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गदरपुर के दो गांवों में फैला डायरिया, 40 लोग बीमार, पानी के 6 सैंपल फेल

गदरपुर के पिपलिया और संजय नगर में ग्रामीणों में डायरिया (उल्टी और दस्त) की शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पेयजल विभाग के 6 नलों से सैंपल जांच के लिए भेजे थे, जो फेल हो गए हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए 16 टीमों का गठन किया है. स्वास्थ्य विभाग ने पिपलिया नंबर एक और संजयनगर को रेड जॉन में रखा है. इसके अलावा आसपास के गांवों को येलो और ग्रीन जोन में रखा गया है.

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रुद्रपुर
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Published : Jul 21, 2022, 7:47 AM IST

रुद्रपुर/गदरपुर: गदरपुर क्षेत्र के पिपलिया और संजय नगर में गंदे पानी के सेवन से ग्रामीणों को डायरिया (उल्टी और दस्त) की शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने 6 नलों से पानी के सैंपल लिए थे. सभी पानी के सैंपल फेल पाए गए हैं. अब विभाग ने 16 टीमों का गठन कर ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच शुरू कर दी है.

16 जुलाई को गदरपुर क्षेत्र के पिपलिया नंबर एक सहित पास के गांव संजय नगर में गंदा पानी पीने की वजह से क्षेत्र में 40 लोगों में उल्टी और दस्त की शिकायत आई थी. शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्रामीण क्षेत्र में पहुंची थी. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया था. यही नहीं विभाग ने दोनों गांवों के 6 नल से पानी के सैंपल लिए थे. सभी सैंपल फेल हो गए हैं. दोनों गांवों के नलों के कनेक्शन पेयजल की टंकी से हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड में आफत की बारिश!, आज इन 6 जिलों में जारी है ऑरेंज अलर्ट

सीएमओ डॉक्टर सुनीता चुफाल रतूड़ी (CMO Dr Sunita Chufal Raturi) ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम 16 जुलाई से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में डेरा डाल कर ग्रामीणों की जांच कर रही है. स्वास्थ्य विभाग ने पिपलिया नंबर एक और संजयनगर को रेड जॉन में रखा है. इसके अलावा आसपास के गांवों को येलो और ग्रीन जोन में रखा गया है. पानी के सैंपल फेल की रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जा रही है.

डायरिया क्या है?: डायरिया को हिंदी में दस्त भी कहते हैं. यह पाचन तंत्र संबंधित एक विकार या डिसऑर्डर है. यह समस्या होने पर मल पानी की तरह पतला होता है. आंत से संबंधित यह रोग मुख्य रूप से रोटावायरस के कारण होता है. यह साल्मोनेला या ई. कोलाई जैसे जीवाणुओं के कारण भी हो सकता है. इसके अलावा, हार्मोनल विकार (Hormonal disorders), आंतों में सूजन (inflammatory bowel disease), कुछ दवाओं के सेवन से भी यह हो सकता है. यदि आप प्रॉपर हाइजीन बनाए रखने के साथ ही स्ट्रीट फूड खाने से बचें और साफ-स्वच्छ पानी पिएं, तो वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाले डायरिया को रोका जा सकता है.

डायरिया के प्रकार: डायरिया को तीन मुख्य भागों में बांटा जा सकता है. उनमे शामिल हैं:
एक्यूट डायरिया (Acute diarrhoea): यह डायरिया का सबसे कॉमन रूप है, जिसमें काफी लूज और पानी जैसे पतले दस्त होते हैं. आमतौर पर, शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थों के जाते ही यह समस्या खुद ब खुद कम हो जाती है.
लगातार होने वाला डायरिया (Persistent diarrhoea): इस तरह का दस्त दो से चार सप्ताह तक रहता है.
क्रोनिक डायरिया (Chronic diarrhoea): इस तरह का डायरिया चार सप्ताह से भी अधिक समय तक आपको परेशान कर सकता है.

डायरिया का इलाज: डायरिया का इलाज आपकी स्थिति की गंभीरता, डिहाइड्रेशन, उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और अन्य कारकों पर निर्भर करता है. आमतौर पर, डायरिया से जल्दी उबरने के लिए द्रव प्रतिस्थापन (fluid replacemen) की आवश्यकता होती है. इसके लिए आपको अधिक से अधिक लिक्विड पदार्थ जैसे पानी और जूस लेना चाहिए. अधिक गंभीर मामलों में इंट्रावेनस इंजेक्शन के जरिए लिक्विड पदार्थों को शरीर में पहुंचाया जाता है. दवाओं के जरिए बाउल मूवमेंट को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. यदि डायरिया बैक्टीरिया के कारण हुआ है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स खाने के लिए दे सकता है. यदि यह पाचन से संबंधित किसी समस्या के कारण हो रहा है, तो इलाज भी उसी आधार पर तय किया जाएगा.

(डायरिया के मरीजों को सलाह दी जाती है कि वो डॉक्टर को जरूर दिखाएं)

रुद्रपुर/गदरपुर: गदरपुर क्षेत्र के पिपलिया और संजय नगर में गंदे पानी के सेवन से ग्रामीणों को डायरिया (उल्टी और दस्त) की शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने 6 नलों से पानी के सैंपल लिए थे. सभी पानी के सैंपल फेल पाए गए हैं. अब विभाग ने 16 टीमों का गठन कर ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच शुरू कर दी है.

16 जुलाई को गदरपुर क्षेत्र के पिपलिया नंबर एक सहित पास के गांव संजय नगर में गंदा पानी पीने की वजह से क्षेत्र में 40 लोगों में उल्टी और दस्त की शिकायत आई थी. शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्रामीण क्षेत्र में पहुंची थी. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया था. यही नहीं विभाग ने दोनों गांवों के 6 नल से पानी के सैंपल लिए थे. सभी सैंपल फेल हो गए हैं. दोनों गांवों के नलों के कनेक्शन पेयजल की टंकी से हैं.
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सीएमओ डॉक्टर सुनीता चुफाल रतूड़ी (CMO Dr Sunita Chufal Raturi) ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम 16 जुलाई से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में डेरा डाल कर ग्रामीणों की जांच कर रही है. स्वास्थ्य विभाग ने पिपलिया नंबर एक और संजयनगर को रेड जॉन में रखा है. इसके अलावा आसपास के गांवों को येलो और ग्रीन जोन में रखा गया है. पानी के सैंपल फेल की रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जा रही है.

डायरिया क्या है?: डायरिया को हिंदी में दस्त भी कहते हैं. यह पाचन तंत्र संबंधित एक विकार या डिसऑर्डर है. यह समस्या होने पर मल पानी की तरह पतला होता है. आंत से संबंधित यह रोग मुख्य रूप से रोटावायरस के कारण होता है. यह साल्मोनेला या ई. कोलाई जैसे जीवाणुओं के कारण भी हो सकता है. इसके अलावा, हार्मोनल विकार (Hormonal disorders), आंतों में सूजन (inflammatory bowel disease), कुछ दवाओं के सेवन से भी यह हो सकता है. यदि आप प्रॉपर हाइजीन बनाए रखने के साथ ही स्ट्रीट फूड खाने से बचें और साफ-स्वच्छ पानी पिएं, तो वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाले डायरिया को रोका जा सकता है.

डायरिया के प्रकार: डायरिया को तीन मुख्य भागों में बांटा जा सकता है. उनमे शामिल हैं:
एक्यूट डायरिया (Acute diarrhoea): यह डायरिया का सबसे कॉमन रूप है, जिसमें काफी लूज और पानी जैसे पतले दस्त होते हैं. आमतौर पर, शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थों के जाते ही यह समस्या खुद ब खुद कम हो जाती है.
लगातार होने वाला डायरिया (Persistent diarrhoea): इस तरह का दस्त दो से चार सप्ताह तक रहता है.
क्रोनिक डायरिया (Chronic diarrhoea): इस तरह का डायरिया चार सप्ताह से भी अधिक समय तक आपको परेशान कर सकता है.

डायरिया का इलाज: डायरिया का इलाज आपकी स्थिति की गंभीरता, डिहाइड्रेशन, उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और अन्य कारकों पर निर्भर करता है. आमतौर पर, डायरिया से जल्दी उबरने के लिए द्रव प्रतिस्थापन (fluid replacemen) की आवश्यकता होती है. इसके लिए आपको अधिक से अधिक लिक्विड पदार्थ जैसे पानी और जूस लेना चाहिए. अधिक गंभीर मामलों में इंट्रावेनस इंजेक्शन के जरिए लिक्विड पदार्थों को शरीर में पहुंचाया जाता है. दवाओं के जरिए बाउल मूवमेंट को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. यदि डायरिया बैक्टीरिया के कारण हुआ है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स खाने के लिए दे सकता है. यदि यह पाचन से संबंधित किसी समस्या के कारण हो रहा है, तो इलाज भी उसी आधार पर तय किया जाएगा.

(डायरिया के मरीजों को सलाह दी जाती है कि वो डॉक्टर को जरूर दिखाएं)

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