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Tehri Dam PSP: ऊर्जा प्रदेश का सपना होगा साकार, 31 दिसंबर तक पीएसपी से होगा बिजली उत्पादन - टिहरी बांध प्रभावितों के लिए रिपोर्ट

टिहरी बांध परियोजना के तहत पंप स्टोरेज प्लांट पर काम जारी है. इस पीएसपी के कई फायदे हैं. खासकर जब पानी की जरूरत होगी तो इसके जरिए पानी ज्यादा स्टोर कर सकेंगे और जरूरत पड़ने पर पानी की सप्लाई की जाएगी. यानी झील के पानी को पंप के जरिए फिर से डैम में डाल सकेंगे. जिससे पानी की आपूर्ति बनी रहे. टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी की मानें तो 31 दिसंबर 2023 तक पीएसपी से बिजली उत्पादन भी शुरू हो जाएगा.

THDC Executive Director LP Joshi
टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी
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Published : Feb 9, 2023, 8:33 AM IST

Updated : Feb 9, 2023, 9:01 AM IST

टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने पीएसपी की जानकारी दी.

टिहरीः आगामी 31 दिसंबर तक टिहरी बांध परियोजना के एक हजार मेगावाट क्षमता के पंप स्टोरेज प्लांट से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा. इसकी जानकारी टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने दी है. उनका कहना है कि पीएसपी का अंतिम चरण का काम चल रहा है. इसके तहत 31 मार्च को पीएसपी की पहली यूनिट को बॉक्स अप कर दिया जाएगा. इससे ऊर्जा प्रदेश का सपना साकार होगा.

टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड भागीरथीपुरम कांप्लेक्स के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने बताया कि टिहरी बांध के पंप स्टोरेज प्लांट का काम अंतिम चरण में चल रहा है. पीएसपी की पहली यूनिट का बॉक्स अप 31 मार्च को होगा तो अप्रैल में दूसरी यूनिट को भी बॉक्स अप कर दिया जाएगा. जबकि, 31 दिसंबर तक पीएसपी से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा. इसके बाद टिहरी बांध से बिजली उत्पादन भी बढ़ जाएगा.

उनका कहना है कि पीएसपी यानी पंप स्टोरेज प्लांट बनने के बाद पानी को ज्यादा स्टोर कर पाएंगे और जरूरत के हिसाब से ग्रिड को बिजली दे सकेंगे. पीएसपी के बनने के बाद टिहरी बांध का पानी सुविधानुसार पंप कर दोबारा से झील में ले भी जा सकेंगे. यह देश का बड़ा और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. साल 2030 तक 500 जीगावाट बिजली को ग्रिड तक पहुंचाने के उद्देश्य से टीएचडीसी देशभर में बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.
ये भी पढ़ेंः टिहरी डैम से बदल रही भौगोलिक स्थिति, उत्तराखंड में नजदीक आ रहे पहाड़

अरुणाचल प्रदेश में दो बड़े प्रोजेक्ट बना रहा टीएचडीसीः एलपी जोशी ने बताया कि टीएचडीसी को अरुणाचल प्रदेश में भी देमव लोवर में 1750 मेगावाट और कलाई टू लोहित बेसिल में 1200 मेगावाट क्षमता की दो परियोजनाएं मिली हैं. बिजली मंत्रालय ने अब लोहित बेसिल में सभी बिजली परियोजनाओं को टीएचडीसी को ही बनाने की जिम्मेदारी दी है.

टिहरी बांध प्रभावितों के लिए रिपोर्ट के अनुसार होगा काम: टिहरी बांध के कारण जो भी प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र हैं, उनके निरीक्षण के लिए संयुक्त विशेषज्ञ समिति गठित की गई है. समिति ने सभी गांवों का दौरा कर लिया है. समिति की जो भी रिपोर्ट होगी या जिन स्थान पर झील के कारण नुकसान हो रहा है तो उसमें जो भी सरकार की नीति होगी, उसके हिसाब से टीएचडीसी कार्य करेगी.

टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने बताया कि राज्य सरकार और टीएचडीसी ने मिलकर ज्वाइंट वेंचर कंपनी खोली है. इसके तहत उत्तराखंड में जो भी हाइड्रो प्रोजेक्ट बनेंगे, वो सभी टीएचडीसी बनाएगी. इसके तहत राज्य सरकार के साथ करार हो चुका है. इसके अलावा टीएचडीसी राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ भी ज्वाइंट वेंचर कंपनी के तहत हाइड्रो व सोलर प्रोजेक्ट के कार्य कर रही है. राजस्थान में टीएचडीसी 10 हजार मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क बना रही है. जबकि, उत्तर प्रदेश में भी दो हजार मेगावाट का सोलर पार्क बनाया जा रहा है.
ये भी पढ़ेंः यहां 'विकास' ने ही खाली कर दिया गांव!, घरों में पड़ी दरारें

टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने पीएसपी की जानकारी दी.

टिहरीः आगामी 31 दिसंबर तक टिहरी बांध परियोजना के एक हजार मेगावाट क्षमता के पंप स्टोरेज प्लांट से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा. इसकी जानकारी टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने दी है. उनका कहना है कि पीएसपी का अंतिम चरण का काम चल रहा है. इसके तहत 31 मार्च को पीएसपी की पहली यूनिट को बॉक्स अप कर दिया जाएगा. इससे ऊर्जा प्रदेश का सपना साकार होगा.

टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड भागीरथीपुरम कांप्लेक्स के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने बताया कि टिहरी बांध के पंप स्टोरेज प्लांट का काम अंतिम चरण में चल रहा है. पीएसपी की पहली यूनिट का बॉक्स अप 31 मार्च को होगा तो अप्रैल में दूसरी यूनिट को भी बॉक्स अप कर दिया जाएगा. जबकि, 31 दिसंबर तक पीएसपी से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा. इसके बाद टिहरी बांध से बिजली उत्पादन भी बढ़ जाएगा.

उनका कहना है कि पीएसपी यानी पंप स्टोरेज प्लांट बनने के बाद पानी को ज्यादा स्टोर कर पाएंगे और जरूरत के हिसाब से ग्रिड को बिजली दे सकेंगे. पीएसपी के बनने के बाद टिहरी बांध का पानी सुविधानुसार पंप कर दोबारा से झील में ले भी जा सकेंगे. यह देश का बड़ा और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. साल 2030 तक 500 जीगावाट बिजली को ग्रिड तक पहुंचाने के उद्देश्य से टीएचडीसी देशभर में बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.
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अरुणाचल प्रदेश में दो बड़े प्रोजेक्ट बना रहा टीएचडीसीः एलपी जोशी ने बताया कि टीएचडीसी को अरुणाचल प्रदेश में भी देमव लोवर में 1750 मेगावाट और कलाई टू लोहित बेसिल में 1200 मेगावाट क्षमता की दो परियोजनाएं मिली हैं. बिजली मंत्रालय ने अब लोहित बेसिल में सभी बिजली परियोजनाओं को टीएचडीसी को ही बनाने की जिम्मेदारी दी है.

टिहरी बांध प्रभावितों के लिए रिपोर्ट के अनुसार होगा काम: टिहरी बांध के कारण जो भी प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र हैं, उनके निरीक्षण के लिए संयुक्त विशेषज्ञ समिति गठित की गई है. समिति ने सभी गांवों का दौरा कर लिया है. समिति की जो भी रिपोर्ट होगी या जिन स्थान पर झील के कारण नुकसान हो रहा है तो उसमें जो भी सरकार की नीति होगी, उसके हिसाब से टीएचडीसी कार्य करेगी.

टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने बताया कि राज्य सरकार और टीएचडीसी ने मिलकर ज्वाइंट वेंचर कंपनी खोली है. इसके तहत उत्तराखंड में जो भी हाइड्रो प्रोजेक्ट बनेंगे, वो सभी टीएचडीसी बनाएगी. इसके तहत राज्य सरकार के साथ करार हो चुका है. इसके अलावा टीएचडीसी राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ भी ज्वाइंट वेंचर कंपनी के तहत हाइड्रो व सोलर प्रोजेक्ट के कार्य कर रही है. राजस्थान में टीएचडीसी 10 हजार मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क बना रही है. जबकि, उत्तर प्रदेश में भी दो हजार मेगावाट का सोलर पार्क बनाया जा रहा है.
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Last Updated : Feb 9, 2023, 9:01 AM IST
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