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टिहरी: विस्थापन की मांग को लेकर ग्रामीणों ने डीएम को सौंपा ज्ञापन, आंदोलन की दी चेतावनी

बांध प्रभावित रौलाकोट के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से गांव के विस्थापन और परिसंपत्तियों के भुगतान की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि झील का जलस्तर बढ़ने के कारण गांव पर खतरा मंडरा रहा है.

विस्थापन की मांग को लेकर रौलाकोट के ग्रामीण ने डीएम को सौंपा ज्ञापन
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Published : Sep 3, 2019, 12:01 AM IST

टिहरी: बांध प्रभावित रौलाकोट के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से गांव के विस्थापन और परिसंपत्तियों के भुगतान की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि झील का जलस्तर बढ़ने के कारण गांव पर खतरा मंडरा रहा है. साथ ही झील के कारण गांव में लगातार भूस्खलन जारी है. बावजूद इसके टीएचडीसी गांव के विस्थापन को तैयार नहीं है. उन्होंने डीएम को ज्ञापन सौंपते हुए इस मामले में कार्रवाई की मांग की है.

विस्थापन की मांग को लेकर डीएम को सौंपा ज्ञापन.

बता दें कि सोमवार को प्रतापनगर ब्लॉक के रौलाकोट गांव के एक प्रतिनिधि मंडल ने डीएम से मुलाकात की और क्षेत्र की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया. ग्रामीणों का कहना है कि साल 2005 से रौलाकोट और उसे निकटवर्ती नकोट, स्यांसू गांव के विस्थापन के लिए भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने स्वीकृति दे दी थी. बावजूद इसके 13 साल बाद भी गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है.ग्रामीणों का कहना है कि रौलाकोट में वर्तमान में 120 परिवार निवासरत हैं. जो मॉनसून शुरू होने के बाद से ही डर के साये में जीने को मजबूर है. क्योंकि बरसात में झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जिसके चलते उनके मकानों में दरारें पड़ने लगी है. वहीं, वे पुनर्वास विभाग के चक्कर काटकर थक चुके हैं. विभागीय अधिकारी उन्हें जमीन न होने का बहाना बनाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर देते हैं.

इसे भी पढ़ेंः भगत दा ने भाजपा से दिया इस्तीफा, अजय भट्ट ने मिलकर दी बधाई

वहीं, ग्रामीण को कहना है कि पुनर्वास विभाग के कहने पर उन्होंने गांव की जमीन की रजिस्ट्री भी करवा दी है. लेकिन विभागीय अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई करने को तैयार नही है. जबकि, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी जनहित याचिकाओं पर उक्त गांवों के विस्थापन के निर्देश दिए हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक अमला इस मामले में उदासीन बना हुआ है. ऐसे में ग्रामीणों ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर मदद की गुहार लगाई है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है अगर प्रशासन इस मामले को कार्रवाई नहीं करता तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

टिहरी: बांध प्रभावित रौलाकोट के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से गांव के विस्थापन और परिसंपत्तियों के भुगतान की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि झील का जलस्तर बढ़ने के कारण गांव पर खतरा मंडरा रहा है. साथ ही झील के कारण गांव में लगातार भूस्खलन जारी है. बावजूद इसके टीएचडीसी गांव के विस्थापन को तैयार नहीं है. उन्होंने डीएम को ज्ञापन सौंपते हुए इस मामले में कार्रवाई की मांग की है.

विस्थापन की मांग को लेकर डीएम को सौंपा ज्ञापन.

बता दें कि सोमवार को प्रतापनगर ब्लॉक के रौलाकोट गांव के एक प्रतिनिधि मंडल ने डीएम से मुलाकात की और क्षेत्र की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया. ग्रामीणों का कहना है कि साल 2005 से रौलाकोट और उसे निकटवर्ती नकोट, स्यांसू गांव के विस्थापन के लिए भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने स्वीकृति दे दी थी. बावजूद इसके 13 साल बाद भी गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है.ग्रामीणों का कहना है कि रौलाकोट में वर्तमान में 120 परिवार निवासरत हैं. जो मॉनसून शुरू होने के बाद से ही डर के साये में जीने को मजबूर है. क्योंकि बरसात में झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जिसके चलते उनके मकानों में दरारें पड़ने लगी है. वहीं, वे पुनर्वास विभाग के चक्कर काटकर थक चुके हैं. विभागीय अधिकारी उन्हें जमीन न होने का बहाना बनाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर देते हैं.

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वहीं, ग्रामीण को कहना है कि पुनर्वास विभाग के कहने पर उन्होंने गांव की जमीन की रजिस्ट्री भी करवा दी है. लेकिन विभागीय अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई करने को तैयार नही है. जबकि, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी जनहित याचिकाओं पर उक्त गांवों के विस्थापन के निर्देश दिए हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक अमला इस मामले में उदासीन बना हुआ है. ऐसे में ग्रामीणों ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर मदद की गुहार लगाई है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है अगर प्रशासन इस मामले को कार्रवाई नहीं करता तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

Intro:रौलाकोट के विस्थापन को लेकर लेकर डीएम से लगाई गुहार
कहा झील का जल स्तर बढ़ते ही दहशत में जीवन यापन करते हैं ग्रामीणBody: टिहरी बांध से प्रभावित रौलाकोट के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मिलकर गांव का विस्थापन करने और परिसंपित्तयो का भुगतान करने की मांग की है। उनका कहना है कि टिहरी झील का जल स्तर बढ़ते ही गांव के लोग दहशत में आ जाते हैं। झील के कारण गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है। लेकिन टीएचडीसी गांव के विस्थापन को तैयार नहीं। उन्होंने समस्याओं का ज्ञापन डीएम को सौंपते हुए कार्रवाही की मांग की है।
प्रतापनगर ब्लॉक के रौलाकोट के ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने डीएम से मुलाकात कर समस्याओं से अवगत कराया। बताया कि 2005 से रौलाकोट और निकटवर्ती गांव नकोट, स्यांसू आदि के विस्थापन के लिए भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने स्वीकृति दे दी थी। लेकिन 13 साल बाद भी गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है। वर्तमान मे गांव में 120 परिवार निवासरत हैं। बरसात का सीजन शुरू होते ही ग्रामीण भय के माहौल में जीवन यापन करते हैं, क्योंकि इस दौरान झील का जल स्तर लगातार बढ़ता रहता है। झील के कारण मकानों में दरारें पड़ गई हैं। ग्रामीण पुनर्वास विभाग के चक्कर काटकर थक चुके हैं। पुनर्वास के अधिकारी जमीन न होने का बहाना बनाकर इतिश्री कर देते हैं। कहा कि विभाग ने गांव वालों की जमीन की रजिस्टरी भी करवा दी है लेकिन अभी तक पुनर्वास के संबंध में कोई कार्रवाही नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी जनहित याचिकाओं पर उक्त गांवों के विस्थापन के निर्देश दिए हैं लेकिन कोर्ट के आदेशों का भी पालन सरकार और प्रशासन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने डीएम से मांग की कि विस्थापन की कार्रवाही की शुरू की जाए अन्यथा वह दुबारा कोर्ट की शरण और आंदोलन शुरू करने को बाध्य होंगे।
Conclusion:बाइट विनोद सिंह बिष्ट बिष्ट
बाइट जगमोहन सिंह बिष्ट
बाइट धनपाल सिंह ग्रामीण
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