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पूर्व एयर चीफ मार्शल धनोआ बोले- सेना में सेवा देने वालों में देवभूमि के युवा सबसे आगे

पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने रुद्रपुर में एक निजी अकादमी का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस अकादमी से यहां के युवक और युवतियों को सैन्य अधिकारी बनने में मदद मिलेगी.

Rudrapur Hindi News
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Published : Mar 16, 2020, 9:47 AM IST

रुद्रपुर: पूर्व एयर चीफ व बालाकोट एयर स्ट्राइक का नेतृत्व करने वाले मार्शल बीएस धनोआ रविवार को रूद्रपुर पहुंचे. जहां उन्होंने एक निजी सैन्य अकादमी का शुभारंभ किया. इस दौरान निजी अकादमी के प्रबंधकों ने उनका जोरदार स्वागत किया.

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पूर्व एयर चीफ मार्शल ने किया निजी सैन्य अकादमी का शुभारंभ.

इस मौके पर धनोआ ने कहा कि अकादमी में सेना, नौसेना और वायु सेना में अफसर बनने की उम्मीद रखने वाले नवयुवकों ओर युवतियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत में आज भी भारतीय सेना में सेवाएं देने में उत्तराखंड के युवाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है. उन्होंने बताया कि बंगलुरू और पंजाब के बाद रुद्रपुर से सटी यूपी की सीमा पर इस अकादमी की शुरुआत से उत्तराखंड के साथ ही यूपी के युवक-युवतियों को भी सैन्य अधिकारी बनने में मदद मिलेगी.

इसके अलावा अन्य जगहों के लोग भी इस अकादमी में प्रवेश लेकर सैन्य अधिकारी बन सकते हैं. उन्होंने बताया कि वह साल 1969 से साल 1974 तक भारतीय राष्ट्रीय सैन्य महाविद्यालय देहरादून में रहे हैं, जिसका उन्हें गर्व है. उन्होंने कहा कि अकादमी के शुरू होने से युवाओं में सैन्य अधिकारी बनने का क्रेज भी बढ़ेगा.

रुद्रपुर: पूर्व एयर चीफ व बालाकोट एयर स्ट्राइक का नेतृत्व करने वाले मार्शल बीएस धनोआ रविवार को रूद्रपुर पहुंचे. जहां उन्होंने एक निजी सैन्य अकादमी का शुभारंभ किया. इस दौरान निजी अकादमी के प्रबंधकों ने उनका जोरदार स्वागत किया.

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पूर्व एयर चीफ मार्शल ने किया निजी सैन्य अकादमी का शुभारंभ.

इस मौके पर धनोआ ने कहा कि अकादमी में सेना, नौसेना और वायु सेना में अफसर बनने की उम्मीद रखने वाले नवयुवकों ओर युवतियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत में आज भी भारतीय सेना में सेवाएं देने में उत्तराखंड के युवाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है. उन्होंने बताया कि बंगलुरू और पंजाब के बाद रुद्रपुर से सटी यूपी की सीमा पर इस अकादमी की शुरुआत से उत्तराखंड के साथ ही यूपी के युवक-युवतियों को भी सैन्य अधिकारी बनने में मदद मिलेगी.

इसके अलावा अन्य जगहों के लोग भी इस अकादमी में प्रवेश लेकर सैन्य अधिकारी बन सकते हैं. उन्होंने बताया कि वह साल 1969 से साल 1974 तक भारतीय राष्ट्रीय सैन्य महाविद्यालय देहरादून में रहे हैं, जिसका उन्हें गर्व है. उन्होंने कहा कि अकादमी के शुरू होने से युवाओं में सैन्य अधिकारी बनने का क्रेज भी बढ़ेगा.

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