रुद्रपुर: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में दर्ज हुए मुकदमों की विवेचना के दौरान विवेचक को 34 विद्यार्थियों के दस्तावेज फर्जी मिले हैं. ये वो छात्र हैं, जिन्होंने वर्ष 2014-15 में उत्तराखंड बोर्ड से परीक्षा उत्तीण की है. छात्रवृत्ति घोटाले में दर्ज मुकदमों की विवेचना के दौरान बड़े-बड़े खुलासे हो रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक विवेचना के दौरान 34 विद्यार्थियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं. जिसमें उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद के सचिव के फर्जी हस्ताक्षर पाए गए हैं. जिसके जरिए छात्रवृत्ति बांटी गई थी.
दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में विवेचना के दौरान काशीपुर के कॉलेजों में वर्ष 2014-15 में उत्तीर्ण हुए 34 विद्यार्थियों के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं. दरअसल नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर प्रदेश भर में दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले की जांच एसआईटी द्वारा की जा रही है.
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पहले चरण में एसआईटी द्वारा जनपद से बाहर के कॉलेजों में पढ़ने वाले तीन हजार छात्र और छात्राओं का सत्यापन किया गया. जांच के दौरान 1500 से अधिक छात्र और छात्राओं को बिना कोर्स के फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर करोड़ों रुपए की छात्रवृत्ति दे दी गई. अब तक एसआईटी द्वारा बाहरी राज्यों में हुई जांच के आधार पर जनपद के थानों में 60 कॉलेजों और 70 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
विवेचना के दौरान पुलिस टीम द्वारा हरियाणा के शांति कॉलेज ऑफ एजुकेशन में जिन 34 विद्यार्थियों के नाम से छात्रवृत्ति आवंटित हुई उन विद्यार्थियों ने वर्ष 2014-15 में जीजीआईसी, उदयराज और जीवी पंत स्कूल काशीपुर से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की है और जांच के दौरान सभी 34 के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं.