उधम सिंह नगरः देश में बढ़ रहे जल संकट को लेकर अब वैज्ञानिक भी चिंतित दिखाई दे रहे हैं. भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा अब देश के साथ-साथ विदेशों के वैज्ञानिकों से लगातार कम होते ग्राउंड वाटर को लेकर रिपोर्ट तैयार करते हुए उसे मैनेज करने के सुझाव मांगे हैं. उत्तराखंड राज्य में कुमाऊं रीजन को पहले फेस में लिया गया है. कुमाऊं के कई जिलों में टीम द्वारा शोध कार्य किया जाएगा.
पंतनगर विश्वविद्यालय प्रौद्योगिक महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. एच के शिव प्रसाद ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया से वेस्टन यूनिवर्सिटी व क्वींसलेंड यूनिवर्सिटी और अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी इस शोध कार्य में भाग लेने जा रही है. इसके साथ-साथ भारत की आईआईटी खड़कपुर यूनिवर्सिटी, सरदार बल्लभभाई पटेल यूनिवर्सिटी, सूरत और पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ग्राउंड वाटर को लेकर शोध करेंगे. उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट दो सालों का है. उत्तराखंड में यह शोध कार्य कुमाऊं रीजन में किया जाना है. देश के कई हिस्सों में दो साल तक वैज्ञानिकों की टीम ग्राउंड वाटर मैनेजमेंट में शोध का काम करेगी.
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कुमाऊं में शोध कर रही टीम स्थानीय लोगों के सहयोग से कम होते हुए भूमिगत जल के बारे में काम करेगी. इसके लिए उन स्थानों का चयन किया जा रहा है जहां पर पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. वैज्ञानिकों की टीम एक दूसरे को अपने अनुभव शेयर करेगी. साथ ही उन स्थानों में स्थानीय टेक्नोलॉजी के माध्यम से पानी को बर्बाद होने से बचाने के गुरों को इजाद किया जाएगा, ताकि क्षेत्र में पानी की समस्या को दूर किया जा सके. उन्होंने बताया कि बरसात सीजन में पानी ओवरफ्लो होकर बह जाता है. उसे किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, इस पर भी शोध किया जा सकेगा ताकि अगली बार पानी की किल्लत न हो सके.
उन्होंने बताया कि सभी विषयों से जुड़े वैज्ञानिक इस पर शोध करने जा रहे हैं. इसके लिये स्थानीय लोगों को भी इस शोध कार्य में जोड़ा जाएगा. टीम द्वारा प्रयास किये जाएंगे कि स्थानीय टेक्नोलॉजी के माध्यम से पानी का मैनेजमेंट किया जाए और उसे नए स्वरूप में धरातल में उतारा जाए.
गौर हो कि आए दिन पानी की वजह से देश के कई हिस्सों में हाहाकार मच रहा है. इसी के चलते अब मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा देश के वैज्ञानिकों से इस चुनौती से पार पाने के लिए शोध करते हुए सुझाव मांगे हैं. इसी के चलते अब भारत के वैज्ञानिक ही नहीं विदेशों के वैज्ञानिक भी भारत देश के कई राज्यों में गिरते हुए जलस्तर पर शोध करने जा रहे हैं. 2 सालों तक चलने वाले इस शोध कार्य में तीन विदेशी यूनिवर्सिटी और तीन भारत की यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और स्कॉलर छात्र शोध करेंगे.