ETV Bharat / state

इस गांव में करोड़पति भी मांगता है भीख, आज भी है एक श्राप का प्रकोप

टिहरी जिले के प्रतापनगर में स्थित सेम मुखेम मंदिर की अपनी पौराणिक महत्ता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के श्राप के कारण इस क्षेत्र का हर कोई साल में एक बार भीख जरूर मांगता है, चाहे वह करोड़पति ही क्यों न हो.

इस गांव में आज भी है भगवान श्रीकृष्ण के श्राप का प्रकोप
author img

By

Published : Nov 22, 2019, 12:12 PM IST

Updated : Nov 22, 2019, 6:57 PM IST

टिहरी: प्रतापनगर में सेम मुखेम के जंगल के बीचों-बीच बने भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में मेले का आयोजन आगामी 26 दिसंबर से होगा. दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचकर भगवान के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेंगे. ऐसा माना जाता है इस मन्दिर में पहुंचने वाला सच्चा भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता. यहां हर मन्नत पूरी होती है. मन्दिर के पास पानी का कुंड है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस कुंड का पानी पीने से कुष्ठ रोग दूर हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के श्राप के कारण इस क्षेत्र के लोग साल में एक बार भिक्षा जरूर मांगते हैं.

क्या कहती हैं कहानियां
किवदन्तियों के अनुसार, बहुत पहले भगवान श्रीकृष्ण ने साधू का वेष रखकर इस क्षेत्र के राजा गंगू रमोला से 2 गज जमीन मांगी थी, लेकिन राजा ने अपनी हठ धर्मिता के चलते उन्हें जमीन देने के इनकार कर दिया. तब साधू रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने राजा को श्राप दिया था कि उसके कुटुंब का हर व्यक्ति भिक्षा मांगेगा. तब से लेकर आज भी सेम मुखेम के लोग साल में एक बार भीख जरूर मांगते हैं, चाहे वह कितना धनी क्यों न हो. तब राजा गंगू रमोली ने अपनी पत्नी के कहने पर साधू वेषधारी श्रीकृष्ण से माफी मांगी. भगवान श्रीकृष्ण ने राजा की पत्नी से खुश होकर वरदान मांगने को कहा. राजा की कोई संतान नहीं थी तो राजा की पत्नी ने वरदान के रूप में भगवान से पुत्र का वर मांगा. जिसके बाद राजा के दो पुत्र हुए, जिनका नाम बिन्दुआ और सिद्धुआ रखा गया.

इस गांव में आज भी है भगवान श्रीकृष्ण के श्राप का प्रकोप

एक कहानी ये भी कहती है कि जब बाल्यकाल में कालंदी नदी पर भगवान श्रीकृष्ण की गेंद गिरी थी तो भगवान ने कालिया नाग को नदी से भगाकर सेम मुखेम जाने को कहा था.

पढ़ेंः वैष्णो देवी की तर्ज पर होगी 2020 की केदारनाथ यात्रा, जानिए और क्या हो रहा है बदलाव

देवभूमि का पांचवां धाम है सेम मुखेम
टिहरी जिले में स्थित सेम मुखेम देश के 11वें और उतराखंड के 5वें धाम के रूप में भी पूजा जाता है. स्थानीय लोग सेम मुखेम को भगवान श्रीकृष्ण की तपस्थली के रुप में भी जानते हैं. मंदिर के पुजारी लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल मंदिर की महिमा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जो भी भक्त यहां आता है, चाहे वह कुष्ठ रोग से ग्रसित हो या गृहकलेश से. सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी होती है.

पढ़ेंः गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल, यहां एक दीवार पर बसते हैं खुदा और भगवान

पुजारी लक्ष्मी प्रसाद कहते हैं कि बाल्यकाल में भगवान श्रीकृष्ण ने हिडिम्बा राक्षस का वध इसी स्थान पर किया था. उस वक्त हिडिम्बा के शरीर के हिस्से जिन स्थानों पर गिरे, उन गांवों का नाम भी हिडिम्बा के नाम से ही पड़ा.

आज भी सेम मुखेम मन्दिर के मैदान में पशुओं की पत्थरशिला बनी है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में काल सर्पकर्प योग होता है, वे लोग चांदी के बने दो सर्प इस मंदिर में चढ़ाते हैं, इससे उन्हें अकाल मृत्यु से निजात मिलती है.

टिहरी: प्रतापनगर में सेम मुखेम के जंगल के बीचों-बीच बने भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में मेले का आयोजन आगामी 26 दिसंबर से होगा. दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचकर भगवान के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेंगे. ऐसा माना जाता है इस मन्दिर में पहुंचने वाला सच्चा भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता. यहां हर मन्नत पूरी होती है. मन्दिर के पास पानी का कुंड है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस कुंड का पानी पीने से कुष्ठ रोग दूर हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के श्राप के कारण इस क्षेत्र के लोग साल में एक बार भिक्षा जरूर मांगते हैं.

क्या कहती हैं कहानियां
किवदन्तियों के अनुसार, बहुत पहले भगवान श्रीकृष्ण ने साधू का वेष रखकर इस क्षेत्र के राजा गंगू रमोला से 2 गज जमीन मांगी थी, लेकिन राजा ने अपनी हठ धर्मिता के चलते उन्हें जमीन देने के इनकार कर दिया. तब साधू रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने राजा को श्राप दिया था कि उसके कुटुंब का हर व्यक्ति भिक्षा मांगेगा. तब से लेकर आज भी सेम मुखेम के लोग साल में एक बार भीख जरूर मांगते हैं, चाहे वह कितना धनी क्यों न हो. तब राजा गंगू रमोली ने अपनी पत्नी के कहने पर साधू वेषधारी श्रीकृष्ण से माफी मांगी. भगवान श्रीकृष्ण ने राजा की पत्नी से खुश होकर वरदान मांगने को कहा. राजा की कोई संतान नहीं थी तो राजा की पत्नी ने वरदान के रूप में भगवान से पुत्र का वर मांगा. जिसके बाद राजा के दो पुत्र हुए, जिनका नाम बिन्दुआ और सिद्धुआ रखा गया.

इस गांव में आज भी है भगवान श्रीकृष्ण के श्राप का प्रकोप

एक कहानी ये भी कहती है कि जब बाल्यकाल में कालंदी नदी पर भगवान श्रीकृष्ण की गेंद गिरी थी तो भगवान ने कालिया नाग को नदी से भगाकर सेम मुखेम जाने को कहा था.

पढ़ेंः वैष्णो देवी की तर्ज पर होगी 2020 की केदारनाथ यात्रा, जानिए और क्या हो रहा है बदलाव

देवभूमि का पांचवां धाम है सेम मुखेम
टिहरी जिले में स्थित सेम मुखेम देश के 11वें और उतराखंड के 5वें धाम के रूप में भी पूजा जाता है. स्थानीय लोग सेम मुखेम को भगवान श्रीकृष्ण की तपस्थली के रुप में भी जानते हैं. मंदिर के पुजारी लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल मंदिर की महिमा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जो भी भक्त यहां आता है, चाहे वह कुष्ठ रोग से ग्रसित हो या गृहकलेश से. सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी होती है.

पढ़ेंः गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल, यहां एक दीवार पर बसते हैं खुदा और भगवान

पुजारी लक्ष्मी प्रसाद कहते हैं कि बाल्यकाल में भगवान श्रीकृष्ण ने हिडिम्बा राक्षस का वध इसी स्थान पर किया था. उस वक्त हिडिम्बा के शरीर के हिस्से जिन स्थानों पर गिरे, उन गांवों का नाम भी हिडिम्बा के नाम से ही पड़ा.

आज भी सेम मुखेम मन्दिर के मैदान में पशुओं की पत्थरशिला बनी है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में काल सर्पकर्प योग होता है, वे लोग चांदी के बने दो सर्प इस मंदिर में चढ़ाते हैं, इससे उन्हें अकाल मृत्यु से निजात मिलती है.

Intro:टिहरी

26 दिसम्बर को सैम मुखेम में त्रिवार्षिक श्रीकृष्णा मैले का होगा बिशाल आयोजन

इस भगवान श्री कृष्ण का मन्दिर में देश विदेश से पहुच रहे हे लाखो श्रद्वालुओं ।Body:टिहरी जिले में प्रतापनगर में सेम मुखेंम के जंगल की बीच बना भगवान श्री कृष्ण का मन्दिर हें जहा पर लाखों श्रद्वालुओं ने भगवान श्री कृष्ण से जय कारे के साथ भगवान के दर्शन कर मन्नतें मांगी। यह पर स्थानिया देबता गण डोलिय भगवान श्री कृष्णा मेले के दिन मन्दिर में दर्शन करने जाते हें

इस मन्दिर में जो भी आता वह खाली हाथ नही लोटता हें यह पर पुत्र प्राप्त की मन्नते पूरी होती हें ओर तो इस मन्दिर के पास बने पानी के कुण्ड से पानी पीता हें उसको कुश्ट रोग दूर होते हें

दन्त कथाओ में इसका प्रमाण हे जिसके आधार पर कहा जाता है कि इस क्षेत्र में राजा गगू रमोला से भगवान श्री कृष्ण ने साधु की वेशवूषा में जा कर राजा गगू रमोला से 2 गज जमीन मांगी लेकिन राजा की हठ धर्मिता के कारण राजा गगू रमोला ने भगवान श्राी कृष्णा को 2 गज जमीन नही दी तो भगवान श्री कृष्णा ने राजा भगवान कृष्णा की सारी भेंस बकरी पशुओ को पत्थर बना दिया था जिनका प्रमाण आज भी यह जिन्दा हें। साथ ही कृष्णा को राजा ने भिक्षा नही दी थी तो कृष्णा ने श्राप दिया थी कि जिस तरह से मे तेरे से भीख माग रहा हू तेरा कुटुम्ब के हर ब्यक्ति भी भीख मागेगा तो आज भी सेम मुखेम के लोगो को हर साल में एक बार भीख मागने जाना पडता हे चाहे वह करोड पति ही क्यू ना हो ।

तो उसके बाद श्राी भगवान कृष्णा ने राजा गंगू रमोला की पत्नी के सपने में आकर कहा कि अगर उनका पति धर्मिता करेगा तो बडा अर्नथ हो जायेगा
उसके बाद उसकी पत्नी ने राजा को समझाया तो राजा ने भगवान श्राी कृष्णा से मांफी मागी उसके बाद भगवान श्री कृष्णा ने उनको माफ किया उसके बाद भगवान श्री कृष्णा ने राजा की पत्नी को कहा जो बर मागोगे वह मिल जायेगा कहो तो राजा की कोई ओलाद नही थी तो उन्होने पुत्र प्राप्त होने को बरदान मागा तो बरदान मिला उसके बाद राजा के दो पुत्र हुये बिन्दुआ ओर सिद्धुआ जो आगे चल कर प्रसिद्ध हुये

यह भी कहा जाता हें कि जब कालन्दी नदी पर भगवान श्री कृष्णा की गेंद गिरी तो कालिया नाग को नदी से भगाकर सेम मुखेम में जाने को कहा था

Conclusion:यह पर देश बिदेशो के लोगो की बडी आस्था हें

देश का 11वां ओर उतराखण्ड का 5 वां धाम के रूप मे माने जाने वाला कृृष्णा भगवान की तप स्थली हे सेम मुखेम टिहरी के सेम मुखेम के उची उची चोटी जगंलो के बीच मे कृृष्णा भगवान की तप स्थली हे यह के लोगो के साथ 2 बाहर के लोगो का भी यह पर बिश्वास बढने लग गया हे यह जो भी आता हे खाली हाथ लोट कर नही जाता भगवान कृृष्णा भगवान उसकी हर मनो कामना पूरी करते हे

यह के पुजारी बताते हे कि हमारे पुराने दन्तकाओ में वर्णन हे कि जो भी भक्त यह आते हे चाहे वह कुष्ट रोग हो या ग्रह कलेश किसी भी प्रकार की बेदनाओ से पीडित हो यह आकर मन्नत मागने से पूरी हो जाती हें।साथ ही बताते हे कि जब हिडिम्बा राक्षस यह इनके मारने आई थी तो उस समय कृृष्णा भगवान ने उसे यही मार दिया था तब उस समय उस राक्षस के जहाण्2 शरीर के हिस्से गिरे उनको उसी के नाम से जाना जाने लगा।ओर आज भी उन गावो के नाम उसी राक्षस के नाम पर पडे हें

आज भी सेम मुखेम मन्दिर के मेदान में पशुओ की पत्थर शिला बनी हें ओर आज भी यह मान्यता हे कि इस गाव के लोग चाहे कितना ही बडा आदमी ओर धनवान क्यो न हो उसे जीवन में एक बार भिक्षा मागने जरूर जाना पडता हें।
ओर जिन लोगो की जन्म कुण्डली में काल सर्पकार्प योग होता हे तो वह लोग चांदी के बने दो सर्प नाग नागिन के यह लाकर मन्दिर में चढाता हें तो उसकी अकाल मृत्यु से निजात मिलता हें।

टिहरी गढवाल के प्रतापनगर तहसील में समुद्र तल से 7000 हजार फीट की उचांई पर पहडियो के बीच भगवान श्री कृष्णा के नागराजा के स्वरूप का मन्दिर हे।

इस पत्थर तक पहुचने के लिये टिहरी जिला मुख्यालय से लम्बगाव से 10 किलोमीटर कोडार होते हुये तलबला सेम तक वाहन से पहुचा जाता हे। उसके बाद खडी चएाई पैदल चलकर सेम मुखेम मन्दिर तक पहुचते हे उसके बाद ढुगढुगीधार पहुचकर पत्थर को देख सकते हे।


बाइट लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल पुजारी

पीटीसी अरबिन्द नोटियाल




Last Updated : Nov 22, 2019, 6:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.