खटीमा: आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की बैनर तले आशा कार्यकत्रियों ने कई मांगों को लेकर सितारंगज सीएचसी में प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी राजेश आर्य को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापने के जरिए आशा कार्यकत्रियों ने राज्य कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम वेतन, कोविड-19 मासिक वेतन, मासिक प्रोत्साहन राशि और अन्य बकाया राशि का भुगतान तत्काल करने की मांग की.
आशा वर्करों का कहना है कि आशाओं ने हमेशा ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित किए गए सारे कार्य पूरी निष्ठा से किए है. यहां तक कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन में भी सारे काम आशा वर्कर्स कर रही हैं. आशाओं ने कोरोना में भी फ्रंटलाइन वर्कर की भूमिका का निर्वहन अपनी जान को जोखिम में डालकर बखूबी किया है, लेकिन इसके लिए उनको कोई भी भत्ता नहीं दिए गया है. आशाओं पर काम का बोझ तो बढ़ाया जा रहा है, लेकिन काम का मेहनताना देने के समय सरकार मुंह मोड़ रही है.
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आशा वर्करों ने कहा कि मासिक पारिश्रमिक 2000 रुपये की घोषणा राज्य सरकार ने की थी. वह कभी भी समय पर नहीं मिलता. आशाओं को मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया, लेकिन अन्य कामों का बोझ भी उनके ऊपर डाल दिया गया. जिसका उन्हें सरकार द्वारा कोई भुगतान नहीं किया जाता है. अगर आशा वर्कर्स अपनी समस्याओं को लेकर आवाज उठाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
आशा कार्यकत्री ने कहा कि वह सरकार से मांग करती है कि उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा देते हुए अठारह हजार रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए. कोरोना महामारी के समय कोविड-19 के काम का दस हजार रुपये मासिक की दर से भुगतान, बिना किसी भत्ते के चलने वाले सर्विलांस ड्यूटी वाले फैसले को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए.