टिहरीः विस्थापन की सुविधा से वंचित प्रभावितों को जल्द ही बड़ी सौगात मिलने जा रही है. अब प्रत्येक विस्थापित परिवार को 83 लाख रुपये तक का मुआवजा देने की तैयारी किया जा रहा है. इसकी जानकारी विधायक धन सिंह नेगी ने दी है. उन्होंने कहा कि सुविधा से वंचित विस्थापितों के लिए राज्य सरकार ने विधिक मदद लेकर प्रस्ताव तैयार किया है. इसके लिए जल्द ही उच्च स्तरीय बैठक की जाएगी.
बीजेपी कार्यालय में विधायक धन सिंह नेगी ने कहा कि पूर्व में कांग्रेस सरकार की उदासीनता की वजह से बांध विस्थापितों के मामले में साल 2012 से लेकर 2017 तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार ने बांध विस्थापितों की समस्याओं को लेकर लगातार बैठक की. जिसके सुखद परिणाम अब सामने आएंगे. उन्होंने कहा कि सुविधा से वंचित बांध विस्थापितों को प्रति परिवार करीब 83 लाख तक का मुआवजा दिया जाएगा. इसके लिए बीते कई सालों से सुविधा से वंचित विस्थापितों के लिए विधिक मदद लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया है.
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विधायक नेगी ने कहा कि नई टिहरी विस्थापित शहर है. ऐसे में यहां पर अविकसित प्लॉट लेकर विस्थापितों ने उसे विकसित किया है. ऐसे में आवंटित भूमि से कुछ अतिरिक्त भूमि पर भी लोगों ने मकान और दुकानें बना दी. ऐसे में राज्य सरकार ने एक बार समाधन योजना के तहत कंपाउडिंग का शासनादेश बीते मार्च में जारी किया था. इस संबंध में सर्वे पूरा हो चुका है. जल्द ही नई टिहरी वासियों को इसका लाभ भी मिलेगा.
DM की वर्चुअली बैठक में अधिकारियों से संबंधित कई शिकायतें आई सामनें
वहीं, जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव ने जिला कार्यालय से गूगल मीट के माध्यम से विद्युत विभाग की समीक्षा की. इस मौके पर उप जिलाधिकारियों ने ऊर्जा निगम से संबंधित शिकायतों, सुझावों की सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत की. जिसमें ज्यादातर शिकायतें जंग लगे पोल, झूलते तार के अलावा क्षेत्रीय अधिकारियों, कर्मचारियों के फोन नहीं उठाए जाने संबंधी शिकायत पाई गईं.
जिलाधिकारी ईवा ने झूलती विद्युत लाइन, जंग लगे पोल और क्षतिग्रस्त इंसुलेटर को तत्काल बदलने के निर्देश अधिशासी अभियंता को दिए. वहीं, लोगों के फोन कॉल नहीं उठाए जाने पर जिलाधिकारी ने कड़ी नाराजगी जताते हुए स्पष्ट किया कि आगे इस प्रकार की शिकायत नहीं आनी चाहिए. उन्होंने विद्युत विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि निरंतर क्षेत्र में उपस्थित रहने के साथ ही फोन चौबीस घंटे खुला रखे. उन्होंने कहा कि देहरादून या ऋषिकेश से कार्यालय संचालन की आदत छोड़ दें. किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने पर संबंधि अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.