रुद्रपुरः गदरपुर बौर जलाशय बौर जलाशय (Gadarpur Baur Reservoir) को लेकर पर्यटन विभाग और मत्स्य विभाग आमने सामने (tourism department and fisheries department face to face) दिखाई दे रहा है. लेकिन मत्स्य विभाग (fisheries department) ने बौर जलाशय में मछली का ठेका एक कंपनी को 10 साल के लिए दे दिया. अब सिर्फ साढ़े 9 किलोमीटर लंबे बौर जलाशय में पर्यटन और मछली का ठेका साथ-साथ चलने पर संशय खड़ा हो गया है.
ये है पूरा मामलाः पूर्व त्रिवेंद्र सरकार द्वारा 13 जिलों में 13 डेस्टिनेशन स्थल बनाने का खाका खींचा था. उधमसिंह नगर के गदरपुर विधानसभा स्थित प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज बौर जलाशय को 13 डेस्टिनेशन में शामिल किया गया था. पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को रिझाने के लिए तमाम व्यवस्थाएं भी कर दी थी. इसमें सरकार ने करोड़ों रुपए भी लगाए. बड़ी संख्या में पर्यटक मोटर बोटों से गदरपुर जलाशय की रोमांचक सैर का लुत्फ लेते हैं. लेकिन अब मत्स्य विभाग ने बौर और उससे सटे हरिपुरा जलाशय को 10 साल के लिए यूपी की एक कंपनी को ठेके पर दे दिया है. इसका असर पर्यटन के साथ ही बोट संचालन पर पड़ने के आसार हैं.
विधायक अरविंद पांडे के तेवर तल्खः बौर जलाशय को पर्यटन डेस्टिनेशन बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले स्थानीय विधायक अरविंद पांडेय के स्वर मछली के ठेके को लेकर बेहद तल्ख हैं. उनका कहना है कि इससे पर्यटन में बुरा असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मछली के ठेके को लेकर भी विवाद है. पिछले बार के मुकाबले इस बार चार गुना से भी ज्यादा घाटे में ठेका यूपी की कंपनी को दिया गया है.
मामला कोर्ट में विचाराधीनः उधर विभाग के मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि मामला कोर्ट में चल रहा है. कोर्ट के फैसले के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. लेकिन जो प्रदेश हित में होगा उस काम को किया जाएगा. जिला पर्यटन अधिकारी पीके गौतम का कहना है कि मछली के ठेकेदार और वोट संचालक के बीच बैठक करा दी गई है.आपसी सामंजस्य बैठाते हुए मछली पालन बोट संचालन का काम किया जाएगा.