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टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति ने की विस्थापन राशि जारी करने की मांग, THDC पर लगाया ये आरोप

टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति ने चिन्हित 415 परिवारों के विस्थापन के लिए जल्द 252 करोड़ रुपए जारी करने की मांग की है. साथ ही भागीरथी, भिलंगना और कोटेश्वर घाटी में प्रभावितों की समस्याएं हल करने की मांग की. इसके अलावा टीएचडीसी और पुनर्वास विभाग से 2022 के जीएसआई सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने को भी कहा है.

Tehri Dam Prabhavit Sangharsh Samiti
टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति
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Published : Sep 11, 2022, 6:18 PM IST

Updated : Sep 11, 2022, 6:55 PM IST

टिहरीः उत्तराखंड के टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति ने टीएचडीसी पर ग्रामीणों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. साथ ही चिन्हित 415 परिवारों के विस्थापन के लिए 252 करोड़ रुपए जल्द जारी करने की मांग की है. समिति का कहना है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हाइपॉवर कमेटी के आदेश पर यह धनराशि स्वीकृत हुई थी, लेकिन टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक ने अभी तक यह धनराशि जारी नहीं की है.

टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति (Tehri Dam Affected Struggle Committee) के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा ने बताया कि संपार्श्विक क्षति नीति (विस्थापितों के लिए तय नीति) के तहत भटकंडा, लुटेणा, पिपोला, सिल्ला उप्पू, खांड, उठड़, गडोली आदि गांव के लिए भी प्रतिकर राशि भुगतान की मांग की है. इन गांवों में टिहरी झील के कारण भूस्खलन और भू धंसाव की घटनाएं (Tehri Dam) बढ़ती जा रही है. हालांकि, उन्होंने 415 पात्र परिवारों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू होने पर सरकार का आभार भी जताया.

टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति का आरोप.

समिति के पदाकारियों ने कहा कि अभी भी कई समस्याएं बनी हुई हैं. उन्होंने रौलाकोट, नंदगांव, पयाल गांव की समस्याएं हल करने, टीएचडीसी और पुनर्वास विभाग से 2022 के जीएसआई सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने, संपार्श्विक क्षति नीति की समीक्षा करने, भागीरथी, भिलंगना और कोटेश्वर घाटी में प्रभावितों की समस्याएं हल करने की मांग की.
ये भी पढ़ेंः टिहरी बांध प्रभावित 415 परिवारों की विस्थापन की मांग होगी पूरी, ग्रामीणों में खुशी की लहर

वहीं, उन्होंने पुनर्वास नीति 1998 (Rehabilitation Policy 1998) के अनुसार, संपार्श्विक क्षति नीति (Collateral Damage Policy) में भी यदि किसी गांव के 75 प्रतिशत परिवार बांध से प्रभावित हैं तो उस गांव के 25 प्रतिशत अवशेष परिवारों को भी विस्थापन की श्रेणी (Displacement of Villagers) में रखा जाए. साथ ही टीएचडीसी से सीएसआर की धनराशि टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में खर्च की जाए. साथ ही सेवा टीएचडीसी का कार्यालय नई टिहरी वापस लाने की मांग की.

समिति ने साल 2010 से प्रभावित परिवारों को फसलाना देने और समन्वय समिति में प्रभावित क्षेत्रों के विधायकों को दोबारा शामिल करने की मांग की है. उनका कहना है कि आरएल 835 से ऊपर से गांवों में टिहरी झील से भू धंसाव (Tehri Dam Landslide) हो रहा है. इसलिए इन गांवों का दोबारा सर्वे किया जाए. अगर टीएचडीसी जल्द इन मांगों को नहीं मानती है तो सभी ग्रामीण टीएचडीसी के कार्यालय के बाहर विशाल धरना प्रदर्शन करेंगे. जिसकी जिम्मेदारी टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (पूर्व नाम टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड) की होगी.
ये भी पढ़ेंः टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से खतरा, डीएम ने टीएचडीसी को ग्रामीणों की सुरक्षा के दिए निर्देश

टिहरीः उत्तराखंड के टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति ने टीएचडीसी पर ग्रामीणों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. साथ ही चिन्हित 415 परिवारों के विस्थापन के लिए 252 करोड़ रुपए जल्द जारी करने की मांग की है. समिति का कहना है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हाइपॉवर कमेटी के आदेश पर यह धनराशि स्वीकृत हुई थी, लेकिन टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक ने अभी तक यह धनराशि जारी नहीं की है.

टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति (Tehri Dam Affected Struggle Committee) के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा ने बताया कि संपार्श्विक क्षति नीति (विस्थापितों के लिए तय नीति) के तहत भटकंडा, लुटेणा, पिपोला, सिल्ला उप्पू, खांड, उठड़, गडोली आदि गांव के लिए भी प्रतिकर राशि भुगतान की मांग की है. इन गांवों में टिहरी झील के कारण भूस्खलन और भू धंसाव की घटनाएं (Tehri Dam) बढ़ती जा रही है. हालांकि, उन्होंने 415 पात्र परिवारों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू होने पर सरकार का आभार भी जताया.

टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति का आरोप.

समिति के पदाकारियों ने कहा कि अभी भी कई समस्याएं बनी हुई हैं. उन्होंने रौलाकोट, नंदगांव, पयाल गांव की समस्याएं हल करने, टीएचडीसी और पुनर्वास विभाग से 2022 के जीएसआई सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने, संपार्श्विक क्षति नीति की समीक्षा करने, भागीरथी, भिलंगना और कोटेश्वर घाटी में प्रभावितों की समस्याएं हल करने की मांग की.
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वहीं, उन्होंने पुनर्वास नीति 1998 (Rehabilitation Policy 1998) के अनुसार, संपार्श्विक क्षति नीति (Collateral Damage Policy) में भी यदि किसी गांव के 75 प्रतिशत परिवार बांध से प्रभावित हैं तो उस गांव के 25 प्रतिशत अवशेष परिवारों को भी विस्थापन की श्रेणी (Displacement of Villagers) में रखा जाए. साथ ही टीएचडीसी से सीएसआर की धनराशि टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में खर्च की जाए. साथ ही सेवा टीएचडीसी का कार्यालय नई टिहरी वापस लाने की मांग की.

समिति ने साल 2010 से प्रभावित परिवारों को फसलाना देने और समन्वय समिति में प्रभावित क्षेत्रों के विधायकों को दोबारा शामिल करने की मांग की है. उनका कहना है कि आरएल 835 से ऊपर से गांवों में टिहरी झील से भू धंसाव (Tehri Dam Landslide) हो रहा है. इसलिए इन गांवों का दोबारा सर्वे किया जाए. अगर टीएचडीसी जल्द इन मांगों को नहीं मानती है तो सभी ग्रामीण टीएचडीसी के कार्यालय के बाहर विशाल धरना प्रदर्शन करेंगे. जिसकी जिम्मेदारी टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (पूर्व नाम टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड) की होगी.
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Last Updated : Sep 11, 2022, 6:55 PM IST
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