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उत्तराखंडः फर्जी वसीयत के जरिए जमीन हड़पने पर यूपी के पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश को 5 साल की कैद - prem prakash

फर्जी वसीयत बनाने और करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा करने के मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को 5 साल की सजा सुनाई है.

Fake Will
यूपी के पूर्व मंत्री दोषी, कोर्ट ने सुनाई 5 साल की सजा
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Published : Mar 3, 2020, 6:29 PM IST

Updated : Mar 3, 2020, 7:06 PM IST

रुद्रपुर: फर्जी वसीयत बनाने और करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा करने के मामले में जिला कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को 5 साल की सजा सुनाई है. सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा मामले में कुल 9 दोषियों को सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी यूपी के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को 5 साल की सजा सुनाते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है, जबकि 8 अन्य आरोपियों को कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है.

यूपी के पूर्व मंत्री दोषी, कोर्ट ने सुनाई 5 साल की सजा

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उत्तर प्रदेश के पूर्व दबंग मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश सहित 9 लोगों पर फर्जी वसीयत के जरिए करीब 32 एकड़ जमीन पर कब्जा किए जाने का आरोप है. कब्जा की गई जमीन की कीमत 10 करोड़ रुपए की आसपास की बताई जा रही है. 2014 में यूपी के पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश सिंह पत्नी गीता पुत्र शिववर्धन, पुत्रवधु निधि सिंह, पूर्व शासकीय अधिवक्ता स्वतंत्र बहादुर सिंह समेत 9 लोगों पर साढ़े बत्तीस एकड़ भूमि की फर्जी वसीयत के जरिए अपने नाम करने के आरोप में कोर्ट में केस चल रहा था.

कोर्ट ने मामले में मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को अलग-अलग धाराओं में 5 साल की सजा और साढ़े तीन हजार का जुर्माना लगाया है. अन्य दोषियों में पूर्व शासकीय अधिवक्ता बहादुर सिंह को तीन साल की सजा और एक हजार का जुर्माना, फर्जी वसीयत पर गवाही देने पर गवाह प्रेम और नवनीत को तीन साल की सजा के साथ दो हजार का जुर्माना, पूर्व मंत्री पुत्र शिववर्धन सिंह को तीन साल की सजा और 500-500 रुपए का जुर्माना सहित निधि सिंह, मंजु लता सिंह, सीखा एवं गीता को दो दो वर्ष की सजा के साथ दो हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

ये भी पढ़ें: देहरादून: देह व्यापार कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश, लंबे समय से चला रहे थे धंधा

क्या था मामला

आजाद हिंद फौज के सिपाही रामअवध सिंह आजादी के बाद पुलिस में भर्ती हुए और डिप्टी एसपी के पद से रिटायर हुए. स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें कृषि कार्य के लिए रुद्रपुर के बागवाला गांव में 32.5 एकड़ भूमि आवंटित की थी. रामअवध की एकमात्र संतान उनकी पुत्री प्रभावती हैं. 10 जून 1999 को रामअवध की मृत्यु के बाद प्रभावती ही चल-अचल संपत्ति की उत्तराधिकारी बन गईं.

प्रभावती का विवाह आजमगढ़ की तहसील बूढ़नपुर के सिहौरा गांव में हुई, इसलिए वह रुद्रपुर में जमीन की देखभाल नहीं कर सकीं. ऐसे में फर्जी वसीयतनामा तैयार कर उक्त जमीन को उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश सिंह ने अपने नाम करा लिया.

पता लगने के बाद प्रभावती ने कई जगह शिकायती पत्र दिए, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई. जिसके बाद पूरा मामला डीआईजी के पास पहुंचा. 3 मई 2014 को डीआईजी के आदेश पर IPC की धारा- 420, 467, 468, 471, 506, 504 के तहत मुकदमा में ठाकुर प्रेम प्रकाश सहित 9 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. 17 जून 2016 को पुलिस ने मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश किया.

रुद्रपुर: फर्जी वसीयत बनाने और करोड़ों रुपए की जमीन पर कब्जा करने के मामले में जिला कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को 5 साल की सजा सुनाई है. सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा मामले में कुल 9 दोषियों को सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी यूपी के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को 5 साल की सजा सुनाते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है, जबकि 8 अन्य आरोपियों को कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है.

यूपी के पूर्व मंत्री दोषी, कोर्ट ने सुनाई 5 साल की सजा

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उत्तर प्रदेश के पूर्व दबंग मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश सहित 9 लोगों पर फर्जी वसीयत के जरिए करीब 32 एकड़ जमीन पर कब्जा किए जाने का आरोप है. कब्जा की गई जमीन की कीमत 10 करोड़ रुपए की आसपास की बताई जा रही है. 2014 में यूपी के पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश सिंह पत्नी गीता पुत्र शिववर्धन, पुत्रवधु निधि सिंह, पूर्व शासकीय अधिवक्ता स्वतंत्र बहादुर सिंह समेत 9 लोगों पर साढ़े बत्तीस एकड़ भूमि की फर्जी वसीयत के जरिए अपने नाम करने के आरोप में कोर्ट में केस चल रहा था.

कोर्ट ने मामले में मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश को अलग-अलग धाराओं में 5 साल की सजा और साढ़े तीन हजार का जुर्माना लगाया है. अन्य दोषियों में पूर्व शासकीय अधिवक्ता बहादुर सिंह को तीन साल की सजा और एक हजार का जुर्माना, फर्जी वसीयत पर गवाही देने पर गवाह प्रेम और नवनीत को तीन साल की सजा के साथ दो हजार का जुर्माना, पूर्व मंत्री पुत्र शिववर्धन सिंह को तीन साल की सजा और 500-500 रुपए का जुर्माना सहित निधि सिंह, मंजु लता सिंह, सीखा एवं गीता को दो दो वर्ष की सजा के साथ दो हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

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क्या था मामला

आजाद हिंद फौज के सिपाही रामअवध सिंह आजादी के बाद पुलिस में भर्ती हुए और डिप्टी एसपी के पद से रिटायर हुए. स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें कृषि कार्य के लिए रुद्रपुर के बागवाला गांव में 32.5 एकड़ भूमि आवंटित की थी. रामअवध की एकमात्र संतान उनकी पुत्री प्रभावती हैं. 10 जून 1999 को रामअवध की मृत्यु के बाद प्रभावती ही चल-अचल संपत्ति की उत्तराधिकारी बन गईं.

प्रभावती का विवाह आजमगढ़ की तहसील बूढ़नपुर के सिहौरा गांव में हुई, इसलिए वह रुद्रपुर में जमीन की देखभाल नहीं कर सकीं. ऐसे में फर्जी वसीयतनामा तैयार कर उक्त जमीन को उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ठाकुर प्रेम प्रकाश सिंह ने अपने नाम करा लिया.

पता लगने के बाद प्रभावती ने कई जगह शिकायती पत्र दिए, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई. जिसके बाद पूरा मामला डीआईजी के पास पहुंचा. 3 मई 2014 को डीआईजी के आदेश पर IPC की धारा- 420, 467, 468, 471, 506, 504 के तहत मुकदमा में ठाकुर प्रेम प्रकाश सहित 9 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. 17 जून 2016 को पुलिस ने मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश किया.

Last Updated : Mar 3, 2020, 7:06 PM IST
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