टिहरीः ईटीवी भारत की खबर का एक बार फिर से बड़ा असर हुआ है. ईटीवी भारत ने पैसों के अभाव में 8 महीने से बिस्तर में पड़ी लक्ष्मी की खबर को प्रमुखता से दिखाया था. खबर दिखाए जाने के बाद डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव और सीएमओ संजय जैन ने पीड़ित परिवार की सुध ली है. इतना ही नहीं सीएमओ संजय जैन ने लक्ष्मी के घर जाकर हालचाल जाना और बीमार लक्ष्मी को जिला अस्पताल में भर्ती करवा दिया है. साथ ही इलाज से लेकर ऑपरेशन तक पूरी मदद करने का आश्वासन दिया है.
बता दें कि बीते 14 अगस्त को ईटीवी भारत ने 'पैसों के अभाव में 8 महीने से बिस्तर में पड़ी 'लक्ष्मी', मां ने जिंदगी बचाने की लगाई गुहार' हेडलाइन से एक खबर को प्रमुखता से दिखाया था. जिसका बड़ा असर हुआ है. लक्ष्मी की मदद के लिए टिहरी जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव और जिले के सीएमओ संजय जैन आगे आए हैं. उन्होंने लक्ष्मी को जिला अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज शुरू करवा दिया है. इलाज का खर्चा जिला प्रशासन की ओर से उठाने की बात कही है.
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क्या था मामलाः नेपाली मूल का एक परिवार 30 सालों से टिहरी शहर में टूटे-फूटे टीनशेड में रहता है. जिनकी 18 साल की एक होनहार बेटी लक्ष्मी है. जो बीते 8 महीने से बिस्तर में पड़ी हुई थी. उसकी आहार नाल किसी बीमारी से खराब हो गई थी, जिसका ऑपरेशन परिजनों ने जौलीग्रांट अस्पताल में करवाया. इस छोटे से ऑपरेशन में उनकी जिंदगी भर की कमाई लग गई. अब परिवार के इलाज के लिए पैसे नहीं है.
लक्ष्मी के परिजनों ने बताया कि जौलीग्रांट अस्पताल में 2 लाख रुपये में एक छोटा सा ऑपरेशन करवाया था, जिसमें खाने की नली को पेट के रास्ते बाहर निकाली गई. उसी नली से लक्ष्मी को लिक्विड के जरिए खाना दिया जा रहा है. डॉक्टरों ने उसके इलाज एवं ऑपरेशन में 10 लाख से अधिक खर्चा आने की बात कही.
वहीं, रुपए न होने के कारण परिजन लक्ष्मी को अस्पताल से अपने घर ले आए थे. जबकि, लक्ष्मी की मां ने अपनी बेटी की जिंदगी बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य समेत सभी लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी.
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मां से लक्ष्मी ने मांगी मौतः इलाज और परिजनों की स्थिति देख लक्ष्मी हिम्मत हार चुकी थी. इतना ही नहीं उसने अपनी मां से जहर देकर उसे मार देने की बात भी कही, लेकिन उसके परिजनों ने लक्ष्मी की जिंदगी बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी. अपनी पूरी जमा पूंजी लगाने के बाद उन्होंने लोगों से आर्थिक मदद की अपील की.
पढ़ाई में काफी होनहार थी लक्ष्मीः लक्ष्मी कक्षा 12वीं की छात्रा थी, लेकिन बीमार होने के चलते वो पेपर नहीं दे पाई. परिजन और स्थानीय लोग बताते हैं कि लक्ष्मी अपनी कक्षा में सबसे तेज तर्रार थी. लक्ष्मी की मां सुमित्रा का कहना है कि उनकी लक्ष्मी से काफी उम्मीदें थी कि वो पढ़-लिखकर उनकी गरीबी दूर करेगी, लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया. अपनी बेटी के इलाज के लिए दर-दर ठोकरें खा चुके हैं.