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Migration Prevention Plan: टिहरी के मंदार गांव में बनेंगी इंटरलॉकिंग टाइल्स, स्वरोजगार से जुड़ेंगी महिलाएं

मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना धीरे-धीरे रंग ला रही है. उत्तराखंड के टिहरी जिले में महिलाओं को इंटरलॉकिंग टाइल्स बनाने का काम सौंपा जा रहा है. इसके लिए टिहरी के मंदार गांव को चुना गया है. मंदार गांव में टिनशेड तैयार है. मशीन लग चुकी है. अब महिलाओं को इंटरलॉकिंग टाइल्स बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

Migration Prevention Plan
टिहरी समाचार
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Published : Feb 15, 2023, 8:43 AM IST

टिहरी: सड़कों, पार्कों, फुटपाथ पर लगने वाली इंटरलॉकिंग टाइल्स के लिए अब ऋषिकेश, देहरादून के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जल्द ही जाखणीधार ब्लॉक के मंदार गांव में स्थानीय महिलाएं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से इंटरलॉकिंग टाइल्स का निर्माण शुरू करेंगी. इसके लिए गांव में मशीन और प्लेट्स स्थापित की जा रही हैं. इस माह के अंत तक यह योजना शुरू हो जाएगी.

टिहरी के मंदार गांव में बनेंगे इंटरलॉकिंग टाइल्स: जनसंख्या की दृष्टि से टिहरी जिले का सबसे बड़ा गांव मंदार मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना में चिन्हित है. इस गांव में लोगों की आमद को देखते हुए पालायन रोकने के लिए सरकार कई विभागों का समन्वय बनाकर योजनाएं चला रही है. उक्त योजना और राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत भी गांव में इंटरलॉकिंग टाइल्स निर्माण के लिए मशीन और टिनशेड तैयार किया गया है. करीब 6 लाख की लागत से टाइल्स बनाने की मशीन क्रय की गई है. कम्युनिटी इनवेस्टमेंट फंड और स्वयं सहायता समूह की सीसीएल से भवन निर्माण किया गया है.

महिलाएं बनाएंगी इंटरलॉकिंग टाइल्स: जाखणीधार की ब्लॉक प्रमुख सुनीता देवी, गांव की प्रधान संगीता रावत का कहना है कि महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी लगभग 30 महिलाएं इस कार्य को करेंगी. इससे उनकी आजीविका भी बढ़ेगी. वहीं स्थानीय दुकानदारों को भी फायदा मिलेगा. जाखणीधार के ब्लॉक मिशन मैनेजर रविंद्र शर्मा ने बताया कि इस माह के अंत तक योजना का शुभारंभ किया जाएगा. मशीन और अन्य जरूरी साधन स्थापित कर दिए हैं. निर्माण से पूर्व मशीन लगाने वाले कंपनी से एसएचजी की महिलाओं को टाइल्स बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
ये भी पढ़ें: Gaushala without cows: टिहरी में 20 लाख की लागत से निर्मित गौशाला बनी शोपीस

टिहरी जिले में पहली बार इंटरलॉकिंग टाइल का कार्य किया जा रहा है. इससे अब महिलाएं भी आत्मनिर्भर हो रही हैं. पहले इंटरलॉकिंग टाइल्स प्रदेश के अन्य जिलों में पुरुषों के द्वारा किया जाता था. टिहरी एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर महिला समूह के द्वारा इंटरलॉकिंग टाइल्स बनाने का काम शुरू हो रहा है. इसकी हर जगह प्रशंसा हो गई है और इंटरलॉकिंग टाइल्स बनाने के साथ-साथ महिलाएं आत्मनिर्भर भी हो रही हैं.

टिहरी: सड़कों, पार्कों, फुटपाथ पर लगने वाली इंटरलॉकिंग टाइल्स के लिए अब ऋषिकेश, देहरादून के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जल्द ही जाखणीधार ब्लॉक के मंदार गांव में स्थानीय महिलाएं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से इंटरलॉकिंग टाइल्स का निर्माण शुरू करेंगी. इसके लिए गांव में मशीन और प्लेट्स स्थापित की जा रही हैं. इस माह के अंत तक यह योजना शुरू हो जाएगी.

टिहरी के मंदार गांव में बनेंगे इंटरलॉकिंग टाइल्स: जनसंख्या की दृष्टि से टिहरी जिले का सबसे बड़ा गांव मंदार मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना में चिन्हित है. इस गांव में लोगों की आमद को देखते हुए पालायन रोकने के लिए सरकार कई विभागों का समन्वय बनाकर योजनाएं चला रही है. उक्त योजना और राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत भी गांव में इंटरलॉकिंग टाइल्स निर्माण के लिए मशीन और टिनशेड तैयार किया गया है. करीब 6 लाख की लागत से टाइल्स बनाने की मशीन क्रय की गई है. कम्युनिटी इनवेस्टमेंट फंड और स्वयं सहायता समूह की सीसीएल से भवन निर्माण किया गया है.

महिलाएं बनाएंगी इंटरलॉकिंग टाइल्स: जाखणीधार की ब्लॉक प्रमुख सुनीता देवी, गांव की प्रधान संगीता रावत का कहना है कि महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी लगभग 30 महिलाएं इस कार्य को करेंगी. इससे उनकी आजीविका भी बढ़ेगी. वहीं स्थानीय दुकानदारों को भी फायदा मिलेगा. जाखणीधार के ब्लॉक मिशन मैनेजर रविंद्र शर्मा ने बताया कि इस माह के अंत तक योजना का शुभारंभ किया जाएगा. मशीन और अन्य जरूरी साधन स्थापित कर दिए हैं. निर्माण से पूर्व मशीन लगाने वाले कंपनी से एसएचजी की महिलाओं को टाइल्स बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
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टिहरी जिले में पहली बार इंटरलॉकिंग टाइल का कार्य किया जा रहा है. इससे अब महिलाएं भी आत्मनिर्भर हो रही हैं. पहले इंटरलॉकिंग टाइल्स प्रदेश के अन्य जिलों में पुरुषों के द्वारा किया जाता था. टिहरी एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर महिला समूह के द्वारा इंटरलॉकिंग टाइल्स बनाने का काम शुरू हो रहा है. इसकी हर जगह प्रशंसा हो गई है और इंटरलॉकिंग टाइल्स बनाने के साथ-साथ महिलाएं आत्मनिर्भर भी हो रही हैं.

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