हल्द्वानी/रुद्रपुर/काशीपुर/लक्सर: किसानों के हठ के आगे आखिरकार मोदी सरकार को झुकना पड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की है, जिसके बाद कांग्रेस कई राजनीतिक दलों ने इसका स्वागत किया है. केंद्र सरकार द्वारा कृषि बिल वापस लिए जाने पर कांग्रेस ने किसानों की जीत बताया है.
काशीपुर में आम आदमी पार्टी के चुनाव कैंपेन कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बाली ने खुशी का इजहार करते हुए अन्नदाता की जीत बताया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा है कि वह बताएं कि किसान आंदोलन के चलते जो 700 लोग अब तक मौत का शिकार हो गए उनकी मौत का जिम्मेदार कौन है ? उन्होंने कहा कि देश का किसान इस जघन्य अपराध के लिए भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री को कभी माफ नहीं करेगा.
हल्द्वानी में कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता बीना जोशी ने कहा है कि स्वर्गीय इंदिरा गांधी का जयंती है. ऐसे में आज देश के किसानों की एक बड़ी जीत हुई है, जो इंदिरा गांधी के जयंती के मौके पर विजय दिवस के रूप में कांग्रेस ने बनाया है. बीना जोशी ने कहा है जिस तरह से लाल बहादुर शास्त्री का नारा था, जय जवान जय किसान किसानों ने इस नारे को बुलंद करते हुए अपनी जीत हासिल की है.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता बीना जोशी ने कृषि कानून वापसी को किसानों की जीत बताया है. उन्होंने कहा है कि पिछले 14 महीनों में दिल्ली बॉर्डर पर बैठकर किसानों ने अपने आंदोलन किए हैं. उत्तराखंड के किसानों ने भी भारी संख्या में बढ़-चढ़कर भाग लिया, जिसका नतीजा रहा कि आज केंद्र सरकार को कृषि कानून वापस लेना पड़ा. ऐसे में कृषि बिल के दौरान हुई हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों को केंद्र सरकार मुआवजा दे.
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तो वहीं, रुद्रपुर में कृषि कानून के विरोध में पिछले एक साल से विरोध प्रदर्शन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा व तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तजेंद्र सिंह विर्क ने केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है. साथ ही किसानों ने एक-दूसरे को मिठाई खिला कर बधाई दी. तजेंद्र सिंह विर्क ने सरकार ने कृषि कानून को वापस ले लिया है लेकिन एमएसपी अभी भी बड़ा मुद्दा है, जिसको लेकर सयुक्त किसान मोर्चा आगे की रणनीति तैयार करेगा.
उधर, लक्सर में किसान यूनियन से जुड़े किसानों ने कृषि कानून वापस होने पर खुशी जताई और आतिशबाजी कर एक-दूसरे को मिठाई खिलाई. इस मौके पर किसानों नेता चौधरी कीरत सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने आखिरकार किसानों के सामने घुटने टेक दिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार यह कानून पहले ही वापसी ले लेती तो शायद इतना बड़ा आंदोलन न करना पड़ता.