टिहरीः जिले में राज्य सरकार द्वारा किसानों को दी गई जमीनों को भूमाफिया को बेच दी है. इन जमीनों पर होटल बना दिए गए हैं. जानकारी के अनुसार चंबा से धनोल्टी व मसूरी के बीच फलपट्टी में किसानों को पट्टे पर जमीन दी गई थी.
यहां लगभग 100 से अधिक किसानों को फल व सब्जियां उगाने के लिए पट्टे पर जमीन दी गई थी, जिस पर कई सालों तक किसानों ने फल और सब्जियां उगाई, लेकिन चंबा से धनोल्टी मसूरी के बीच कई किसानों ने सरकार द्वारा दी गई जमीनों को भूमाफिया को बेच दी है.
होटल बनाने वाले भूमाफिया ने किसानों की जमीनों पर फल सब्जियां उगाने की वजह यहां कंक्रीट का जंगल खड़ा कर दिया है. किसानों की जमीनों पर अवैध तरीके से होटल बना दिए गए हैं. दूसरी ओर उद्यान विभाग के अधिकारी का कहना है कि यह जमीन किसानों को इसलिए पट्टे पर दी गई थी ताकि वे सब्जियां फल आदि उगाकर अपना रोजगार कर सकें.
साथ ही यह नियम भी था कि किसान सिर्फ इन जमीनों पर रहने के लिए एक या दो कमरे बना सकता है, परंतु यदि जमीनों पर आलीशान होटल बना दिए गए हैं तो जांच करके किसानों के पट्टे निरस्त करके अन्य किसानों को दिए जा जाएंगे.
बताते चलें कि सरकार द्वारा जो पट्टे किसानों को दिए गए हैं उन पट्टो में अधिकतर होटल बन चुके हैं लेकिन न तो जिला प्रशासन ने और न ही उद्यान विभाग ने इस ओर ध्यान दिया. सभी भूमाफिया के आगे मौन हैं.
साथ ही चंबा से धनोल्टी मसूरी के बीच कई ऐसे किसान हैं, जो आज भी खेती करना चाहते हैं परंतु उनके पास खेती और फल उगाने के लिए जमीन नहीं है.
ऐसे में सरकार को चाहिए कि जिन किसानों ने सरकार की जमीन को भूमाफिया को बेचकर होटल बनवा दिए हैं उनके पट्टों को निरस्त करते हुए ऐसे जरूरतमंद किसानों को यह जमीन के पट्टे दिए जाएं, जो खेती करना चाहते है ताकि जरूरतमंद किसान अपना रोजगार कर सके.
चम्बा-धनोल्टी और मसूरी के बीच कई किसानों ने उत्तराखंड सरकार द्वारा जमीन पट्टों को भूमाफिया को बेच रहे हैं. कई किसानों ने यह जमीन भूमाफिया को 30-30 साल की लीज पर दे दी है, तो कई किसानों ने भूमाफिया को लाखों रुपयों में यह जमीन बेच दी है.
जिन पट्टों की जमीनों पर बड़े होटल बने थे है उन जमीनों को भूमाफिया ने लाखों रुपयों में खरीदी है. एक तरफ सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत देश विदेशों में 'घोर लोटी आवा' संदेश दे रहे हैं ताकि पहाड़ की जल जंगल जमीन बच सके, वहीं दूसरी तरफ चम्बा धनोल्टी मसूरी के बीच भूमाफिया औने-पौन दामों में उत्तराखंड सरकार की जमीनों को नियम विरुद्ध खरीद रहे हैं.
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जबकि उन जमीनों का मालिकाना हक राज्य सरकार का है. सरकार ने किसानों को सिर्फ खेत सब्जियां फल उगाने के लिए पट्टे पर दिए हैं, न कि बेचने के लिए.
आखिर सवाल उठ रहा है कि जिला प्रशासन और उद्यान विभाग इन भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है और ऐसे किसानों से सरकारी जमीन वापस क्यों नहीं ले रहे है, जो पट्टे की सरकारी जमीनों को बेच रहे हैं.