रुद्रपुर: उधम सिंह नगर जनपद की 9 विधानसभा सीटों में से 8 सीटों पर भाजपा का कब्जा है. 9 विधानसभा सीटों में एक लाख से अधिक संख्या में बंगाली वोटर हैं. इसमें से तीन विधानसभा सीटों में बंगाली समाज का दबदबा है. ऐसे में राजनीतिक दल बंगाली समाज को रिझाने में जुटे हुए हैं. वहीं, बंगाली समाज से जुड़े नेता इन विधानसभा सीटों में अपनी दावेदारी जता रहे हैं. रुद्रपुर, सीतारगंज और गदरपुर ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां बंगाली समाज निर्णायक भूमिका में है.
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर राजनीतिक दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है. एक के बाद एक ताबड़तोड़ रैलियों का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री के गृह जनपद में 9 विधानसभा सीटें हैं. यहां जसपुर विधानसभा सीट को छोड़ कर सभी 8 सीटों में भाजपा का कब्जा है. इस बार जनपद की तीन महवपूर्ण सीटों पर बंगाली समाज का दबदबा देखने को मिल रहा है. इस कारण राजनीतिक दल भी बंगाली समाज को रिझाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
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तराई की नौ सीटों में करीब 1 लाख 5 हजार बंगाली वोटर हैं. इनमें रुद्रपुर, सितारगंज और गदरपुर में बंगाली वोटरों का बड़ा प्रभाव है. बंगाली वोटरों को साधने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बंगाली समाज के लोगों से संवाद कर चुके हैं. बीजेपी के साथ ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी बंगाली वोट बैंक को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटी हैं.
वोट बैंक और निर्णायक भूमिका में होने के कारण अब बंगाली समाज से भी टिकट की मांग तेज हो रही है. बंगाली समाज के लिए कार्य करने वाले संगठन भी सियासी दलों से चुनाव में प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहे हैं. बीजेपी से बंगाली समाज से रुद्रपुर सीट पर पूर्व जिलाध्यक्ष की मजबूत दावेदारी है. जिले में बंगाली समाज से प्रेमानन्द महाजन गदरपुर से दो बार बीएसपी और किरण मंडल सितारगंज से बीजेपी एक बार विधायक बन चुके हैं. प्रेमानन्द अभी कांग्रेस से दावेदारी कर रहे हैं.
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इस चुनाव में बंगाली समाज से कांग्रेस से गदरपुर में 4, रुद्रपुर में 1 और सितारगंज में एक दावेदार है. आम आदमी पार्टी से गदरपुर से बंगाली समाज से एक दावेदार टिकट मांग रहा है. कांग्रेस नेता किशोर कुमार का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि इस बार कांग्रेस हाईकमान दिनेशपुर विधानसभा क्षेत्र से बंगाली समाज से जुड़े लोगों को विधानसभा का टिकट देगी.
बंगाली बाहुल्य विधानसभा सीटों में तीनों सीटें भाजपा के खाते में हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल जातिगत समीकरणों पर मंथन करने में जुटे हुए हैं. ऐसे में देखना होगा कि बंगाली समाज के लोगों को कौन सी पार्टी चुनाव में कैंडिडेट बनाकर यहां जीत की जंप लगाती है.