 इजाद की है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह प्रजाति गेरूई, उकठा रोग एवं फली छेदक कीटों के लिए अवरोधी है. उत्तराखंड सरकार ने इसे रिलीज कर दिया है. हालांकि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में इसका प्रस्ताव भेजा गया है, ताकि इसका नोटिफिकेशन हो सके और मसूर का उत्पादन देश के किसान कर सके.
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा व विभिन्न आवश्यक पोषक तत्व से भरपूर मसूर की एक और प्रजाति को विकसित करने में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम को सफलता हाथ लगी है. टीम इस प्रजाति पर पिछले 12 सालों से काम कर रही है. वैज्ञानिकों की टीम ने पंत मसूर 12 की इस प्रजाति को पहाड़ी और मैदानी क्षेत्र में उगाने के बाद उत्तराखंड सरकार द्वारा इसे रिलीज कर दिया है. वैज्ञानिकों का दावा है की इस प्रजाति में अब तक किसी भी तरह की बीमारी देखने को नहीं मिली है. फसल अनुसंधान केंद्र पंतनगर के वैज्ञानिकों की मानें तो पंत मसूर 12 की फसल 120 से 125 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. साथ ही मसूर की अन्य वैरायटी से इसकी उत्पादन क्षमता 15 से 20 प्रतिशत अधिक देखा गया है.
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बाजार में मौजूद विश्विद्यालय की तीन वैरायटी पंत मसूर 7, 8 और 9 से 10 फीसदी अधिक उत्पादन पंत मसूर 12 से लिया जा सकता है. 30 से 40 सेंटीमीटर ऊंचाई वाली पंत मसूर 12 प्रजाति को अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की टीम ने दो प्रजाती पंत मसूर-6 व डीपीएल-58 के संकरण से वंशावली विधि द्वारा इजाद किया गया है. जिसको तैयार करने में टीम को 12 का लंबा समय लगा.
फसल अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों के द्वारा उगाई गई फसल में पंत मसूर 12 का उत्पादन अन्य प्रजातियों से अधिक देखने को मिला है. जहां पर किसान अन्य प्रजाति से एक हेक्टेयर में 14 से 15 क्विंटल मसूर की पैदावार ले सकता है. वही नई प्रजाति पंत मसूर 12 से किसान एक एकड़ से 18 से 20 क्विंटल फसल ले सकता है. इतना ही नहीं नई प्रजाति में बीमारी ना लगने से किसानों की लागत में कमी आयेगी.