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नवरात्रि पर काशीपुर में गूंजे मां के जयकारे, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

आज से ही नव संवत्सर 2076 परिधावी संवत का प्रारंभ हो गया. इस साल के राजा शनि और मंत्री सूर्य देव है

मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
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Published : Apr 6, 2019, 12:36 PM IST

काशीपुर: पूरे भारत में चैत्र नवरात्रि की धूम है. ऐसे में मां दुर्गा के भक्तों की भीड़ मंदिरों में उमड़ रही है. नवरात्रि के पहले दिन लोगों ने अपने घरों में कलश स्थापना कर ली है और भक्तों ने व्रत का संकल्प लिया है. काशीपुर में के मंदिरों में भी आज सुबह से ही भक्तों को भीड़ देखने को मिल रही है. यहां के मंदिरों में माता के जयकारें गूंज रहे है.

मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

पढ़ें- शक्तिपीठ कुंजापुरी: यहां गिरे थे देवी सती के कुंज, जानें मंदिर से जुड़ा अद्भुत रहस्य

काशीपुर में मां मनसा देवी मंदिर, चौराहे वाली माता मंदिर, गायत्री देवी माता और चामुड़ा मंदिर के प्रसिद्ध मंदिर है, जहां नवरात्रि में हर साल विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. इस दौरान शहर और आसपास के गांव के स्थानीय लोग इन मंदिरों में माता के दर्शन करने के लिए आते है. शहर के सभी मंदिरों को फूलों मालाओं और बिजली की रंग-बिरंगे झालरों से सजाया गया है. इस मौके पर मां चामुंडा देवी मंदिर में हलवे के प्रसाद का भी आयोजन किया गया.

आज से ही नव संवत्सर 2076 परिधावी संवत का प्रारंभ हो गया. इस साल के राजा शनि और मंत्री सूर्य देव है. नवरात्रि के प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, और नौवें दिन सिद्धिदात्री तथा रामनवमी पर अपराजिता देवी की आराधना का भी विधान है.

काशीपुर: पूरे भारत में चैत्र नवरात्रि की धूम है. ऐसे में मां दुर्गा के भक्तों की भीड़ मंदिरों में उमड़ रही है. नवरात्रि के पहले दिन लोगों ने अपने घरों में कलश स्थापना कर ली है और भक्तों ने व्रत का संकल्प लिया है. काशीपुर में के मंदिरों में भी आज सुबह से ही भक्तों को भीड़ देखने को मिल रही है. यहां के मंदिरों में माता के जयकारें गूंज रहे है.

मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

पढ़ें- शक्तिपीठ कुंजापुरी: यहां गिरे थे देवी सती के कुंज, जानें मंदिर से जुड़ा अद्भुत रहस्य

काशीपुर में मां मनसा देवी मंदिर, चौराहे वाली माता मंदिर, गायत्री देवी माता और चामुड़ा मंदिर के प्रसिद्ध मंदिर है, जहां नवरात्रि में हर साल विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. इस दौरान शहर और आसपास के गांव के स्थानीय लोग इन मंदिरों में माता के दर्शन करने के लिए आते है. शहर के सभी मंदिरों को फूलों मालाओं और बिजली की रंग-बिरंगे झालरों से सजाया गया है. इस मौके पर मां चामुंडा देवी मंदिर में हलवे के प्रसाद का भी आयोजन किया गया.

आज से ही नव संवत्सर 2076 परिधावी संवत का प्रारंभ हो गया. इस साल के राजा शनि और मंत्री सूर्य देव है. नवरात्रि के प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, और नौवें दिन सिद्धिदात्री तथा रामनवमी पर अपराजिता देवी की आराधना का भी विधान है.

Intro:चैत्र मास के नवरात्र की शुरुआत आज नव संवत्सर के साथ हो गई है। चैत्र मास के नवरात्रि के प्रथम दिन मां भगवती के प्रथम स्वरूप के रूप में शैलपुत्री देवी की आराधना एवं भक्ति पूरे देश भर में की जा रही है तो इससे देवभूमि उत्तराखंड भी अछूता नहीं है। देवी के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करने के लिए उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर मंदिरों में श्रद्धालुओं का जमावड़ा आज सुबह से ही लगा रहा। काशीपुर में भी मां की आराधना एवं पूजा अर्चना करने के लिए मां के भक्त सुबह से ही लंबी कतारों में लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते दिखाई दिए।


Body:काशीपुर शहर के मां मनसा देवी मंदिर, चौराहे वाली माता मंदिर, गायत्री देवी माता मंदिर के साथ साथ चामुंडा देवी मंदिर इत्यादि मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा। नवरात्रि के प्रथम नवरात्र में भक्तों की भक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि काशीपुर के मां चामुंडा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी रही। इस मौके पर मां चामुंडा देवी मंदिर में हलवे के प्रसाद का भी आयोजन किया गया। आज से ही नव संवत्सर 2076 परिधावी संवत का प्रारंभ हो गया। इस साल के राजा शनि और मंत्री सूर्य देव है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, और नौवें दिन सिद्धिदात्री तथा रामनवमी पर अपराजिता देवी की आराधना का भी विधान है।


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