काशीपुर: केंद्र सरकार लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उद्योंगों को बढ़ावा देने की बात तो कह रही है. लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है. कोरोनाकाल में कई उद्योग सरकार से कोई सहायता न मिलने की वजह से बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. सरकार वर्तमान में उद्योगों की तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रही है. सरकार की अनदेखी के चलते उद्यमियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
सरकार की ओर से उद्योगों में पैसा लगाने और उसे बढ़ावा देने के तमाम दावे तो किए जाते हैं, लेकिन ये दावे हर बार मात्र हवा-हवाई साबित होते हैं. वर्तमान में धरातल पर उद्यमियों को किसी भी तरह की राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है. यही कारण है कि कोरोना के दौरान कई उद्योग धंधे मंदी से बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं, जिन्हें सरकार की ओर से ना तो किसी तरह के टैक्स में छूट मिल रही है और ना ही किसी अन्य तरह की राहत मिलती दिखाई दे रही है.
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उधर उद्योगपति उद्योगों को चलाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं. उद्यमियों की मानें तो सोशल-डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए उद्योगों को चलाने का निर्देश दिए गए हैं. फैक्ट्री में उत्पाद को अत्यधिक लागत पर तैयार किया जा रहा है. लेकिन जब मार्केट में यही सामान ज्यादा कीमत पर बेचा जाता है तो उद्योगों और उद्यमियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में उद्योग धंधों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
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सांसद अजय भट्ट का कहना है कि कोरोनाकाल के समय उद्योग धंधों को भारी झटका लगा है. इसको संकट से उबारने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही सरकार बंद हुए उद्योगों को फिर से संचालित करेगी और उद्योगपतियों को हुए नुकसान से उबारा जाएगा.