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आईजी पूरन सिंह रावत ने किया कमाल, जैविक तरल खाद तैयार कर कृषि को दी 'संजीवनी'

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Published : Apr 21, 2019, 9:36 PM IST

आईजी पूरन सिंह रावत पुलिस अधिकारी होने के साथ-साथ किसानी में भी रुचि रखते हैं. उन्होंने तैयार की गई खाद का पहले अपने ही गार्डन में परीक्षण किया और उसके बाद खेतों में, जिसका अच्छा परिणाम सामने आया है.

आईजी पूरन सिंह रावत ने तैयार की जैविक तरल खाद

उधम सिंह नगर: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आज खेती दम तोड़ती नजर आ रहा है. पहाड़ में सीमित संसाधनों और कम उपज के कारण पहाड़ के किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. लेकिन कुमाऊं मंडल में आईजी रह चुके पूरन सिंह रावत ने उत्तराखंड की कृषि में जान फूंकने का काम किया है.

पढे़ं- उत्तराखंड मौसम: पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश की संभावना, मैदानी इलाकों में साफ रहेगा आसमान

दरअसल, आईजी पूरन सिंह रावत पुलिस अधिकारी होने के साथ-साथ किसानी में भी रुचि रखते हैं. रावत ने अपने आवास पर रसायन रहित जैविक तरल खाद तैयार की है. उन्होंने तैयार की गई खाद का पहले अपने ही गार्डन में परीक्षण किया और उसके बाद खेतों में, जिसका अच्छा परिणाम सामने आया है.

आईजी पूरन सिंह रावत ने तैयार की जैविक तरल खाद

आईजी पूरन सिंह रावत का कहना है कि विश्व स्तर पर लोगों का रासायनिक खेती से मोह भंग हो चुका है, क्योंकि रसायन के प्रयोग से हमारा पर्यावरण पूरी तरह प्रदूषित होता जा रहा है और इसकी कास्ट भी बढ़ती जा रही है.

पूरन सिंह रावत ने बताया कि खाद को बनाने का मुख्य उद्देश्य है कि पहाड़ के किसानों को इसका फायदा मिले और किसान महंगी रसायनिक खाद की जगह कम कीमत की रसायन रहित खाद का प्रयोग कर सकें. बता दें, 2002 बैच के आईपीएस अधिकारी पूरन सिंह रावत कुमाऊं मंडल के डीआईजी और आईजी रह चुके हैं. अभी देहरादून हेड ऑफिस में तैनात हैं.

कैसे बनाएं रसायन रहित खाद
100 लीटर तरल खाद बनाने के लिए
प्लास्टिक के ड्रम में सड़ी-गली पत्तियों के साथ ही जैविक कूड़े को डालें.
अब इसमें सौ लीटर पानी तथा दो किलो गुड़ मिलाकर घोल तैयार करें.
ड्रम में हल्का ढक्कन लगाकर उसे धूप में रख दें.
मिश्रण को समय-समय पर हिलाएं.
लगभग 40 दिन में यह घोल झाग छोड़कर हल्के पीले रंग में तब्दील होने लगता है. अब इसको खाद के तौर पर खेती में प्रयोग कर सकते हैं.

उधम सिंह नगर: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आज खेती दम तोड़ती नजर आ रहा है. पहाड़ में सीमित संसाधनों और कम उपज के कारण पहाड़ के किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. लेकिन कुमाऊं मंडल में आईजी रह चुके पूरन सिंह रावत ने उत्तराखंड की कृषि में जान फूंकने का काम किया है.

पढे़ं- उत्तराखंड मौसम: पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश की संभावना, मैदानी इलाकों में साफ रहेगा आसमान

दरअसल, आईजी पूरन सिंह रावत पुलिस अधिकारी होने के साथ-साथ किसानी में भी रुचि रखते हैं. रावत ने अपने आवास पर रसायन रहित जैविक तरल खाद तैयार की है. उन्होंने तैयार की गई खाद का पहले अपने ही गार्डन में परीक्षण किया और उसके बाद खेतों में, जिसका अच्छा परिणाम सामने आया है.

आईजी पूरन सिंह रावत ने तैयार की जैविक तरल खाद

आईजी पूरन सिंह रावत का कहना है कि विश्व स्तर पर लोगों का रासायनिक खेती से मोह भंग हो चुका है, क्योंकि रसायन के प्रयोग से हमारा पर्यावरण पूरी तरह प्रदूषित होता जा रहा है और इसकी कास्ट भी बढ़ती जा रही है.

पूरन सिंह रावत ने बताया कि खाद को बनाने का मुख्य उद्देश्य है कि पहाड़ के किसानों को इसका फायदा मिले और किसान महंगी रसायनिक खाद की जगह कम कीमत की रसायन रहित खाद का प्रयोग कर सकें. बता दें, 2002 बैच के आईपीएस अधिकारी पूरन सिंह रावत कुमाऊं मंडल के डीआईजी और आईजी रह चुके हैं. अभी देहरादून हेड ऑफिस में तैनात हैं.

कैसे बनाएं रसायन रहित खाद
100 लीटर तरल खाद बनाने के लिए
प्लास्टिक के ड्रम में सड़ी-गली पत्तियों के साथ ही जैविक कूड़े को डालें.
अब इसमें सौ लीटर पानी तथा दो किलो गुड़ मिलाकर घोल तैयार करें.
ड्रम में हल्का ढक्कन लगाकर उसे धूप में रख दें.
मिश्रण को समय-समय पर हिलाएं.
लगभग 40 दिन में यह घोल झाग छोड़कर हल्के पीले रंग में तब्दील होने लगता है. अब इसको खाद के तौर पर खेती में प्रयोग कर सकते हैं.

Intro:एंकर - पूर्व आईजी कुमाऊं मंडल के पूरन सिंह रावत पुलिस अधिकारी होने के साथ ही खेती-किसानी में भी रुचि रखते हैं। उन्होंने अपने आवास पर रसायन रहित जैविक तरल खाद तैयार की हैBody:आपको बता दे कि 2002 बैच के आईपीएस अधिकारी पूरन सिंह रावत रावत कुमाऊँ मंडल के डीआईजी और आईजी रह चुके हैं अभी देहरादून हेड ऑफिस में हैं रावत ने अपने आवास पर तैयार खाद का पहले अपने ही गार्डन में परीक्षण किया उसके बाद अपने 11 एकड़ खेतों में गेंहू की फसल पर सिर्फ जैविक खाद्य का प्रयोग किया और गेंहू की फसल बहुत ही अच्छा हुआ है
कुमाऊ मंडल के पूर्व आईजी पूरन सिंह रावत ने किसानों को जानकारी देते हुए कहाँ की मैंने स्वयं अपने खेतों में जैविक खादों का प्रयोग किया और आज गेंहू की फसल बहुत अच्छी हुई है

वही कुमाऊं मंडल के पूर्व आईजी पूरन सिंह रावत ने कहा कि जैविक खेती का मूल उद्देश्य है कि विश्व स्तर से लोगों का रासायनिक खेती के ऊपर से लोगों का मोहभंग हो चुका है क्योंकि इसकी वजह से हमारी वायु एवं भूमि और जल पर जो भी अनाज सब्जी और जो भी दूसरे प्रकार की रासायनिक उत्पादन हम कर रहे हैं इंसान और पशु के आहार के लिए वह पूरी तरह से विषयुक्त होता जा रहा है और इसकी कोस्ट भी बढ़ती जा रही है और कोस्ट को कट करने के लिए और विषयुक्त रहित खेती और रासायनिक रहित खेती नही करना है हमे जैविक खेती करना है और इसको बनाना और इसका प्रयोग करना और पूर्ण उत्पादन करना यह तीनों बहुत आसान है !

पूर्व आईजी रावत ने बताया कि जैविक तरल खाद बनाने की प्रकिया बेहद आसान है। सौ लीटर तरल खाद बनाने के लिए प्लास्टिक के ड्रम में सड़ी-गली पत्तियों के साथ ही जैविक कूड़े को डाला जाता है। साथ ही इसमें सौ लीटर पानी तथा दो किलो गुड़ मिलाकर घोल तैयार करना होता है। ड्रम में हल्का ढक्कन लगाकर उसे धूप में रखा जाता है। उक्त मिश्रण को समय-समय पर हिलाया जाता है। लगभग 40 दिन में यह घोल झाग छोड़कर हल्के पीले रंग में तब्दील होने लगता है। इसके बाद यह खाद प्रयोग के लिए तैयार हो जाती है। अब इConclusion:बाइट - पूरन सिंह रावत कुमाऊँ मंडल के पूर्व आईजी
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