ETV Bharat / state

चैती मेले में महंगाई ने तोड़ी ढोलक व्यवसाय की कमर, ठेकेदारों के रवैए से दुकानदार परेशान - kashipur latest news

उधमसिंह नगर के काशीपुर जिले में लगने वाला मेला चैती मेला अब ढोलक व्यापारियों के लिये काफी महंगा साबित हो रहा है. जिसके चलते मेले में आने वाले ढोलक व्यापारियों के व्यवसाय पर बहुत बुरा असर पड़ा है. मेले में ठेकेदारों की मनमानी के कारण कई ढोलक व्यापारी वापस लौट रहे हैं.

चैती मेले में महंगाई ने तोड़ी ढोलक व्यवसाय की कमर
चैती मेले में महंगाई ने तोड़ी ढोलक व्यवसाय की कमर
author img

By

Published : Apr 13, 2023, 12:25 PM IST

Updated : Apr 13, 2023, 4:12 PM IST

चैती मेले में महंगाई ने तोड़ी ढोलक व्यवसाय की कमर

काशीपुर: काशीपुर में इस समय चल रहा चैती मेला टेंडर प्रक्रिया के बाद ठेकेदारों की मनमानी के चलते प्रभावित होने से चर्चाओं में है. पूरे मेले में सभी दुकानदारों के साथ-साथ ढोलक बाजार भी प्रभावित हुआ है. पहले इस मेले में आने वाले श्रद्धालु मेला घूमते थे. वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा से ढोलक का व्यापार करने वाले व्यापारी भी यहां मेले में आते थे. पिछले कुछ वर्षों से चैती मेले का सरकारीकरण होने के बाद साल दर साल बढ़ती महंगाई ने ढोलक व्यवसाय की भी कमर तोड़कर रख दी है.

कई सालों से लग रहा है ढोलक बाजार: चैती मेले में 42 साल से लगातार अमरोहा से आ रहे हैं ढोलक व्यापारी अनवर हसन साबरी के मुताबिक चैती मेले में आने वाली यह उनकी चौथी पीढ़ी है. वह खुद भी अपने बुजुर्गों के साथ इस मेले में आते रहे हैं. उनके मुताबिक अब ठेकेदारों के द्वारा काफी महंगाई बढ़ा दी गई है. एक ढोलक को तैयार करने में 4 से 5 कारीगरों की मेहनत लगती है. उनके मुताबिक चैती मेले में आने से पहले इसकी तैयारी 6 महीने पूर्व की जाती है.

आसमान छू रही महंगाई: महंगाई की अगर बात की जाए तो बीते वर्ष 80% महंगाई थी लेकिन इस बार पूरे शत प्रतिशत महंगाई है. ठेकेदारों की मनमानी के कारण काफी दुकानदार वापस लौटे हैं. अनवर हसन साबरी के मुताबिक 8 से 9 दुकानदार इस बार वापस लौटे हैं. बीते वर्षों तक ढोलक की 20 से 25 दुकानें आया करती थी. लेकिन इस बार यह संख्या घटकर मात्र 6 रह गई है. जिसका सबसे बड़ा कारण दुकानों की कीमत का काफी महंगा होना है. अगले साल से अगर महंगाई का यही आलम रहा तो वह और उनके साथी दुकानदार दुकानें लेकर चैती मेले में नहीं आएंगे.
यह भी पढें: Kashipur Chaiti Fair: चैती मेले में सजा घोड़ा बाजार, सुल्ताना डाकू से लेकर फूलनदेवी तक थे खरीददार

जगह के हिसाब से तय होती हैं कीमतें: वहीं 6 पीढ़ियों से आ रहे ढोलक के कारोबारी गुफरान के मुताबिक मेले में इस बार ढोलक, मंजीरे, इकतारा, डमरू, बोंगो, बच्चों के चकला-बेलन आदि सामान इस बाजार में लेकर आये हैं. इस बार ढोलक की शुरुआती कीमत 1200 रुपये है. ढोलक की कीमत दुकानों की जगह के हिसाब से तय की जाती है. पहले ढोलक की दुकान के लिए जगह ₹1200 फीट के हिसाब से मिलती थी जो कि इस बार ₹3000 फीट है. पहले अच्छी ढोलक 700 से ₹800 तक की मिल जाती थी लेकिन अब वही कीमत 1200 रुपये से शुरू होकर 3000 से 3500 के बीच में है. काशीपुर के चैती मेले में ढोलक बाजार में ढोलक लेने आने वाले ग्राहकों के मुताबिक बच्चों की जो ढोलक पहले 400 से 500 रुपये में मिल जाती थी वह इस बार दोगुने रेट में 800 रुपये तक में मिल रही है. उनके मुताबिक जो चिमटा पहले ₹150 का मिल जाता था वह अब ₹400 का मिल रहा है.

चैती मेले में महंगाई ने तोड़ी ढोलक व्यवसाय की कमर

काशीपुर: काशीपुर में इस समय चल रहा चैती मेला टेंडर प्रक्रिया के बाद ठेकेदारों की मनमानी के चलते प्रभावित होने से चर्चाओं में है. पूरे मेले में सभी दुकानदारों के साथ-साथ ढोलक बाजार भी प्रभावित हुआ है. पहले इस मेले में आने वाले श्रद्धालु मेला घूमते थे. वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा से ढोलक का व्यापार करने वाले व्यापारी भी यहां मेले में आते थे. पिछले कुछ वर्षों से चैती मेले का सरकारीकरण होने के बाद साल दर साल बढ़ती महंगाई ने ढोलक व्यवसाय की भी कमर तोड़कर रख दी है.

कई सालों से लग रहा है ढोलक बाजार: चैती मेले में 42 साल से लगातार अमरोहा से आ रहे हैं ढोलक व्यापारी अनवर हसन साबरी के मुताबिक चैती मेले में आने वाली यह उनकी चौथी पीढ़ी है. वह खुद भी अपने बुजुर्गों के साथ इस मेले में आते रहे हैं. उनके मुताबिक अब ठेकेदारों के द्वारा काफी महंगाई बढ़ा दी गई है. एक ढोलक को तैयार करने में 4 से 5 कारीगरों की मेहनत लगती है. उनके मुताबिक चैती मेले में आने से पहले इसकी तैयारी 6 महीने पूर्व की जाती है.

आसमान छू रही महंगाई: महंगाई की अगर बात की जाए तो बीते वर्ष 80% महंगाई थी लेकिन इस बार पूरे शत प्रतिशत महंगाई है. ठेकेदारों की मनमानी के कारण काफी दुकानदार वापस लौटे हैं. अनवर हसन साबरी के मुताबिक 8 से 9 दुकानदार इस बार वापस लौटे हैं. बीते वर्षों तक ढोलक की 20 से 25 दुकानें आया करती थी. लेकिन इस बार यह संख्या घटकर मात्र 6 रह गई है. जिसका सबसे बड़ा कारण दुकानों की कीमत का काफी महंगा होना है. अगले साल से अगर महंगाई का यही आलम रहा तो वह और उनके साथी दुकानदार दुकानें लेकर चैती मेले में नहीं आएंगे.
यह भी पढें: Kashipur Chaiti Fair: चैती मेले में सजा घोड़ा बाजार, सुल्ताना डाकू से लेकर फूलनदेवी तक थे खरीददार

जगह के हिसाब से तय होती हैं कीमतें: वहीं 6 पीढ़ियों से आ रहे ढोलक के कारोबारी गुफरान के मुताबिक मेले में इस बार ढोलक, मंजीरे, इकतारा, डमरू, बोंगो, बच्चों के चकला-बेलन आदि सामान इस बाजार में लेकर आये हैं. इस बार ढोलक की शुरुआती कीमत 1200 रुपये है. ढोलक की कीमत दुकानों की जगह के हिसाब से तय की जाती है. पहले ढोलक की दुकान के लिए जगह ₹1200 फीट के हिसाब से मिलती थी जो कि इस बार ₹3000 फीट है. पहले अच्छी ढोलक 700 से ₹800 तक की मिल जाती थी लेकिन अब वही कीमत 1200 रुपये से शुरू होकर 3000 से 3500 के बीच में है. काशीपुर के चैती मेले में ढोलक बाजार में ढोलक लेने आने वाले ग्राहकों के मुताबिक बच्चों की जो ढोलक पहले 400 से 500 रुपये में मिल जाती थी वह इस बार दोगुने रेट में 800 रुपये तक में मिल रही है. उनके मुताबिक जो चिमटा पहले ₹150 का मिल जाता था वह अब ₹400 का मिल रहा है.

Last Updated : Apr 13, 2023, 4:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.