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पड़ताल: चेन्नई की घटना से लें सबक, आपके घर में रखा फ्रिज बन सकता है खतरा

वर्तमान में फ्रिज को ठंडा करने के लिए हाइड्रोजन फ्लोरो कार्बन का उपयोग किया जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस हाइड्रोजन फ्लोरो कार्बन गैस के लीकेज होने से सांस लेने में दिक्कत आ सकती है. साथ ही इससे इंसान के हृदय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

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Published : Jul 3, 2019, 6:38 PM IST

Updated : Jul 3, 2019, 10:56 PM IST

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काशीपुर: अब तक घरों में आग लगने का कारण गैस सिलेंडर और बिजली का शॉर्ट सर्किट माना जाता रहा है. लेकिन घर में रखा फ्रिज भी इसके लिए जिम्मेवार हो सकता है. बीते दिनों चेन्नई में एक घर में रखे फ्रिज में ब्लास्ट होने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई. जिसके बाद से ही इस तरह के सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने कुछ जानकारियां जुटाई है, ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके.

पढ़ें- शादी के दिन से ही पति करता था मारपीट, विरोध करने पर बोला तीन तलाक

ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने सबसे पहले काशीपुर के एसी, फ्रिज और वाशिंग मशीन यूनियन के उपाध्यक्ष मो. उमर से बात की, जो पिछले 40 सालों से ये काम कर रहे है. उमर के मुताबिक फ्रिज में प्रयोग होने वाली कोई सी भी कूलिंग गैस जानलेवा नहीं होती है. उमर के अनुसार R-134, हाइड्रोकार्बन और मेफ़रोन जो कंपनियां बना रही है उनका कभी साइड इफेक्ट नहीं होता है. उनके मुताबिक R12 और R22 विदेश में प्रतिबंधित हो चुकी हैं लेकिन, भारत ने आज भी R22 का प्रयोग किया जा रहा है. उमर ने बताया कि जल्द ही भारत में भी कंपनी R410, R404 और R32 के फ्रिज आने वाले है.

आपके घर में रखा फ्रिज बन सकता है खतरा.

इससे बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने काशीपुर के राधे हरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रसायन विज्ञान के प्रोफ़ेसर केदार चंद जोशी से बात की. उन्होंने बताया कि फ्रिज की खोज 19वीं शताब्दी से पहले से हुई है. शुरुआत में इसमें सल्फर डाइऑक्साइड और अमोनिया गैस का प्रयोग किया जाता था, जो हानिकारक होती थी. जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया था.

पढ़ें- कांवड़ मेले पर बड़ा फैसला, अब कांवड़ियों को यात्रा से पहले थाने में देना होगा पूरा ब्योरा

साल 1930 के लगभग कैनेडियन वैज्ञानिकों ने फ्रिज में फ्रीआन गैस भरने का सुझाव दिया. फ्रीआन गैस में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) का कंपाउंड मिक्स करके भरा जाने लगा. इसमें ccl2f2 कंपाउंड मार्केट में फ्रीआन-12 के रूप में बाजार में आने लगा. इसी तरह ccl3f3 फ्रीआन 11 के नाम से, c2cl2f4 फ्रीआन 114 के नाम से और c2cl3f3 फ्रीऑन 113 के नाम से बाजार में आती थी.

ये सभी गैस रेफ्रिजरेटर में कूलिंग गैस रूप में इस्मेताल की जाती थी. उसके बाद वैज्ञानिकों को एहसास हुआ कि इसमें उपयोग में आने वाली क्लोरीन गैस ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रही है. जिसके बाद दुनिया के 134 देशों में फ्रीआन गैस को प्रतिबंधित कर दिया गया.

वर्तमान में फ्रिज को ठंडा करने के लिए हाइड्रोजन फ्लोरो कार्बन का उपयोग किया जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस हाइड्रोजन फ्लोरो कार्बन गैस के लीकेज होने से सांस लेने में दिक्कत आ सकती है. साथ ही इससे इंसान के हृदय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. चेन्नई के मामले पर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम रह गई हो. जिसकी वजह से कमरे में इस गैस का प्रभाव अधिक हो गया हो गया होगा और सभी लोगों की मौत हार्ट अटैक व पैरालाइसिस अटैक की वजह से हो गई हो.

काशीपुर: अब तक घरों में आग लगने का कारण गैस सिलेंडर और बिजली का शॉर्ट सर्किट माना जाता रहा है. लेकिन घर में रखा फ्रिज भी इसके लिए जिम्मेवार हो सकता है. बीते दिनों चेन्नई में एक घर में रखे फ्रिज में ब्लास्ट होने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई. जिसके बाद से ही इस तरह के सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने कुछ जानकारियां जुटाई है, ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके.

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ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने सबसे पहले काशीपुर के एसी, फ्रिज और वाशिंग मशीन यूनियन के उपाध्यक्ष मो. उमर से बात की, जो पिछले 40 सालों से ये काम कर रहे है. उमर के मुताबिक फ्रिज में प्रयोग होने वाली कोई सी भी कूलिंग गैस जानलेवा नहीं होती है. उमर के अनुसार R-134, हाइड्रोकार्बन और मेफ़रोन जो कंपनियां बना रही है उनका कभी साइड इफेक्ट नहीं होता है. उनके मुताबिक R12 और R22 विदेश में प्रतिबंधित हो चुकी हैं लेकिन, भारत ने आज भी R22 का प्रयोग किया जा रहा है. उमर ने बताया कि जल्द ही भारत में भी कंपनी R410, R404 और R32 के फ्रिज आने वाले है.

आपके घर में रखा फ्रिज बन सकता है खतरा.

इससे बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने काशीपुर के राधे हरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रसायन विज्ञान के प्रोफ़ेसर केदार चंद जोशी से बात की. उन्होंने बताया कि फ्रिज की खोज 19वीं शताब्दी से पहले से हुई है. शुरुआत में इसमें सल्फर डाइऑक्साइड और अमोनिया गैस का प्रयोग किया जाता था, जो हानिकारक होती थी. जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया था.

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साल 1930 के लगभग कैनेडियन वैज्ञानिकों ने फ्रिज में फ्रीआन गैस भरने का सुझाव दिया. फ्रीआन गैस में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) का कंपाउंड मिक्स करके भरा जाने लगा. इसमें ccl2f2 कंपाउंड मार्केट में फ्रीआन-12 के रूप में बाजार में आने लगा. इसी तरह ccl3f3 फ्रीआन 11 के नाम से, c2cl2f4 फ्रीआन 114 के नाम से और c2cl3f3 फ्रीऑन 113 के नाम से बाजार में आती थी.

ये सभी गैस रेफ्रिजरेटर में कूलिंग गैस रूप में इस्मेताल की जाती थी. उसके बाद वैज्ञानिकों को एहसास हुआ कि इसमें उपयोग में आने वाली क्लोरीन गैस ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रही है. जिसके बाद दुनिया के 134 देशों में फ्रीआन गैस को प्रतिबंधित कर दिया गया.

वर्तमान में फ्रिज को ठंडा करने के लिए हाइड्रोजन फ्लोरो कार्बन का उपयोग किया जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, इस हाइड्रोजन फ्लोरो कार्बन गैस के लीकेज होने से सांस लेने में दिक्कत आ सकती है. साथ ही इससे इंसान के हृदय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. चेन्नई के मामले पर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम रह गई हो. जिसकी वजह से कमरे में इस गैस का प्रभाव अधिक हो गया हो गया होगा और सभी लोगों की मौत हार्ट अटैक व पैरालाइसिस अटैक की वजह से हो गई हो.

Intro:Summary- चिलचिलाती गर्मी में घर में खाने पीने के सामान को सुरक्षित और खराब होने से बचने के लिए लोग रेफ्रिजरेटर अर्थात फ्रिज का सहारा ले रहे हैं। यही फ्रिज आम आदमी और उसके परिवार की जान का दुश्मन भी बन बैठा है जिसका किसी को आभास तक नहीं है।

एंकर- संपूर्ण उत्तर भारत में चिलचिलाती गर्मी अपने चरम पर है तो मानसून आने में कुछ ही दिन का समय शेष रह गया है ऐसे में चिलचिलाती गर्मी से अपने परिवार को बचाने के लिए मिट्टी के घड़े से लेकर फ्रिज और एसी और कूलर तक का सहारा लेने से नहीं चूक रहे हैं। गर्मी में घर का खाने पीने का सामान रखने का एकमात्र साधन रेफ्रिजरेटर होता है और अगर यही रेफ्रिजरेटर किसी व्यक्ति और उसके परिवार की मौत का कारण बन जाए तो क्या कहेंगे जानते हैं इस रिपोर्ट में।
Body:वीओ- गर्मी के मौसम में आम आदमी के घर में रेफ्रिजरेटर अर्थात फ्रिज होना एक आम बात है। घर में फ्रिज होने से कई तरीके के लाभ आम आदमी को रहते हैं जैसे आम व्यक्ति फ्रिज में कोल्ड ड्रिंक, ठंडे पानी की बोतलें, खाने-पीने का अन्य सामान आदि रख देता है। साथ ही साथ घर-घर में फ्रिज का सबसे ज्यादा फायदा तब मिलता है जब फ्रिज में आइस बॉक्स में बर्फ जमाने रख दी जाती है और वह कभी भी काम आ सकती है। क्या आपने कभी यह जानने की भी कोशिश की है कि जो फ्रिज बर्फ जमा सकता है और खाने पीने की चीजों को ठंडा रखता है। उस फ्रिज गोकुल रखने के लिए तथा आय जमाने के लिए कूलिंग गैस भरी जाती है। और अगर यह कॉलिंग करने वाली गैस लीकेज हो जाए तो यह आपकी जान की दुश्मन भी बन सकती है।
वीओ- जी नहीं यह हम नहीं कह रहे बल्कि चेन्नई के रहने वाले 35 वर्षीय टीवी पत्रकार प्रसन्ना के परिवार की दास्तान बता रही है। चेन्नई में रहने वाले टीवी जर्नलिस्ट और उसका परिवार बीते सप्ताह रात को सोया तो अपने कमरे में ही था लेकिन सुबह उठ नहीं पाया और हमेशा हमेशा के लिए मौत की नींद में सो गया। पुलिस के मुताबिक प्रसन्ना के कमरे में रखे रेफ्रिजरेटर की गैस लीक होना प्रसन्ना और उसके परिवार की मौत का कारण रहा। घटना के वक्त 35 वर्षीय प्रसन्ना के साथ उसकी 30 वर्षीय पत्नी अर्चना और उसकी 60 वर्षीय मां रेवाथी मौजूद थे। घटना का पता तब चला जब सुबह प्रसन्ना के हर से किसी तरह का कोई जवाब नहीं आया नहीं कोई खिड़की या दरवाजा खोला। आशंका जताई जा रही है कि कमरे में शार्ट सर्किट होने की वजह से रेफ्रिजरेटर से यह गैस लीक हुई होगी जिस वजह से हादसा हुआ।
वीओ- जब इस बारे में ईटीवी भारत ने गहराई तक पहुंचने की कोशिश की तो कई तथ्य निकलकर सामने आए। काशीपुर में एसी, फ्रिज और वाशिंग मशीन की यूनियन के उपाध्यक्ष और 40 साल से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे मोहम्मद उमर के मुताबिक फ्रिज की कोई सी भी कूलिंग गैस जानलेवा नहीं होती है। उनके मुताबिक R-134, हाइड्रोकार्बन, और मेफ़रोन जो कंपनियां बना रही है, उनका कभी साइड इफेक्ट नहीं होता है। उनके मुताबिक r12 और r22 विदेश में प्रतिबंधित हो चुकी हैं लेकिन हमारे देश में r22 का प्रचलन आज भी है। मोहम्मद उमर के मुताबिक कंपनी आने वाले समय में r410, आर 404 और r32 मार्केट में फ्रिज के कूलिंग क्षेत्र में उपयोग में आने शुरू हो जाएंगी।
वीओ- वहीं काशीपुर के राधे हरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में रसायन विज्ञानर के प्रोफ़ेसर केदार चंद जोशी से जब ईटीवी भारत ने जब फ्रिजतट को कूलिंग करने वाली गैस के बारे में विस्तार से जाना तो उन्होंने इस गैस के बारे में विस्तार से बताया। प्रोफेसर केदार चंद जोशी के मुताबिक फ्रिज की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी से पहले से हुई है। शुरुआत में इसमें सल्फर डाइऑक्साइड और अमोनिया गैस उपयोग में लाई जाती थी। लेकिन इन गैसों के मनुष्य के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता देख इसको बंद कर दिया गया। सन 1930 के लगभग कैनेडियन वैज्ञानिकों ने इसमें फ्रीऑन गैस को भरने का सुझाव दिया। फ्रीऑन गेस में क्लोरोफ्लोरोकार्बन का कंपाउंड मिक्स करके भरा जाने लगा। इसमें c cl2 f2 कंपाउंड मार्केट में फ्रीऑन 12 के रूप में बाजार में आने लगा, इसी तरह c cl3 f3 फ्रीऑन 11 के नाम से, c2 cl2 f4 फ्रीऑन 114 के नाम से, c2 cl3 f3 फ्रीऑन 113 के नाम से बाजार में आता था और रेफ्रिजरेटर में कूलिंग गैस के रूप में इसको भरा जाता था। उसके बाद वैज्ञानिकों को एहसास हुआ कि इसमें उपयोग में आने वाली क्लोरीन गैस ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रही है। जिसके बाद दुनिया के 134 देशों में प्रीऑन गैस को प्रतिबंधित कर दिया गया। वर्तमान में रेफ्रिजरेटर को कूलिंग करने वाली गैस के रूप में हाइड्रोजन फ्लोरोकार्बन उपयोग में लाई जा रही है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों की एक राय बनती जा रही है कि इस गैस के लीकेज होने से मनुष्य को सांस लेने में दिक्कत आ सकती है और मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है साथ ही साथ मनुष्य के हॉट पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। चेन्नई के मामले पर उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा कम रह गई हो जिसकी वजह से कमरे में इस गैस का प्रभाव अधिक हो गया हो और कमरे में सो रहे सभी लोगों की मौत हार्ट अटैक तथा पैरालाइसिस अटैक की वजह से हो गई हो। साथ ही उन्होंने बताया कि घटना के वक्त कमरे में सो रहे सभी लोगों का ब्रेन डैमेज हो गया हो जिसकी वजह से सभी की मौत हो गई।
बाइट- मो० उमर, रेफ्रिजरेटर मिस्ट्री
बाइट- केदार चंद जोशी, प्रोफ़ेसर रसायन विभाग, राधे हरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, काशीपुरConclusion:
Last Updated : Jul 3, 2019, 10:56 PM IST
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