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कोरोना काल में गरीबों का एक करोड़ से ज्यादा का राशन डकारने वाले गल्ला विक्रेताओं से नहीं हुई वसूली, दुकानें बहाल करने की तैयारी!

Cheap ration scam in Udham Singh Nagar उधमसिंह नगर में कोरोना काल में सस्ते गल्ले में घोटाला करने के आरोपियों से वसूली नहीं हो पाई है. आरोप है कि पहले की जांच को ठंडे बस्ते में डालकर नई जांच के बहाने सारे आरोपियों को राहत देने की तैयारी चल रही है. कोरोना काल में एक करोड़ 9 लाख रुपए का राशन घोटाला सामने आया था. इसमें कई सस्ता गल्ला विक्रेताओं के साथ दो बड़े अधिकारी भी आरोपी थे. Cheap ration for poor

Cheap ration for poor
उधमसिंह नगर समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 9, 2023, 11:03 AM IST

Updated : Oct 9, 2023, 2:15 PM IST

राशन घोटालेबाजों से कब होगी वसूली?

हल्द्वानी: उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में कोरोना काल में गरीबों को बांटने वाले राशन में बड़ा घोटाला सामने आया था. मामले का खुलासा आरटीआई से सामने आया था. जिसके बाद घोटाले की जांच में 12 सस्ता गल्ला राशन विक्रेताओं के साथ-साथ तत्कालीन जिला खाद्य पूर्ति अधिकारी और क्षेत्रीय क्षेत्रीय पूर्ति निरीक्षक पर मिलीभगत कर राशन वितरण में गड़बड़ी करने का आरोप लगा था.

Cheap ration for poor
कोरोना के समय हुआ था राशन घोटाला

कोरोना काल के राशन घोटाले में नहीं हुई वसूली: पूरे मामले की जांच तत्कालीन एसडीएम और उपायुक्त खाद्य विभाग द्वारा की गई थी. जांच में पाया गया था कि उधमसिंह नगर के किच्छा क्षेत्र अंतर्गत 12 सस्ता गल्ला दुकानदार द्वारा विभागीय अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर करीब एक करोड़ 9 लाख रुपए का गरीबों को दिए जाने वाले राशन का घोटाला किया गया है. जांच के बाद 12 राशन दुकानों को निरस्त करते हुए घोटाले में शामिल दुकानदारों और तत्कालीन डीएसओ और पूर्ति निरीक्षक से घोटाले की रकम की वसूली के नोटिस जारी किए गए थे.

Cheap ration for poor
खाद्य उपायुक्त कुमाऊं मंडल विपिन कुमार का बयान

दुकानदारों और अफसरों से वसूलने थे लाखों रुपए: जांच में दुकानदारों के साथ तत्कालीन जिला पूर्ति अधिकारी से घोटाले के 8 लाख 42 हजार जबकि पूर्ति निरीक्षक से भी 8 लाख 42 हजार रुपए की वसूली की संस्तुति दी गई थी. लेकिन जांच के दो साल बाद भी इन दुकानदारों और अधिकारियों से राशन घोटाले के रुपयों की वसूली अभी तक नहीं हो पाई है. बताया जा रहा है कि घोटाले की वसूली के बजाय पुरानी जांच के आदेश को फिर से कुछ अधिकारियों द्वारा जांच कर लीपापोती कर घोटाले में शामिल दुकानदारों की दुकानें बहाल करने की तैयारी चल रही है.

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खाद्य मंत्री रेखा आर्य ने कहा कार्रवाई होगी

ये लोग थे घोटाले के आरोपी: बताया जा रहा कि मामला 2020 का है, जब कोरोना काल में गरीबों को राशन वितरण के दौरान बड़ा राशन घोटाला सामने आया था. सितारगंज के आरटीआई कार्यकर्ता निखिलेश धारामी ने वर्ष 2020 में आरटीआई से सूचना इकट्ठा करने के बाद उधमसिंह नगर के किच्छा के सस्ता गल्ला विक्रेताओं के साथ अधिकारियों की मिलीभगत कर एक करोड़ रुपए से ज्यादा के राशन घोटाले की शिकायत जिला प्रशासन और प्रधानमंत्री पोर्टल पर की थी. जिलाधिकारी के निर्देश पर एसडीएम किच्छा ने मामले की जांच की थी. जांच में संतुष्ट नहीं होने पर आरटीआई कार्यकर्ता निखिलेश ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसकी जांच तत्काल उपायुक्त द्वारा की गई थी.

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एक करोड़ 9 लाख रुपए का राशन घोटाला हुआ था.

हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश: 10 मार्च 2021 को जांच में पाया गया कि 12 दुकानदारों के साथ तत्कालीन डीएसओ और पूर्ति निरीक्षक द्वारा मिलीभगत कर एक करोड़ 9 लाख 48 रुपए के करीब राशन का घोटाला किया गया है. इसके बाद तत्कालीन उपायुक्त द्वारा घोटाले के रकम के वसूली के लिए नोटिस भी दिए थे. साथ ही घोटाले में शामिल सभी 12 दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए थे. पूरे मामले में खाद्य विभाग ने अपना पक्ष हाईकोर्ट में भी रखा था. हाईकोर्ट ने जांच पर संतुष्टि जताते हुए 3 महीने में सभी जांचों को खत्म कर प्रत्येक मामले में गुण दोष पर कार्रवाई करने का आदेश दिए थे.

जांच में लीपापोती का आरोप: चौंकाने वाली बात ये है कि इन दुकानदारों और अधिकारियों से घोटाले की रकम की वसूली नहीं हो पाई है. तत्कालीन उपायुक्त के इसी वर्ष स्थानांतरण होने के बाद सस्ता राशन घोटाले में शामिल सस्ता गल्ला विक्रेताओं ने 14 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर फिर से मामले की जांच कराने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि 2021 में तत्कालीन उपायुक्त के जांच रिपोर्ट पर उनका भरोसा नहीं है. इसके बाद फिर से पुरानी जांच कुछ अधिकारियों द्वारा की गई है. जांच में लीपापोती कर फिर से दुकान बहाल करने की तैयारी की चर्चाएं हैं.

खाद्य उपायुक्त ने क्या कहा? इस पूरे मामले में उपायुक्त खाद्य विभाग कुमाऊं मंडल विपिन कुमार का कहना है कि पूर्व में की गई जांच में जो भी रिकवरी है, उसको वसूली करने की कार्रवाई के लिए नोटिस जारी किया गया है. जांच रिपोर्ट को शासन को भेजा गया है. आगे की कार्रवाई शासन स्तर पर होनी है.

ये है खाद्य मंत्री रेखा आर्य का बयान: इस पूरे मामले में खाद्य मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि जीरो टॉलरेंस की सरकार में घोटाला करने वालों को नहीं बख्शा जायेगा. मामले की जांच कराई जाएगी. सवाल खड़े हो रहे हैं कि घोटाले में शामिल सस्ता गल्ला विक्रेताओं और अधिकारियों से अभी तक घोटाले की रकम की वसूली क्यों नहीं हो पाई है. यहां तक कि पूर्ति निरीक्षक रिटायर भी हो चुके हैं. पूर्व के उपायुक्त की जांच को दरकिनार कर अगर फिर से जांच कराई जाती है तो उससे कोई सीनियर अधिकारी जांच कर सकता है. लेकिन जो वर्तमान समय में जांच कराई गई है, वह भी उपायुक्त के समकक्ष अधिकारियों से कराई गई है. जबकि पूर्व में शासन की ओर से किसी बड़ी एजेंसी से जांच कराए जाने के आदेश हुए थे. चर्चाएं है कि पूर्व की जांच में लीपापोती कर निरस्त हो चुकी दुकानों को फिर से बहाल करने की तैयारी चल रही है. इस पूरे मामले में ईटीवी भारत ने सचिव खाद्य एल फैनीई से बात की तो उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान नहीं है. मामले की जांच करेंगे.
ये भी पढ़ें: हरिद्वार में सरकारी राशन की काला बाजारी! SDM ने राइस मिल पर मारा छापा, 650 कुंतल चावल किया सील

राशन घोटालेबाजों से कब होगी वसूली?

हल्द्वानी: उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में कोरोना काल में गरीबों को बांटने वाले राशन में बड़ा घोटाला सामने आया था. मामले का खुलासा आरटीआई से सामने आया था. जिसके बाद घोटाले की जांच में 12 सस्ता गल्ला राशन विक्रेताओं के साथ-साथ तत्कालीन जिला खाद्य पूर्ति अधिकारी और क्षेत्रीय क्षेत्रीय पूर्ति निरीक्षक पर मिलीभगत कर राशन वितरण में गड़बड़ी करने का आरोप लगा था.

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कोरोना के समय हुआ था राशन घोटाला

कोरोना काल के राशन घोटाले में नहीं हुई वसूली: पूरे मामले की जांच तत्कालीन एसडीएम और उपायुक्त खाद्य विभाग द्वारा की गई थी. जांच में पाया गया था कि उधमसिंह नगर के किच्छा क्षेत्र अंतर्गत 12 सस्ता गल्ला दुकानदार द्वारा विभागीय अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर करीब एक करोड़ 9 लाख रुपए का गरीबों को दिए जाने वाले राशन का घोटाला किया गया है. जांच के बाद 12 राशन दुकानों को निरस्त करते हुए घोटाले में शामिल दुकानदारों और तत्कालीन डीएसओ और पूर्ति निरीक्षक से घोटाले की रकम की वसूली के नोटिस जारी किए गए थे.

Cheap ration for poor
खाद्य उपायुक्त कुमाऊं मंडल विपिन कुमार का बयान

दुकानदारों और अफसरों से वसूलने थे लाखों रुपए: जांच में दुकानदारों के साथ तत्कालीन जिला पूर्ति अधिकारी से घोटाले के 8 लाख 42 हजार जबकि पूर्ति निरीक्षक से भी 8 लाख 42 हजार रुपए की वसूली की संस्तुति दी गई थी. लेकिन जांच के दो साल बाद भी इन दुकानदारों और अधिकारियों से राशन घोटाले के रुपयों की वसूली अभी तक नहीं हो पाई है. बताया जा रहा है कि घोटाले की वसूली के बजाय पुरानी जांच के आदेश को फिर से कुछ अधिकारियों द्वारा जांच कर लीपापोती कर घोटाले में शामिल दुकानदारों की दुकानें बहाल करने की तैयारी चल रही है.

Cheap ration for poor
खाद्य मंत्री रेखा आर्य ने कहा कार्रवाई होगी

ये लोग थे घोटाले के आरोपी: बताया जा रहा कि मामला 2020 का है, जब कोरोना काल में गरीबों को राशन वितरण के दौरान बड़ा राशन घोटाला सामने आया था. सितारगंज के आरटीआई कार्यकर्ता निखिलेश धारामी ने वर्ष 2020 में आरटीआई से सूचना इकट्ठा करने के बाद उधमसिंह नगर के किच्छा के सस्ता गल्ला विक्रेताओं के साथ अधिकारियों की मिलीभगत कर एक करोड़ रुपए से ज्यादा के राशन घोटाले की शिकायत जिला प्रशासन और प्रधानमंत्री पोर्टल पर की थी. जिलाधिकारी के निर्देश पर एसडीएम किच्छा ने मामले की जांच की थी. जांच में संतुष्ट नहीं होने पर आरटीआई कार्यकर्ता निखिलेश ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसकी जांच तत्काल उपायुक्त द्वारा की गई थी.

Cheap ration for poor
एक करोड़ 9 लाख रुपए का राशन घोटाला हुआ था.

हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश: 10 मार्च 2021 को जांच में पाया गया कि 12 दुकानदारों के साथ तत्कालीन डीएसओ और पूर्ति निरीक्षक द्वारा मिलीभगत कर एक करोड़ 9 लाख 48 रुपए के करीब राशन का घोटाला किया गया है. इसके बाद तत्कालीन उपायुक्त द्वारा घोटाले के रकम के वसूली के लिए नोटिस भी दिए थे. साथ ही घोटाले में शामिल सभी 12 दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए थे. पूरे मामले में खाद्य विभाग ने अपना पक्ष हाईकोर्ट में भी रखा था. हाईकोर्ट ने जांच पर संतुष्टि जताते हुए 3 महीने में सभी जांचों को खत्म कर प्रत्येक मामले में गुण दोष पर कार्रवाई करने का आदेश दिए थे.

जांच में लीपापोती का आरोप: चौंकाने वाली बात ये है कि इन दुकानदारों और अधिकारियों से घोटाले की रकम की वसूली नहीं हो पाई है. तत्कालीन उपायुक्त के इसी वर्ष स्थानांतरण होने के बाद सस्ता राशन घोटाले में शामिल सस्ता गल्ला विक्रेताओं ने 14 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर फिर से मामले की जांच कराने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि 2021 में तत्कालीन उपायुक्त के जांच रिपोर्ट पर उनका भरोसा नहीं है. इसके बाद फिर से पुरानी जांच कुछ अधिकारियों द्वारा की गई है. जांच में लीपापोती कर फिर से दुकान बहाल करने की तैयारी की चर्चाएं हैं.

खाद्य उपायुक्त ने क्या कहा? इस पूरे मामले में उपायुक्त खाद्य विभाग कुमाऊं मंडल विपिन कुमार का कहना है कि पूर्व में की गई जांच में जो भी रिकवरी है, उसको वसूली करने की कार्रवाई के लिए नोटिस जारी किया गया है. जांच रिपोर्ट को शासन को भेजा गया है. आगे की कार्रवाई शासन स्तर पर होनी है.

ये है खाद्य मंत्री रेखा आर्य का बयान: इस पूरे मामले में खाद्य मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि जीरो टॉलरेंस की सरकार में घोटाला करने वालों को नहीं बख्शा जायेगा. मामले की जांच कराई जाएगी. सवाल खड़े हो रहे हैं कि घोटाले में शामिल सस्ता गल्ला विक्रेताओं और अधिकारियों से अभी तक घोटाले की रकम की वसूली क्यों नहीं हो पाई है. यहां तक कि पूर्ति निरीक्षक रिटायर भी हो चुके हैं. पूर्व के उपायुक्त की जांच को दरकिनार कर अगर फिर से जांच कराई जाती है तो उससे कोई सीनियर अधिकारी जांच कर सकता है. लेकिन जो वर्तमान समय में जांच कराई गई है, वह भी उपायुक्त के समकक्ष अधिकारियों से कराई गई है. जबकि पूर्व में शासन की ओर से किसी बड़ी एजेंसी से जांच कराए जाने के आदेश हुए थे. चर्चाएं है कि पूर्व की जांच में लीपापोती कर निरस्त हो चुकी दुकानों को फिर से बहाल करने की तैयारी चल रही है. इस पूरे मामले में ईटीवी भारत ने सचिव खाद्य एल फैनीई से बात की तो उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान नहीं है. मामले की जांच करेंगे.
ये भी पढ़ें: हरिद्वार में सरकारी राशन की काला बाजारी! SDM ने राइस मिल पर मारा छापा, 650 कुंतल चावल किया सील

Last Updated : Oct 9, 2023, 2:15 PM IST
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