टिहरीः हमारे देश में शिक्षा को लेकर सरकारों द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन हकीकत में सच्चाई कोसों दूर है. वास्तव में आज भी शिक्षा व्यवस्था बदहाल स्थिति में है. हालत यह है कि मासूम जान जोखिम में डालकर जर्जर इमारत में पढ़ने को मजबूर हैं. आज भी देश के कई कोनों के विद्यालयों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.
ऐसा ही एक विद्यालय उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले के धनोल्टी विधानसभा के भाल की माण्डे में है जहां आज भी बच्चे बारिश के दिन खड़े होकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं और विद्यालय जीर्ण-शीर्ण हालात में हैं. जब तेज बारिश होती है तो बच्चे कमरे के अन्दर छाता लगाकर पढ़ाई करते हैं.
दूसरी ओर बताया जा रहा कि स्कूल की इमारत के लिए कई बार सरकार द्वारा धन दिया गया लेकिन ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण किये जाने पर विद्यालय की हालत नहीं सुधरी. आज तक दोषी ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. ठेकेदार की लापरवाही बच्चों पर भारी पड़ रही है.
इस पाठशाला में बरसात में पानी टपकता है. छत भी इतनी कमजोर हो कि कभी भी कोई अनहोनी घटित हो सकती है. बच्चे खड़े होकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. साथ ही क्लास रूम किसी पशुओं के तबेले जैसी बद से बदतर हालत में शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं.
टिहरी जिले के जौनपुर विकास खण्ड के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भाल की माण्डे का की हालत बद से बत्तर बनी हुई है. कमरों मे पानी टपक रहा है स्कूल की छत बडी अनहोनी का इन्तजार कर रही है जो कभी भी गिर कर जमीन पर आ सकती है. कमरों का फर्श उखड़ा पड़ा है.
एक ही कक्षा में दो-दो क्लासें चल रहीं हैं
इस स्कूल में कक्षा 6 से लेकर 10 तक 110 छात्र हैं. 2016 में इस स्कूल में कक्षाओं की वृद्धि गई थी. पहले यह स्कूल कक्षा 8 तक था. वर्तमान में हाईस्कूल तक की कक्षाएं संचालित हो रहीं हैं. जानकारी के अनुसार 2005 में इस स्कूल के भवन का निर्माण हुआ था लेकिन इसकी गुणवत्ता साफ दिखाई दे रही है.
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स्कूल के भवन की हालत पशुओं के तबेले से भी बत्तर है. खिड़कियों मे दरवाजे नहीं हैं. भवन का प्लास्टर गिर रहा है. पानी छत से टपक-टपक कर तालाब बन रहा है. कमरे कम होने के कारण एक कमरे में दो-दो कक्षाएं चल रहीं हैं. एक क्लास तो खड़े खडे़ ही पढ़ाई करने को मजबूर हैं क्योंकि जमीन पर सारे पानी टपक रहा है.
राज्य सरकार नहीं दे रही ध्यान
वहीं, दूसरी ओर क्षेत्र के पंचायत सदस्य मनवीर सिंह नेगी ने बताया कि कई बार इस सम्बन्ध में शिक्षा विभाग के साथ-साथ सरकार को भी अवगत कराया जा चुका है. चाहे वो पिछली सरकार हो अथवा वर्तमान लेकिन किसी ने भी इस ओर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की. सरकार शिक्षा में आगे बढ़ने की बात कहती है लेकिन हकीकत कुछ और ही है.
शिक्षा विभाग को भी इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी है फिर भी उदासीन रवैया इस विषय पर सामने नजर आ रहा है. ऐसी जर्जर इमारत में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य दांव पर लगा है.
कागजी कार्रवाई में इस देश में लोग शिक्षा के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हों, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए नई-नई योजना तैयार करते हो लेकिन जमीनी स्तर पर यह पोल खोलता नजर आ रहा है.
वास्तव में सरकार 'जब पढ़ेगा इण्डिया तभी तो बढे़गा इण्डिया' की बात तो करती है लेकिन जमीनी स्तर पर शिक्षा का यह हाल भाल की माण्डे का यह स्कूल बयां कर रहा है.