सितारगंज: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है. लॉकडाउन में काम नहीं मिलने से ये मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं. वहीं, सितारगंज के सिडकुल व उकरौली के खनन क्षेत्रों से जुड़े मजदूरों को काम बंद हो जाने से खाने के लाले पड़ गए हैं. ऐसे में देर से ही सही लेकिन उपजिलाधिकारी गौरव कुमार ने मौके पर पहुंचकर इन मजदूरों का हालचाल जाना. वहीं, उप जिलाधिकारी की मौजूदगी में सामाजिक संस्थाओं ने खाद्य सामग्री वितरित भी की.
उत्तराखंड में लॉकडाउन के 9 दिन हो चुके हैं. सिडकुल की फैक्ट्रियों, नंदौर व कैलाश नदी में खनन का काम करने वाले सैकड़ों मजदूरों का काम बंद होते ही भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. लेकिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा. वहीं, रक्तदान समिति सामाजिक संस्था ने मजदूरों के खाने की व्यवस्था करा रही हैं. जब मीडिया में खबरें प्रकाशित हुई तो प्रशासन अब जागा है. मौके पर पहुंचे उप जिलाधिकारी गौरव कुमार ने इन लोगों बात की और बिना राशन कार्ड के रह रहे लोगों की राजस्व कर्मियों को सूची बनाने के आदेश दिए हैं.
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वहीं, उप जिलाधिकारी ने बताया कि बालाजी, गुजरात अंबुजा और नदी में खनन का काम करने वाले परिवार उकरौली में रहे हैं. जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं. अभी लिस्टिंग का काम किया जा रहा है. सिडकुल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के माध्यम से ठेकेदरों को सूचना दे गई है कि वे सभी अपने अपने मजदूरों के लिए खाने का प्रबंध करें. अगर, ठेकेदार ऐसा नही करते है तो उन सभी पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.