धनोल्टीः एक तरफ सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का दम भर रही है तो दूसरी तरफ सरकार की योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में भारी भरकम सरकारी अनुदान मिलने के बाद भी दम तोड़ती नजर आ रही हैं, जिससे अब किसानों को अपने पुरानें कृषि संसाधनों के भरोसे ही खेती बाड़ी करने को मजबूर होना पड़ रहा है. सरकार की मंशा थी कि पहाड़ी क्षेत्रों में अब तक पुराने संसाधनों से अपनी खेतीबाड़ी कर रहे किसानों को समृद्ध बनाया जाए.
साथ ही ग्रामीण स्तर पर समूह बनाकर कुछ सरकारी अनुदान देकर आधुनिक यंत्र उपलब्ध करवाये जाएं, जिससे किसान अपने समय की बचत के साथ-साथ उन्नत खेती विकसित कर सकें, लेकिन यह सब कुछ अब कृषि यंत्रों की खरीद तक ही सिमटता नजर आ रहा है.
मामला विकासखंड थौलधार के जसपुर गांव का है जहां आज भी लगभग 80% परिवार आज भी कृषि करते हैं. यहां पर कृषि विभाग द्वारा 80% अनुदान देकर लगभग 5 लाख रुपए की लागत से कुछ कृषि यंत्र 'फार्म मशीनरी बैंक समूह जसपुर' को ग्रीन स्वीचर टेक्नोलॉजी देहरादून से क्रय कर उपलब्ध करवाये गए थे, लेकिन कम्पनी की लापरवाही के चलते आज कृषि यंत्र धूल फांकते नजर आ रहें हैं.
ग्रामीण राकेश प्रसाद, मनोज, महावीर, कुन्दनलाल, द्वारिका ने बताया कि कम्पनी द्वारा दिया गया गेहूं थ्रेशर भी कम शक्ति वाली मोटर के चलते जंग खा रहा है, जिसे बदलने का भरोसा कम्पनी के प्रतिनिधि द्वारा दिया गया था, लेकिन पांच माह बीत जाने के बाद आज तक सुध लेने वाला कोई नहीं.
यही हाल पॉवर टीलर का है जिसकी सर्विस व स्पेयर पार्ट हेतु ग्रामीणों द्वारा कई बार विभाग व कम्पनी से सम्पर्क साधा गया. स्वयं स्पेयर पार्ट हेतु कम्पनी के देहरादून कार्यालय गये लेकिन कम्पनी द्वारा अनुपयोगी स्पेयर पार्टस थमा दिये गये, जिन्हें दोबारा कम्पनी के कार्यालय बदलने भेजा गया, लेकिन फिर भी सही और वास्तविक सामान नहीं मिला. जिसकी शिकायत काश्तकारों द्वारा कई बार विभागीय अधिकारियों से भी की गई, लेकिन मामला जानने तक ही अटक कर रह गया, जिससे अब गेहूं की बुआई शुरू होते ही काश्तकार अपनी पुरानी बैलों से जुताई करने को मजबूर हैं.
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जब कम्पनी पॉवर टीलर के सही उपकरण उपलब्ध नहीं करा पा रही तो ऐसे में ग्रामीणों के सामने संकट पैदा हो गया, जबकि बाजार में यह नहीं मिल रहे. कृषि विभाग के मुख्य कृषि अधिकारी टिहरी कार्यालय को भी दूरभाष पर अवगत करवाया गया, लेकिन कर्मचारियों द्वारा आश्वासन का झुनझुना थमा दिया गया.