टिहरी: बांध प्रभावित रौलाकोट के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से गांव के विस्थापन और परिसंपत्तियों के भुगतान की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि झील का जलस्तर बढ़ने के कारण गांव पर खतरा मंडरा रहा है. साथ ही झील के कारण गांव में लगातार भूस्खलन जारी है. बावजूद इसके टीएचडीसी गांव के विस्थापन को तैयार नहीं है. उन्होंने डीएम को ज्ञापन सौंपते हुए इस मामले में कार्रवाई की मांग की है.
बता दें कि सोमवार को प्रतापनगर ब्लॉक के रौलाकोट गांव के एक प्रतिनिधि मंडल ने डीएम से मुलाकात की और क्षेत्र की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया. ग्रामीणों का कहना है कि साल 2005 से रौलाकोट और उसे निकटवर्ती नकोट, स्यांसू गांव के विस्थापन के लिए भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने स्वीकृति दे दी थी. बावजूद इसके 13 साल बाद भी गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है.ग्रामीणों का कहना है कि रौलाकोट में वर्तमान में 120 परिवार निवासरत हैं. जो मॉनसून शुरू होने के बाद से ही डर के साये में जीने को मजबूर है. क्योंकि बरसात में झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जिसके चलते उनके मकानों में दरारें पड़ने लगी है. वहीं, वे पुनर्वास विभाग के चक्कर काटकर थक चुके हैं. विभागीय अधिकारी उन्हें जमीन न होने का बहाना बनाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर देते हैं.
इसे भी पढ़ेंः भगत दा ने भाजपा से दिया इस्तीफा, अजय भट्ट ने मिलकर दी बधाई
वहीं, ग्रामीण को कहना है कि पुनर्वास विभाग के कहने पर उन्होंने गांव की जमीन की रजिस्ट्री भी करवा दी है. लेकिन विभागीय अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई करने को तैयार नही है. जबकि, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी जनहित याचिकाओं पर उक्त गांवों के विस्थापन के निर्देश दिए हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक अमला इस मामले में उदासीन बना हुआ है. ऐसे में ग्रामीणों ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर मदद की गुहार लगाई है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है अगर प्रशासन इस मामले को कार्रवाई नहीं करता तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.