पौड़ी: जनपद में लगातार हो रहे पलायन को रोकने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि पहाड़ी क्षेत्र में हो रहे पलायन को स्वरोजगार के माध्यम से रोका जा सके, जिससे खाली हो रहे गांव पर अंकुश लग सके. कोट ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले कोट गांव में महिलाओं के समूह को रोजगार से जोड़ने के लिए लिलियम की खेती से जोड़ा जा रहा है, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के निदेशक ने किया निरीक्षण: राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के निदेशक वीरेंद्र जुयाल ने कोट गांव पहुंचकर लिलियम की खेती कर रहे किसानों से मुलाकात की और उनकी फसलों का निरीक्षण किया. उन्होंने किसानों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि बंजर भूमि को उपजाऊ बनाकर कृषक न केवल अच्छी आमदनी कमा रहे हैं, बल्कि क्षेत्र में कृषि की नई संभावनाएं भी विकसित कर रहे हैं.
लिलियम की खेती से किसान आर्थिक स्थिति कर रहे मजबूत: उन्होंने कहा कि इन किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे अपनी खेती को और अधिक विकसित कर सकें. उनका यह दौरा किसानों के लिए उत्साहवर्धक रहा और इससे अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे आधुनिक तकनीकों और नई फसलों को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं.
महिलाओं ने बंजर भूमि पर शुरू की लिलियम की खेती: महिलाओं के इस समूह ने 8 साल से बंजर भूमि को पॉलीहाउस के जरिए खेती योग्य बनाकर लिलियम की खेती शुरू की है, जो पिछले साल अक्टूबर से हो रही है. 8 पॉलीहाउस में लिलियम और अन्य पॉलीहाउस में सब्जियां उगाई जा रही हैं. समूह में 35 से अधिक महिलाएं शामिल हैं और अब तक वे 30 हजार रुपए के फूल बेच चुकी हैं.
लिलियम की खेती से महिलाएं हो रही सशक्त: प्रति फूल उन्हें 60 से 80 रुपए मिल रहे हैं. विशेष बात ये है कि उन्हें बाजार की जरूरत नहीं पड़ रही, क्योंकि फूल खरीदने के लिए अनुबंध किया गया है, जिससे उन्हें निरंतर सहायता मिल रही है. महिलाओं ने आसपास के गांवों के अन्य लोगों को भी लिलियम की खेती अपनाकर आर्थिक रूप से सशक्त होने का आह्वान किया है.
क्या है लिलियम की खेती: लिलियम की खेती बल्बनुमा फूलों की खेती का एक तरीका है. लिलियम के फूलों की बाजार में अच्छी खासी मांग होती है. लिलियम की खेती उस भूमि पर होती है,जहां पर मिट्टी में कार्बनिक की मात्रा उचित हो और जल निकासी अच्छे से होती हो.
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