गदरपुर : उधम सिंह नगर के छतरपुर में से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर हर कोई सन्न हो जाएगा. यहां एक युवती को अपने ही घर में रहने के लिए पुलिस-प्रशासन का सहारा लेना पड़ रहा है. बावजूद युवती को न्याय नहीं मिल पा पा रहा है. जिसके कारण युवती दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी युवती को उसके घर में घुसने नहीं दिया जा रहा है. जिससे पुलिस प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं.
केंद्र सरकार लगातार बेटियों को पढ़ाने और बढ़ाने को लेकर संदेश देती रहती है, लेकिन लोगों पर इसका असर कम ही दिख रहा है. इसका ताजा मामला उधम सिंह नगर के काशीपुर क्षेत्र से सामने आया है, यहां रहने वाली अपूर्वा चावला पिछले कई महीने से अपने परिवार के सदस्यों से ही परेशान है. अपूर्वा के घरवाले ही उसकी जान के दुश्मन बने हुए हैं. जिसके कारण अपूर्वा को घर छोड़कर किराये पर रहने को मजबूर होना पड़ रहा है.
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दरअसल, अपूर्वा के पिता निधन के बाद करोड़ों की संपति अपने पीछे छोड़कर गये थे. जिसके बाद अपूर्वा ने भी पिता की संपित में हिस्सा मांगा. फिर क्या था उसके बाद से ही अपूर्वा के परिजन उसके पीछे हाथ धोकर पड़ गये. जिसके बाद मामले में न्याय के लिए अपूर्वा ने जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक और तमाम उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन नतीजा सिफर ही निकला. अंत में थक हार कर अपूर्वा कोर्ट के शरण में गई. जहां कोर्ट ने अपूर्वा को उसके पैतृक घर में ही रहने के निर्देश दिये, लेकिन कोर्ट के आदेशों के बावजूद भी अपूर्वा को उसके परिजन घर में घुसने नहीं दे रहे हैं.
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मीडिया से बात करते हुए अपूर्वा चावला ने कहा कि पिता की संपति में हिस्सा मांगना उसका हक है. उन्होंने कहा कि इसके कारण जान पर खतरा मंडरा रहा है. अपूर्वा ने मीडिया के सामने न्याय की गुहार लगाते हुए प्रशासन से अधिकार दिलाने की मांग की. बता दें कि अपूर्वा न्याय के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित सभी आला अधिकारियों तक गुहार लगा चुकी है. वो अब तक इस मामले में 250 प्रार्थना पत्र दे चुकी है, लेकिन उसे कहीं से भी न्याय नहीं मिला.