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शर्मनाक! टपकती छत के नीचे छाता लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं छात्र

उत्तराखंड के टिहरी जिले के जौनपुर विकास खण्ड के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भाल की माण्डे की इमारत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है.छात्र जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं.

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Published : Sep 6, 2019, 2:08 PM IST

जर्जर

टिहरीः हमारे देश में शिक्षा को लेकर सरकारों द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन हकीकत में सच्चाई कोसों दूर है. वास्तव में आज भी शिक्षा व्यवस्था बदहाल स्थिति में है. हालत यह है कि मासूम जान जोखिम में डालकर जर्जर इमारत में पढ़ने को मजबूर हैं. आज भी देश के कई कोनों के विद्यालयों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.

जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं छात्र.

ऐसा ही एक विद्यालय उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले के धनोल्टी विधानसभा के भाल की माण्डे में है जहां आज भी बच्चे बारिश के दिन खड़े होकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं और विद्यालय जीर्ण-शीर्ण हालात में हैं. जब तेज बारिश होती है तो बच्चे कमरे के अन्दर छाता लगाकर पढ़ाई करते हैं.

दूसरी ओर बताया जा रहा कि स्कूल की इमारत के लिए कई बार सरकार द्वारा धन दिया गया लेकिन ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण किये जाने पर विद्यालय की हालत नहीं सुधरी. आज तक दोषी ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. ठेकेदार की लापरवाही बच्चों पर भारी पड़ रही है.

इस पाठशाला में बरसात में पानी टपकता है. छत भी इतनी कमजोर हो कि कभी भी कोई अनहोनी घटित हो सकती है. बच्चे खड़े होकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. साथ ही क्लास रूम किसी पशुओं के तबेले जैसी बद से बदतर हालत में शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं.

टिहरी जिले के जौनपुर विकास खण्ड के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भाल की माण्डे का की हालत बद से बत्तर बनी हुई है. कमरों मे पानी टपक रहा है स्कूल की छत बडी अनहोनी का इन्तजार कर रही है जो कभी भी गिर कर जमीन पर आ सकती है. कमरों का फर्श उखड़ा पड़ा है.

एक ही कक्षा में दो-दो क्लासें चल रहीं हैं

इस स्कूल में कक्षा 6 से लेकर 10 तक 110 छात्र हैं. 2016 में इस स्कूल में कक्षाओं की वृद्धि गई थी. पहले यह स्कूल कक्षा 8 तक था. वर्तमान में हाईस्कूल तक की कक्षाएं संचालित हो रहीं हैं. जानकारी के अनुसार 2005 में इस स्कूल के भवन का निर्माण हुआ था लेकिन इसकी गुणवत्ता साफ दिखाई दे रही है.

यह भी पढ़ेंः सिंचाई सचिव की मेहनत रंग लायी, फिर से स्कूल जाएगी हलीमा, पिता ने बंद करा दिया था

स्कूल के भवन की हालत पशुओं के तबेले से भी बत्तर है. खिड़कियों मे दरवाजे नहीं हैं. भवन का प्लास्टर गिर रहा है. पानी छत से टपक-टपक कर तालाब बन रहा है. कमरे कम होने के कारण एक कमरे में दो-दो कक्षाएं चल रहीं हैं. एक क्लास तो खड़े खडे़ ही पढ़ाई करने को मजबूर हैं क्योंकि जमीन पर सारे पानी टपक रहा है.

राज्य सरकार नहीं दे रही ध्यान
वहीं, दूसरी ओर क्षेत्र के पंचायत सदस्य मनवीर सिंह नेगी ने बताया कि कई बार इस सम्बन्ध में शिक्षा विभाग के साथ-साथ सरकार को भी अवगत कराया जा चुका है. चाहे वो पिछली सरकार हो अथवा वर्तमान लेकिन किसी ने भी इस ओर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की. सरकार शिक्षा में आगे बढ़ने की बात कहती है लेकिन हकीकत कुछ और ही है.

शिक्षा विभाग को भी इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी है फिर भी उदासीन रवैया इस विषय पर सामने नजर आ रहा है. ऐसी जर्जर इमारत में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य दांव पर लगा है.

कागजी कार्रवाई में इस देश में लोग शिक्षा के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हों, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए नई-नई योजना तैयार करते हो लेकिन जमीनी स्तर पर यह पोल खोलता नजर आ रहा है.

वास्तव में सरकार 'जब पढ़ेगा इण्डिया तभी तो बढे़गा इण्डिया' की बात तो करती है लेकिन जमीनी स्तर पर शिक्षा का यह हाल भाल की माण्डे का यह स्कूल बयां कर रहा है.

टिहरीः हमारे देश में शिक्षा को लेकर सरकारों द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन हकीकत में सच्चाई कोसों दूर है. वास्तव में आज भी शिक्षा व्यवस्था बदहाल स्थिति में है. हालत यह है कि मासूम जान जोखिम में डालकर जर्जर इमारत में पढ़ने को मजबूर हैं. आज भी देश के कई कोनों के विद्यालयों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.

जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं छात्र.

ऐसा ही एक विद्यालय उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले के धनोल्टी विधानसभा के भाल की माण्डे में है जहां आज भी बच्चे बारिश के दिन खड़े होकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं और विद्यालय जीर्ण-शीर्ण हालात में हैं. जब तेज बारिश होती है तो बच्चे कमरे के अन्दर छाता लगाकर पढ़ाई करते हैं.

दूसरी ओर बताया जा रहा कि स्कूल की इमारत के लिए कई बार सरकार द्वारा धन दिया गया लेकिन ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण किये जाने पर विद्यालय की हालत नहीं सुधरी. आज तक दोषी ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. ठेकेदार की लापरवाही बच्चों पर भारी पड़ रही है.

इस पाठशाला में बरसात में पानी टपकता है. छत भी इतनी कमजोर हो कि कभी भी कोई अनहोनी घटित हो सकती है. बच्चे खड़े होकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. साथ ही क्लास रूम किसी पशुओं के तबेले जैसी बद से बदतर हालत में शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं.

टिहरी जिले के जौनपुर विकास खण्ड के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भाल की माण्डे का की हालत बद से बत्तर बनी हुई है. कमरों मे पानी टपक रहा है स्कूल की छत बडी अनहोनी का इन्तजार कर रही है जो कभी भी गिर कर जमीन पर आ सकती है. कमरों का फर्श उखड़ा पड़ा है.

एक ही कक्षा में दो-दो क्लासें चल रहीं हैं

इस स्कूल में कक्षा 6 से लेकर 10 तक 110 छात्र हैं. 2016 में इस स्कूल में कक्षाओं की वृद्धि गई थी. पहले यह स्कूल कक्षा 8 तक था. वर्तमान में हाईस्कूल तक की कक्षाएं संचालित हो रहीं हैं. जानकारी के अनुसार 2005 में इस स्कूल के भवन का निर्माण हुआ था लेकिन इसकी गुणवत्ता साफ दिखाई दे रही है.

यह भी पढ़ेंः सिंचाई सचिव की मेहनत रंग लायी, फिर से स्कूल जाएगी हलीमा, पिता ने बंद करा दिया था

स्कूल के भवन की हालत पशुओं के तबेले से भी बत्तर है. खिड़कियों मे दरवाजे नहीं हैं. भवन का प्लास्टर गिर रहा है. पानी छत से टपक-टपक कर तालाब बन रहा है. कमरे कम होने के कारण एक कमरे में दो-दो कक्षाएं चल रहीं हैं. एक क्लास तो खड़े खडे़ ही पढ़ाई करने को मजबूर हैं क्योंकि जमीन पर सारे पानी टपक रहा है.

राज्य सरकार नहीं दे रही ध्यान
वहीं, दूसरी ओर क्षेत्र के पंचायत सदस्य मनवीर सिंह नेगी ने बताया कि कई बार इस सम्बन्ध में शिक्षा विभाग के साथ-साथ सरकार को भी अवगत कराया जा चुका है. चाहे वो पिछली सरकार हो अथवा वर्तमान लेकिन किसी ने भी इस ओर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की. सरकार शिक्षा में आगे बढ़ने की बात कहती है लेकिन हकीकत कुछ और ही है.

शिक्षा विभाग को भी इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी है फिर भी उदासीन रवैया इस विषय पर सामने नजर आ रहा है. ऐसी जर्जर इमारत में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य दांव पर लगा है.

कागजी कार्रवाई में इस देश में लोग शिक्षा के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हों, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए नई-नई योजना तैयार करते हो लेकिन जमीनी स्तर पर यह पोल खोलता नजर आ रहा है.

वास्तव में सरकार 'जब पढ़ेगा इण्डिया तभी तो बढे़गा इण्डिया' की बात तो करती है लेकिन जमीनी स्तर पर शिक्षा का यह हाल भाल की माण्डे का यह स्कूल बयां कर रहा है.

Intro:वारिश के दिन खडे होकर पढने को मजबूर बच्चे। खतरे की जद में स्कूल। स्कूल का घटिया निर्माण करने वाले ठैकेदार के खिलाफ नही हुई कार्यावाहीBody:वारिश के दिन खडे होकर पढने को मजबूर बच्चे। खतरे की जद में स्कूल। स्कूल का घटिया निर्माण करने वाले ठैकेदार के खिलाफ नही हुई कार्यावाही

जहा आज देश शिक्षक दिवस मना रहे हे वही आज भी देश के कई कोनो के बिधालयो की स्थिति दयनीय बनी हुई हे ऐसा ही एक बिधालय उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जिले के धनोलटी बिधनसभ्सस के भाल की माण्डे में हे जहा पर आज भी बच्चे वारिश के दिन खडे होकर पढाई करने को मजबूर हे और बिधालय जीर्ण शीर्ण हालात में हे जबकि इस पर कई बार सरकार के द्धारा धन दिया गया लेकिन ठैकेदार के द्धारा घटिया निर्माण किये जाने पर बिधालय की हालात इस तरह से हुई हे। और आज तक ठैकेदार के खिलाफ कोई कार्यावाही नही की गई ठैकेदार की लापरवाही बच्चो पर भारी पड रही हे।

देश का भविष्य जब शिक्षा के उस मन्दिर जंहा वो शिक्षा ग्रहण करता हो जंहा से हर अभिभावक इस देश की मझबुत रीड बनकर इस देश को शिक्षा के साथ आगे बढने का सपना अपने बच्चो मे देखते हो लेकिन शिक्षा की उस पाठसाला मे ही वह सुरक्षित न हो और वही पाठसाला खतरा बनी हो उस पाठशाला मे बरसात मे पानी टपकता है जिसकी छत इतनी कमजोर हो की कभी भी कोई अनहोनी घटीत हो सकती है बच्चे खडे होकर पढाई करने को मजबुर हो व क्लास रूम किसी पशाुओ के तबेले जैसी बद से बदतर हालत मे शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने को मझबुर हो वो भी जान को जोखिम मे डालकर पढने को मजबूर हे।

जी हां यही हाल है टिहरी जिले के धनोल्टी विधान सभा में जौनपुर विकास खण्ड के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भाल की माण्डे का जंहा की हालत बद से बत्तर बनी हुई है। कमरो मे पानी टपक रहा है स्कूल की छत बडी अनहोनी का इन्तजार कर रही है जो कभी भी गिर कर जमीन पर आ सकती है। एक ही कक्षा मे दो दो क्लासे चल रही है। कमरो का फर्स उखडा पडा है टपकती छत के निचे बच्चे पड रहै है व इस देश के भविष्य का निर्माण बच्चो की जान को जोखिम मे डालकर हो रहा है।

इस कक्षा 6 से लेकर कक्षा 10 के 110 की छात्र संख्या हे। आखिर मे कोई भी सरकार हो जब पढेगा इण्डिया तभी तो बडेगा इण्डिया की बात करते है लेकिन जमीनी स्तर पर शिक्षा का यह हाल भाल की माण्डे का यह स्कूल वंया कर रहा है।


Conclusion:2016 मे इस भाल की माण्डे स्कूल का उच्चीकरण हुआ था व पहले कक्षा 8 तक यहां कक्षाए चलती थी व वर्तमान मे कक्षा 10 यानी की हाईस्कूल तक की कक्षाए संचालित हो रही है। गांव मे हमे जानकारी प्राप्त हुई की 2005 मे इस स्कूल के भवन का निर्माण हुआ था लेकिन इसकी गुणवद्वता साफ दिखाई दे रही है ।

इस स्कूल के भवन की हालत पशुओ के तबेले से भी बत्तर है खिडकियो मे दरवाजे नही है सारे भवन का पलास्टर गीर रहा है। पानी छत से टपक टपक कर तालाब बन रहा है कमरे कम होने के कारण एक कमरे मे दो दो कक्षाए चल रही है एक क्लास तो खडे खडे ही पडाई करने को मझबूर है क्योकी जमीन पर सारे पानी टपक रहा है।

इस क्षेत्र मे क्षेत्र पंचायत सदस्य मनवीर सिहं नेगी ने बताया की कई बार इस सम्बन्ध मे शिक्षा विभाग के साथ साथ सरकार को भी अवगत कराया जा चुका है चाहे वो पिछली सरकार रही हो चाहै वर्तमान लेकिन इस और कोई सकारात्मक कार्यवाही नही हो सकी है।

जबकी बात की जाय तो चाहे सरकार कोई भी हो शिक्षा मे आगे बडने की बात कहती है लेकिन वास्तव मे ए समझना मुस्किल है की फीर एसी हालत क्यो ओ भी शिक्षा जैसे विषय पर ।

शिक्षा विभाग को भी इस सम्बन्ध मे पूरी जानकारी है फिर भी उदासीन रबैया इस विषय पर सामने नजर आ रहा है।एसी बत्तर हालत मे हम उस स्कूल मे पड रहे छात्रो के भविष्य से क्या आशा रख सकते है। जो पढाई तो दूर भवन की हालत को देखते हुए कभी भी किसी अनहोनी का शिकार हो सकते है।

कागजी कार्यवाही मे इस देश मे लोग शिक्षा के लिए बडी बडी बाते करते हो शिक्षा के स्तर को बडाने के लिए नई नई योजना रचना तैयार करते हो लेकिन लेकिन जमिनी स्तर पर यह स्कूल पोल खोलता नजर आ रहा है।



जब तेज बारिश हाती हे तसे बच्चे कमरे के अन्दर छााता उठाकर पढाई करते हे।


बाइट . आरती छा़त्रा
बाइट . मुकेश छात्र
बाइट पूजा छात्रा
बाइट . मीना देवी अभिभावक
बाइट . मनोहर सिहं गुंसाई शिक्षक
बाइट . मनवीर सिहं नेगी क्षेत्र पंचायत सदस्य
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